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BSP में मजबूत पकड़ होने के बावजूद राकेश पांडेय ने सपा का दामन क्यों थामा?

राकेश पांडेय का BSP से सपा में जाना चार जिलों की सियासत पर कैसे असर डाल सकता है?

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राकेश पांडेय अखिलेश यादव के साथ (फोटो : ट्विटर/सपा)
3 जनवरी 2022 (Updated: 3 जनवरी 2022, 10:56 IST)
Updated: 3 जनवरी 2022 10:56 IST
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यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का एक दल से दूसरे दल में जाना शुरू हो गया है. पिछले दिनों BSP के कई नेताओं ने समाजवादी पार्टी जॉइन की थी. इसी क्रम में सोमवार 3 जनवरी को अंबेडकरनगर जिले के कद्दावर BSP नेता और पूर्व सांसद राकेश पांडेय ने भी सपा जॉइन कर ली है. लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में राकेश पांडेय सपा में शामिल हुए. हालांकि, इंडिया टुडे से जुड़े केके पांडेय की रिपोर्ट के मुताबिक राकेश के सांसद पुत्र रितेश पांडेय फिलहाल अभी BSP में ही बने रहेंगे. राकेश पांडेय के सपा में आने की जानकारी पार्टी के ट्विटर अकाउंट से भी दी गई है. सपा ने एक ट्वीट में लिखा है,
"माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए वरिष्ठ BSP नेता और अंबेडकर नगर से पूर्व सांसद श्री राकेश पांडेय जी अपने साथियों के साथ सपा में हुए शामिल. आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन."
इनके अलावा बहराइच से बीजेपी की वर्तमान विधायक माधुरी वर्मा, पूर्व पार्षद कांती सिंह और प्रतापगढ़ के पूर्व विधायक बृजेश मिश्रा भी 3 जनवरी को सपा में शामिल हो गए. BSP से नाराज क्यों? राकेश पांडेय अंबेडकर नगर की जलालपुर विधानसभा सीट से 2022 के चुनाव में अपने चहेते रिंकू उपाध्याय को टिकट दिलाना चाहते थे. बताते हैं कि उन्होंने रिंकू के लिए टिकट लगभग फाइनल करवा दिया था. पूरे जलालपुर विधानसभा क्षेत्र में रिंकू के नाम से पोस्टर और बैनर भी लगा दिए गए थे. लेकिन इसी दौरान एक बड़ा सियासी उलटफेर हुआ और बीजेपी छोड़कर आए राजेश सिंह को BSP ने जलालपुर से मैदान में उतारने की घोषणा कर दी. बताया जाता है कि यही वो वजह थी कि राकेश पांडेय का BSP से मोहभंग हो गया और वो 'हाथी' से उतरकर 'साइकिल' पर सवार हो गए. कौन हैं राकेश पांडेय? पूर्व सांसद राकेश पांडेय का अंबेडकर नगर में खासा दबदबा माना जाता है. उनका जिले में शराब और खनन का बड़ा कारोबार भी है. जलालपुर से सपा के विधायक रहे राकेश 2009 में सपा छोड़कर BSP में शामिल हो गए और हाथी पर सवार होकर लोकसभा पहुंच गए थे. इसके बाद उन्होंने BSP में अपनी पकड़ को मजबूत किया और अपने बेटे रितेश पांडेय को 2017 में जलालपुर से विधानसभा का टिकट दिलवा दिया. रितेश 2017 का विधानसभा चुनाव जीत गए. उस चुनाव में BSP को यूपी में केवल 19 सीटें मिली थीं. ऐसे में इस जीत से राकेश पांडेय का पार्टी में रसूख और रुतबा और बढ़ गया. इसके चलते उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में बेटे रितेश को अंबेडकर नगर से BSP का टिकट दिलवा दिया और चुनाव जितवाकर उन्हें संसद पहुंचा दिया. सपा को मिला सकता है बड़ा फायदा अंबेडकर नगर के लोगों का मानना है कि BSP के पूर्व सांसद राकेश पांडेय के सपा में आने से जिले के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे. आजतक के केके पांडेय के मुताबिक इस निर्णय का असर सिर्फ जलालपुर विधानसभा सीट पर ही देखने को नहीं मिलेगा, बल्कि जिले की अन्य पांच विधानसभा सीटों पर भी पड़ेगा. प्रबल संभावना है कि समाजवादी पार्टी जलालपुर से या तो राकेश पांडेय को या फिर उनके करीबी रिंकू उपाध्याय को प्रत्याशी बनाएगी. चूंकि राकेश पांडेय एक ब्राह्मण नेता भी हैं, तो समाजवादी पार्टी इसका भी फायदा उठाना चाहेगी. बताते हैं कि एक बड़े ब्राह्मण चेहरे को पार्टी में शामिल कराने में मिली सफलता को सपा अन्य सीटों पर भी कैश कराने की तैयारी में है. वो इस कोशिश में है कि राकेश पांडेय को न सिर्फ अंबेडकर नगर, बल्कि पड़ोसी जिले सुल्तानपुर, अयोध्या, संतकबीरनगर और बस्ती जैसे जनपदों में भी ब्राह्मणों के बीच प्रचार के लिए भेजा जाए.

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