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12,000 करोड़ की कंपनी बेटे को दे दी, आज पाई-पाई के मोहताज हैं रेमंड्स के मालिक विजयपत सिंघानिया

इसके बाद भी कंपनी को चैन नहीं आया, नया लेटर भेज दिया है.

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विजयपत सिंघानिया और गौतम सिंघानिया (फोटो - इंडियन एक्सप्रेस)
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18 अक्तूबर 2018 (Updated: 18 अक्तूबर 2018, 12:23 IST)
Updated: 18 अक्तूबर 2018 12:23 IST
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रेमंड ग्रुप के संस्थापक विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौतम सिंघानिया की आपसी तनातनी ने बदसूरत शक्ल ले ली है. कंपनी ने विजयपत सिंघानिया को लेटर लिखकर कहा है कि वो अपने नाम के साथ चेयरमैन-एमेरिटस (अवकाशप्राप्त चेयरमैन) लिखना बंद करें. विजयपत सिंघानिया ने पहले कंपनी सेक्रेटरी और बाद में बोर्ड को लेटर लिखकर शिकायत भी दर्ज करवाई है. ये बोला है कि इस मामले में हुई बोर्ड मीटिंग्स के बारे में उन्हें बताया नहीं गया.
आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला:
अभी कुछ दिन पहले खबर आई थी कि मुंबई के लोखंडवाला में आशा साहनी नाम की एक महिला का कंकाल बरामद हुआ. वजह थी कि बेटे ने आखिरी बार उनसे डेढ़ साल पहले बात की थी और उसके बाद कोई खोज-खबर नहीं ली. बेटा कमाने विदेश चला गया और मां ने अकेले दम तोड़ दिया. ये सब पैसे कमाने की हवस की वजह से हुआ था. ऐसा ही कुछ देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शुमार विजयपत सिंघानिया के साथ हुआ. कभी वह 12 हजार करोड़ की कंपनी रेमंड के मालिक थे, लेकिन आज वो अपने बेटे की वजह से पाई-पाई को मोहताज हैं. ऐसा हम नहीं खुद विजयपत सिंघानिया कह रहे हैं और उन्होंने बाकायदा इसके लिए कोर्ट का सहारा लिया.

घर भी छिन गया

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मालाबार हिल स्थित जेके हाउस में 37 फ्लोर हैं.


विजयपत सिंघानिया कभी ब्रिटेन से अकेले प्लेन उड़ाकर भारत आ जाते थे. मुकेश अंबानी के एंटीलिया से भी ऊंचे घर जेके हाउस में रहा करते थे. आज स्थिति ये है कि उन्हें उसी जेके हाउस में अपने ड्यूपलेक्स घर के पजेशन के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. उनका दावा है कि बेटे ने उनसे गाड़ी और ड्राइवर भी छीन लिया है और उनके पास पैदल चलने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. वह फिलहाल दक्षिणी मुंबई में एक किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं.

2015 में बेटे को दे दी थी कंपनी

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बेटे गौतम सिंघानिया को 2015 में कंपनी के सारे शेयर दे दिए थे.


विजयपत सिंघानिया ने 2015 में अपनी कंपनी के सारे शेयर अपने बेटे गौतम सिंघानिया को दे दिए थे. इन शेयर की कीमत उस वक्त 1000 करोड़ रुपये थी. विजयपत के वकील दिनयार मडोन के मुताबिक मालाबार हिल स्थित जेके हाउस 1960 में बना था. उस वक्त उसमें 14 फ्लोर थे. कुछ दिनों के बाद जेके हाउस में 4 ड्यूपलेक्स रेमंड की सब्सिडरी कंपनी पश्मिना होल्डिंग्स को दे दिए गए. 2007 में कंपनी ने इस बिल्डिंग को फिर से बनवाने का फैसला लिया. फिलहाल इसमें 37 फ्लोर हैं. डील के मुताबिक विजयपत सिंघानिया, गौतम सिंघानिया, विजयपत के भाई अजयपत की पत्नी वीना देवी के अलावा वीना के दो बेटों अनंत और अक्षयपत को एक-एक ड्यूपलेक्स मिलने थे. सभी लोगों ने अपने-अपने हिस्से की जमीन के लिए याचिका दायर कर रखी है. सिंघानिया का आरोप है कि गौतम ने कंपनी का सीएमडी होने का गलत फायदा उठाते हुए चारों ड्यूपलेक्स अपने नाम कर लिए हैं.

1980 में संभाली कंपनी की कमान

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20 साल की मेहनत के बाद कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था.


दुनियाभर में अपने कपड़ों की वजह से अलग पहचान रखने वाली रेमंड कंपनी 1925 में बनी थी. इसका पहला रिटेल शो रूम 1958 में मुंबई में खुला था. कपड़ों के अलावा कंपनी टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग और एविएशन के क्षेत्र में भी काम कर रही थी. विजयपत सिंघानिया ने 1980 में रेमंड कंपनी की कमान संभाली और उसके बाद इसका स्वरूप आधुनिक हो गया. 1986 में सिंघानिया ने रेमंड का प्रीमियम ब्रांड पार्क एवेन्यु लॉन्च किया. फैशनेबल कपड़ों की नई रेंज लॉन्च की और 1990 में देश के बाहर ओमान में कंपनी का पहला विदेशी शो रूम खोला. 1996 में सिंघानिया ने देश में एयर चार्टर सेवा शुरू की. उन्होंने 1988 में लंदन से भारत के बीच अकेले उड़ान भरी.

नाम किए हैं कई खिताब

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भारत सरकार सिंघानिया को पद्म भूषण से सम्मानित कर चुकी है.


उन्हें भारत सरकार की ओर से 2006 में उन्हें पद्म भूषण से भी नवाजा जा चुका है. सिंघानिया ने 'ऐन एंजल इन अ कॉकपिट' नाम से किताब भी लिखी है, जो लंदन से भारत के बीच उनकी उड़ान पर लिखी गई है. 67 साल की उम्र में हॉट एयर बलून से सबसे अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने का विश्व रिकॉर्ड भी सिंघानिया के नाम है. उनके पास पांच हजार से अधिक घंटे तक उड़ान भरने का अनुभव है. 1994 में फेडरेशन एयरोनॉटिक इंटरनेशनल की ओर से आयोजित एयर रेस में 24 दिनों में 34000 किलोमिटर की यात्रा कर उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था. उनकी इस उपलब्धि पर इंडियन एयरफोर्स की ओर से उन्हें एयर कोमोडोर की उपाधि से नवाजा गया था. 2005 में उन्हें रॉयल एयरो क्लब की ओर से गोल्ड मेडल दिया गया था. वो 20 दिसंबर 2005 से 19 दिसंबर 2006 तक मुंबई के शेरिफ भी रहे हैं.

अब कोर्ट में है मामला

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अपना घर पाने के लिए बेटे के खिलाफ कोर्ट पहुंचे हैं सिंघानिया.


सिंघानिया अपने ही बेटे के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए थे. उन्होंने बेटे से घर से अलावा हर महीने 7 लाख रुपये की मांग की जो कंपनी के नियमों के तहत थी. हालांकि रेमंड कंपनी की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील जनक द्वारकादास ने बताया था कि जून 2017 में हुई कंपनी की एनुअल जनरल मीटिंग में सिंघानिया को ड्यूपलेक्स और सात लाख रुपये हर महीने देने की मांग शेयरहोल्डर्स ने ठुकरा दी थी.

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