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4 साल बाद युवक को याद आया कि वह रामू नहीं, श्रीदोहारी है

असम के एक व्यक्ति की 4 साल बाद याददाश्त वापस आई है

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4 साल पहले व्यक्ति (दाएं) चलती ट्रेन से गिर गया था. ट्रेन की सांकेतिक तस्वीर.
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20 दिसंबर 2021 (Updated: 20 दिसंबर 2021, 08:58 IST)
Updated: 20 दिसंबर 2021 08:58 IST
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साल 1991 में एक फिल्म आई थी हिना. इस फिल्म में ऋषि कपूर, पाकिस्तानी ऐक्ट्रेस जेबा बख्तियार और अश्विनी भावे ने मुख्य किरदार निभाए थे. फिल्म हिना तीन लोगों के बीच की प्रेम कहानी है, जिसमें ऋषि कपूर ने चंदर प्रकाश, अश्विनी भावे ने चांदनी और जेबा बख्तियार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की रहने वाली एक लड़की हिना की भूमिका निभाई थी. फिल्म की कहानी ये है कि चंदर प्रकाश को चांदनी से प्यार हो जाता है. दोनों शादी करने वाले होते हैं, लेकिन शादी वाले दिन चंदर का एक्सीडेंट हो जाता है. सारे लोग सोचते हैं कि वह मर गया लेकिन चंदन बच जाता है और पाकिस्तान पहुंच जाता है. यहां वह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है, लेकिन उसकी याददाश्त चली जाती है. पाकिस्तान में उसकी देखभाल करने वाली हिना से उसे प्यार हो जाता है. चंदर और हिना की शादी होने वाली होती है. लेकिन उसी दिन चंदर की याददाश्त वापस आ जाती है. उसके बाद चंदर को भारत भेजने की तैयारी की जाती है. ये फिल्म की कहानी थी. लेकिन इसी तरह की एक खबर असम से आई है. असम के एक व्यक्ति की 4 साल पहले याददाश्त चली गयी थी, जो अब लौट आई है. याददाश्त लौटने के बाद यह व्यक्ति अपने घर जाना चाहता है. 2017 में आंध्र प्रदेश के समालकोट में 30 साल का एक व्यक्ति रेलवे ट्रैक पर मिला था. उसके सिर पर चोट लगी थी. कई फैक्चर भी हुए थे. उसे ककिनादा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. रेलवे पुलिस के मुताबिक, वह चलती ट्रेन से गिर गया था. उसे गंभीर चोटें आई थीं, जिसके बाद करीब एक साल तक उसका इलाज चला. NGO ने की देखभाल इंडिया टुडे के मुताबिक बेसहारा लोगों की देखभाल करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (NGO) भाद्यथा ने अस्पताल में इस व्यक्ति की देखभाल की. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसे आंध्र प्रदेश के पेद्दापुरम में इसी एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे एक अनाथालय में भेज दिया गया. साल 2019 से वह इसी अनाथालय में रह रहा है. याददाश्त जाने के बाद NGO ने उसका नाम रामू रख दिया. रामू के बारे में NGO के संस्थापक एवीवी सत्यनारायण ने कहा कि उन्होंने उसके पुनर्वास के लिए आधार कार्ड दिलाने की भी कोशिश की. अब चार साल बाद रामू की याददाश्त लौट आई है. रामू का असली नाम श्रीदोहारी है. वह असम के एक गांव के रहने वाला है. लेकिन वह गांव के नाम को ठीक से याद नहीं कर पा रहा. हालांकि रामू का कहना है कि वह एक ट्रक ड्राइवर था. उसकी पत्नी और तीन बच्चे हैं और वह अब घर लौटना चाहता है. वहीं भाद्यथा के संस्थापक एवीवी सत्यनारायण ने कहा
"हमने रामू के परिवार का पता लगाने के लिए पूर्वी गोदावरी जिला पुलिस से मदद मांगी है. हम रामू को उसके परिवार वालों से मिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हमें पूरी उम्मीद है कि रामू को परिवार से मिलाने के हमारे प्रयास सफल होंगे."

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