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कांग्रेस की बुरी हार के बाद मीटिंग में गांधी परिवार पर सवाल उठे तो प्रियंका गांधी ने क्या कहा?

सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष बनी रहेंगी.

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कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में प्रियंका गांधी. (फोटो: इंडिया टुडे)
14 मार्च 2022 (Updated: 14 मार्च 2022, 14:54 IST)
Updated: 14 मार्च 2022 14:54 IST
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद अब कांग्रेस मंथन कर रही है. पार्टी में संस्थागत बदलाव को लेकर कार्यकर्ता एवं नेता दो धड़ों में बंटे हुए हैं. कुछ लोगों का मानना है कि पार्टी हाईकमान में परिवर्तन होना चाहिए और इसकी जिम्मेदारी गांधी परिवार के बजाय किसी अन्य नेता को देना चाहिए. वहीं कुछ का मानना है कि कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के ही हाथ में होनी चाहिए. इनके बिना पार्टी को पुनर्जीवित करना मुश्किल है.
बहरहाल, इस पूरी बहस के बीच बीते रविवार, 13 मार्च को कांग्रेस कार्य समिति - अंग्रेजी में कहें तो कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) - की एक बैठक हुई. चुनावी हार से लेकर संगठन की कार्यप्रणाली पर चर्चा हुई. नेताओं ने कहा क पार्टी में नेतृत्त्व सुधार की बात करते ही बागी करार दे दिया जाता है. और कुछ ने ये भी कहा कि पार्टी को विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध लोगों को कमान देनी चाहिए, न कि उन्हें जो कोई दूसरी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं. पहले आपको बताते हैं कि CWC क्या है? CWC क्या है और काम क्या है? सीडब्ल्यूसी कांग्रेस पार्टी के संबंध में फैसले लेने वाली शीर्ष समिति है. पार्टी के संविधान के प्रावधानों को लागू करने को लेकर सीडब्ल्यूसी का मत या निर्णय आखिरी होता है. इस समिति में पार्टी अध्यक्ष, संसद में कांग्रेस के नेता और 23 अन्य सदस्य शामिल होते हैं. इन 23 सदस्यों में से 12 की नियुक्ति अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) द्वारा किया जाता है और बाकी का चयन पार्टी अध्यक्ष करते हैं.
सीडब्ल्यूसी के पास यह भी शक्ति होती है कि वह पार्टी के अध्यक्ष को नियुक्त कर सकती है और अध्यक्ष को पद से हटा भी सकती है. मीटिंग में क्या बात हुई? तमाम लोगों की उम्मीदों के विपरीत पार्टी ने एक बार फिर फैसला किया है कि पार्टी में सर्वोच्च पदों पर यथास्थिति बनी रहेगी और अगस्त-सितंबर महीने में प्रस्तावित चुनाव तक सोनिया गांधी ही पार्टी अध्यक्ष रहेंगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट
के मुताबिक बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि आगामी आठ अप्रैल को संसद सत्र की समाप्ति के बाद 'चिंतन शिविर' का आयोजन किया जाएगा.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बैठक में सोनिया गांधी ने कहा था कि यदि पार्टी चाहती है तो वह और उनके बेटे-बेटी (राहुल गांधी और प्रियंका गांधी) अपने पदों से हटने के लिए तैयार हैं. हालांकि मीटिंग में मौजूद रहे नेताओं ने कहा कि उन्हें उनके नेतृत्व पर भरोसा है और वह चाहते हैं कि वे अपने पद पर बनी रहें.
पार्टी नेताओं ने यह भी गुजारिश की कि सोनिया गांधी आगे आकर कार्यकर्ताओं को लीड करें, संस्थागत कमियों पर बात करें और इसमें परिवर्तन लाने के लिए अपने सुझाव दें, ताकि पार्टी आने वाली राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर पाए.
Cwc Congress Pti
(फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी को भाजपा से लड़ाई लड़नी है, जिसके पास काफी मॉडर्न चुनावी मशीनरी है और इस बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस को अपने-आप में परिवर्तन लाने की जरूरत है.
 
इससे पहले बीते शनिवार, 12 मार्च को ये खबर आई थी कि CWC की बैठक में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी इस्तीफा दे सकते हैं. हालांकि पार्टी ने इन दावों को खारिज कर दिया था. हालिया बैठक में गांधी परिवार पर भी सवाल उठाए गए. कई नेताओं ने खुलकर अपनी बात रखी और कई आधारभूत कमियों को रेखांकित भी किया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा,
"पूर्व में CWC की बैठकों में पार्टी को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए थे, लेकिन ऐसे विचारों को पार्टी के प्रति बागी रवैये के रूप में देखा जाता है. इसे लेकर कई बार ऐसा भी कहा जाता है कि इस तरह के विचार बीजेपी के इशारे पर दिए जा रहे हैं."
गुलाम नबी आज़ाद ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर भी सवाल किया और कहा कि यह कदम काफी देरी से उठाया गया. उन्होंने कहा,
"ऐसा कम से कम एक साल पहले किया जाना चाहिए था."
सोनिया गांधी ने भी इस बात पर सहमति जताते हुए अपनी गलती मानी है.
इसके अलावा गुलाम नबी आजाद ने उत्तराखंड चुनाव पर भी अपनी टिप्पणी की. कहा कि हरीश रावत को अपनी संगठनात्मक जिम्मेदारी को छोड़ कर काफी पहले से उत्तराखंड पर फोकस करना चाहिए था.
मालूम हो कि गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं के समूह का हिस्सा हैं, जिन्होंने साल 2020 में सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर पार्टी में विस्तृत बदलाव की मांग की थी. इस ग्रुप को जी-23 कहा जाता है.
इस ग्रुप के अन्य सदस्य कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, केएल मुनियप्पा और मुकुल वासनिक ने कहा कि राहुल गांधी तक पहुंच और आसान होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो भी कांग्रेस अध्यक्ष हो, उसे 'सुलभ, स्वीकार्य और जवाबदेह' होना चाहिए.
जी-23 ग्रुप के एक अन्य सदस्य आनंद शर्मा ने कहा,
"कांग्रेस में सामूहिक आत्मंथन और निर्णय लेने की संस्कृति रही है, लेकिन अब जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग को बागी करार दे दिया जाता है. जो लोग बाहर से पार्टी में आते हैं उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये पद उन लोगों के पास जाने चाहिए जो कांग्रेस की विचारधारा को लेकर प्रतिबद्ध हैं."
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में गंगा आरती इत्यादि में भाग लेने का चलन बढ़ा है, कांग्रेस को नरम हिंदुत्व (सॉफ्ट हिंदुत्व) का रास्ता छोड़ देना चाहिए. कौन-कौन से नेता शामिल हैं जी-23 में? कांग्रेस के इस असंतुष्ट धड़े और पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले जी-23 समूह में गुलाम नबी आजाद, शशि थरूर, मनीष तिवारी, भुपिंदर सिंह हुड्डा, रजिंदर कौल भट्टल, एम. वीरप्पा मोईली, पृथ्वीराज चौहान, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा, मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद (अब बीजेपी में हैं), पीजे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा और योगानंद शास्त्री शामिल हैं. और क्या हुआ मीटिंग में? कांग्रेस की इस बैठक में आम आदमी पार्टी के उदय पर बड़ी चर्चा हुई. अंबिका सोनी ने कहा कि आप के कदमों को रोका जाना चाहिए. वहीं शर्मा ने कहा कि विपक्ष में कांग्रेस का दायरा कम हो रहा है, इसे बढ़ाने पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. अजय माकन ने कांग्रेस के पंजाब अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सिद्धू द्वारा चरणजीत सिंह चन्नी पर निशाना साधने की वजह से पार्टी को काफी नुकसान हुआ है.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विधानसभा चुनावों में हार के लिए गांधी परिवार पर निशाना साधना उचित नहीं है, क्योंकि यह भाजपा द्वारा बिछाया गया जाल है और हमें इसमें नहीं फंसना चाहिए. प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार में जिन लोगों को बुलाया गया था, उसमें से कई नेता आए नहीं थे.

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