अमेरिका में विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे. मुद्दा है एक वाइट पुलिसवाले डेरेक शॉविन के टॉर्चर से एक ब्लैक नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड का मर जाना. इस पूरी घटना को नस्लवाद से जोड़कर देखा जा रहा है. कुछ इंडियन सेलेब्रिटी ने ‘#ब्लैक लाइव्ज़ मैटर’ हैशटैग का इस्तेमाल कर इस मूवमेंट से संवेदना व्यक्त की. जिनमें प्रियंका चोपड़ा, करण जौहर, करीना कपूर खान, दिशा पटानी, टाइगर श्रॉफ शामिल हैं. इन सेलेब्रिटीज़ पर अभय देओल का गुस्सा फूटा है.
ब्लैक’ लोगों की ज़िंदगी का मोल है और प्रवासी मजदूरों का?
‘ब्लैक लाइव्ज़ मैटर’ का मतलब है कि ‘ब्लैक लोगों की ज़िंदगी का मोल है’. अभय देओल ने इस रेफरेंस में इंस्टाग्राम पर एक खुद का लिखा हुआ नोट साझा किया. इस कागज़ पर उन्होंने लिखा था कि
# प्रवासी (मजदूरों) की ज़िंदगी का मोल है.
# अल्पसंख्यकों की ज़िंदगी का मोल है.
# गरीब लोगों की ज़िंदगी का मोल है.
यह नोट साझा करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा:
“शायद अब इनका टाइम है? अब जबकि ‘अन्याय के प्रति जागरूक’ इंडियन सेलेब्रिटी और मिडिल क्लास अमेरिकी सिस्टम में निहित नस्लवाद के खिलाफ एकजुटता दिखा चुके हैं, शायद अब वे देखें कि उनके घर के पिछले आंगन में यह किस रूप में फैला हुआ है. अमेरिका ने दुनिया में हिंसा फैलाई है, उन्होंने दुनिया को एक ज़्यादा खतरनाक जगह बनाया है. उनके बुरे कर्मों का फल उन्हें मिलना ही था. मैं यह नहीं कह रहा कि उनके साथ ऐसा होना चाहिए, लेकिन मैं कह रहा हूं कि पूरी तस्वीर को देखिए. मैं कहता हूं कि उनका समर्थन करो अपने खुद के देश की समस्याओं पर आवाज़ उठाकर. क्योंकि ध्यान से देखा जाए तो समस्या बिल्कुल वही है. मैं कह रहा हूं कि उनसे प्रेरणा लो, लेकिन जो वे कर रहे हैं, उसकी नकल मत करो. खुद का कुछ करो, अपना आंदोलन बनाओ, जो आपके खुद के देश के लिए सार्थक है. ‘ब्लैक लोगों की ज़िंदगी का मोल है’ वाला आंदोलन इसी बारे में है. बड़ी तस्वीर देखें, तो कोई ‘हम’ और ‘वे’ नहीं है. असलियत में कोई देश नहीं है. केवल एक ग्रह है, जो खतरे में है.
#migrantlivesmatter #minoritylivesmatter #poorlivesmatter
Black Lives Matter (पता करो कि इस आंदोलन का समर्थन करते हुए भी हैशटैग क्यों नहीं लगाना है.)
‘ब्लैक लाइव्ज़ मैटर’ कहते हुए इस हैशटैग का इस्तेमाल क्यों नहीं करना है?
किसी हैशटैग पर क्लिक करने से वे सभी पोस्ट सामने आ जाती हैं, जिनमें वह हैशटैग इस्तेमाल किया गया हो. इस तरह किसी मुद्दे से जुड़ी बहुत से लोगों की पोस्ट को इकट्ठे देखा जा सकता है.

फ़िलहाल इस मुद्दे पर विरोध कर रहे एक्टिविस्ट भी इस हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें दुनियाभर के लोगों तक पहुंचाने के लिए. विरोध प्रदर्शन की वीडियो मीडिया तक पहुंचाने के लिए. या प्रदर्शनकारियों के बीच कोई जरूरी जानकारी फैलाने के लिए. लेकिन चूंकि बहुत से घर बैठे हुए लोग इस हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए एक्टिविस्ट और प्रदर्शनकारियों की आवाज़ दब जाती है. इस हैशटैग पर इतने पोस्ट्स की भीड़ में उनकी पोस्ट्स खो जाती हैं. इसलिए बहुत से एक्टिविस्ट आम लोगों को इस हैशटैग को इस्तेमाल करने से मना कर रहे हैं.
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