The Lallantop
Advertisement

भय्यूजी महाराज की मौत के राज से उठा पर्दा, दोषियों को छह साल की सजा

महाराज के करीबियों ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया.

Advertisement
Img The Lallantop
भय्यू जी महाराज (फोटो: ट्विटर)
29 जनवरी 2022 (Updated: 29 जनवरी 2022, 13:02 IST)
Updated: 29 जनवरी 2022 13:02 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
बहुचर्चित आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज (Bhayyuji Maharaj ) आत्महत्या मामले में 28 जनवरी को इंदौर (Indore) जिला कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने पाया कि उनके सबसे करीबी और विश्वासी सेवादार ही उन्हें आत्महत्या के लिए उकसा रहे थे. आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाते हुए जिला अदालत ने भय्यू महाराज के मुख्य सेवादार विनायक, ड्राइवर शरद और उनकी 28 वर्षीय शिष्या पलक को छह-छह साल के सश्रम कैद की सजा सुनाई है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने आध्यात्मिक गुरु की आत्महत्या के हाई-प्रोफाइल मामले में शिष्या पलक पौराणिक (28), मुख्य सेवादार विनायक दुधाड़े (45) और ड्राइवर शरद देशमुख (37) को आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 306 (आत्महत्या के लिये उकसाना) और धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई. मामला क्या है? भय्यू जी महाराज (50) एक गृहस्थ संत थे. मंगलवार, 12 जून 2018 को उन्होंने अपने घर में आत्महत्या कर ली थी. पुलिस को महाराज के द्वारा लिखा गया एक सुसाइड नोट भी मिला था. इसमें उन्होंने लिखा था कि वह भारी तनाव से तंग आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने इस नोट में ये भी लिखा था कि वे अपनी सारी संपत्ति और आश्रम को विनायक की देखरेख में छोड़ रहे हैं. पुलिस इस मामले की छानबीन में जुट गई. महाराज की पत्नी ने उनके सेवादार विनायक और उसके सहयोगियों पर इस मामले से जुड़े होने का शक जताया था. करीब सात महीने बाद पुलिस ने पलक पौराणिक के साथ आध्यात्मिक गुरु के दो विश्वस्त सहयोगियों-विनायक दुधाड़े और शरद देशमुख को गिरफ्तार किया.
पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि भय्यू जी महाराज को साजिश कर फंसाया गया. उनके ऊपर पलक से शादी करने का दबाव डाला गया. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, पलक ने भय्यू महाराज की दूसरी शादी के दिन घर पहुंचकर हंगामा किया था. महाराज के ऊपर कथित आपत्तिजनक चैट के जरिए दबाव बनाया जा रहा था. यह भी सामने आया कि महाराज पलक को हर महीने कुछ पैसे भी भेज रहे थे. हालांकि, उनसे लगातार और पैसों की मांग की जा रही थी.  पलक, विनायक और शरद तीनों मिलकर महाराज को ब्लैकमेल कर उनका मानसिक शोषण कर रहे थे.
बाएं पलक पौराणिक, मध्य विनायक, दाएं शरद देशमुख
बाएं: पलक पौराणिक, मध्य: विनायक दुधाड़े, दाएं: शरद देशमुख
इस तरह हुआ खुलासा दरअसल, शरद के अलावा महाराज का कैलाश पाटील नाम का एक और ड्राइवर भी था. कैलाश पाटील पर वकील निवेश बड़जात्या को धमकाने का केस दर्ज हुआ था. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि वह कई बार पलक को गाड़ी से आश्रम और घर ले जाया करता था. इस दौरान रास्ते में पलक विनायक और शरद से लगातार बात करती थी. पुलिस ने कैलाश पाटील के 40 से ज्यादा बार बयान लिए.
कैलाश के बयान के आधार पर ही पुलिस ने पलक, विनायक और शरद को गिरफ्तार किया. तीनों के पास से 8 मोबाइल बरामद कर उनका डेटा रिकवर किया गया. इन मोबाइल फोन में निकली हिस्ट्री से यह बात सामने आई कि तीनों भय्यूजी महाराज को आत्महत्या के लिए उकसा रहे थे और उन्हें अधिक मात्रा में नशीली दवाएं भी दे रहे थे. पुलिस के वकील गजराज सिंह सोलंकी ने बताया कि इस भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी की गवाही भी इस मामले को सुलझाने में अहम साबित हुई, जिसके आधार पर तीनों आरोपियों पर शिकंजा कसा गया. कौन थे भय्यू जी महाराज? मूल रूप से मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के रहने वाले भय्यूजी महाराज का जन्म 29 अप्रैल 1968 को शुजलपुर नाम की जगह पर हुआ था. उनके पिता विश्वासराव देशमुख एक जमींदार थे. जन्म के बाद उनका नाम उदय सिंह देशमुख रखा गया. बड़े होने पर भय्यूजी ने मॉडलिंग में अपना हाथ आजमाया, लेकिन यहां उनको सफलता नहीं मिली. इसके बाद वो महाराष्ट्र में अपने गुरु अन्ना महाराज की शरण में पहुंचे. अन्ना महाराज के प्रभाव में ही भय्यूजी ने सामाजिक कार्यों में भागेदारी शुरू की. इसके बाद जब वे वापस मध्य प्रदेश लौटे तो वे भय्यूजी से भय्यूजी महाराज बन चुके थे.

भय्यू जी महाराज

उन्होंने मध्य प्रदेश में रहकर महिलाओं, बच्चों और अनाथ लोगों के लिए बड़े स्तर पर काम करना शुरु कर किया. भय्यूजी महाराज ने इंदौर में भारत माता मंदिर और सूर्योदय आश्रम की स्थापना की. इस मंदिर और आश्रम जरिए गरीब लड़कियों की शादियां, बेसहारा अनाथों की परवरिश और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था. इसी काम को और आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने श्री सदगुरु दत्त धार्मिक एवं परमार्थ ट्रस्ट की स्थापना की. इसी ट्रस्ट ने आगे चलकर इंदौर, पुणे, नासिक समेत मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई शहरों में आश्रम स्थापित किए. ये सभी आश्रम समाज सेवा का केंद्र बने.

thumbnail

Advertisement