एक मशहूर नाटक है जूलियस सीज़र. उसके तीसरे एक्ट में जब जूलियस को मारा जाता है, तोमारने वालों में एक अपना भी होता है.. ब्रूटस.. जूलियस का सबसे अच्छा दोस्त ...शुरू में सीज़र बाकी सभी दुश्मनों के वार सह लेता है, लेकिन जैसे ही वो ब्रूटस कोखंजर उठाए देखता है, वो पल सीज़र के लिए मौत से भी बदतर नज़र आता है. उसे एहसास होताहै कि हाथ मिलाने वाले ने ही उसके खून से अपने हाथ धोए हैं. सीज़र सिर्फ़ इतना कहताहै ... Et tu brute... यानी “ब्रूटस, तुम भी?” उस पल में सीज़र आखिरी उम्मीद भी खोदेता है. वह जान लेता है - अब मौत तय है. ये नाटक सिर्फ़ नाटक नहीं है, असल ज़िंदगीमें भी ऐसे तमाम किस्से हुए जब हाथ मिलाने वालों ने ही खून से हाथ रंगें हो.. बीतेदिनों हमारे पड़ोसी मुल्क ने एक बार फ़िर हमें धोख़ा दिया. गलतियां दोहराने से ठीकनहीं होती. ऐसे में हाथ मिलाने या न मिलाने के कितने मायने हैं? इतिहास में ऐसे कईकिस्से हैं, जहां पहले हाथ मिले और फ़िर मिल धोखा. क्या है इतिहास के ऐसे किस्सेजहां दोस्ती धोखे में बदल गई, जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.