The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • What will happen to gold jewelry after the Modi government's new rule on gold hallmarking?

सोने के गहनों पर मोदी सरकार बड़ा फ़ैसला ले रही?

मोदी सरकार के गोल्ड पर हॉलमार्किंग वाले नए नियम के बाद सोने के गहनों का क्या होगा?

Advertisement
Narendra Modi
पीएम नरेंद्र मोदी. (तस्वीर: एपी)
pic
लल्लनटॉप
16 जून 2021 (Updated: 16 जून 2021, 05:29 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
मानव सभ्यता का वो कौनसा दौर रहा होगा जब एक पीली चमकती धातु ने इंसान को आकर्षित किया होगा. जब इंसान ने बाकी धातुओं से ज़्यादा सोने को तरज़ीह देना शुरू किया होगा. इन सवालों के जवाबों पर हो सकता है विद्वानों में एक मत ना हो, लेकिन आज सोने की अहमियत कितनी है इस पर कोई संदेह नहीं. और सालों पुराने लगाव के बावजूद अब भी असली सोना पहचानना सबके बस की बात नहीं. हम सब के पास वो दक्षता नहीं है कि सोने को हाथ में लेते ही बता पाएं कि कितना सोना है और कितनी मिलावट है. सोने का गहना बताकर ठगी करने की खबरें अक्सर आती रहती हैं. और बहुत सामन्य सी बात है कि गहने में सोना कितना है और मिलावट कितनी है, ये हम देखकर नहीं बता सकते. एक ग्राम सोना अभी करीब 5 हजार रुपये का आता है. तो आभूषण में थोड़ी सी मिलावट से भी खरीदने वाले को बड़ा नुकसान और बेचने वाले को बड़ा फायदा हो जाता है. तो फिर कैसे तय हो कि हमने जो आभूषण खरीदा है उसमें उतना सोना है जितना हमें बताया गया है. उसकी क्या गारंटी होगी? यहीं बात आती है हॉलमार्क की. किसी आभूषण में कितना फीसदी सोना है, इसकी गारंटी की तरह होता है हॉलमार्क. अब हॉलमार्क को लेकर ही मोदी सरकार कुछ नए नियम लाई है जो आज यानी 16 जून से लागू हो रहे हैं. और ये फैसला अचानक लिया गया हो, ऐसा नहीं है. मोदी सरकार ने नवंबर 2019 में ही सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का ऐलान कर दिया था. ये 15 जनवरी 2021 से लागू होना था लेकिन इसे टाल दिया गया था. फिर एक जून और 15 जून की तारीख आई. और आखिरकार कल उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने ट्विटर पर नए नियम लागू होने का ऐलान किया. पीयूष गोयल ने लिखा - "ग्राहकों के बेहतर संरक्षण और संतुष्टि की सरकार की कोशिशों के तहत 16 जून से देश के 256 ज़िलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य होगी. अगस्त 2021 तक कोई पेनल्टी नहीं लगाई जाएगी." तो जैसा उपभोक्ता मंत्री बता रहे हैं, हॉलमार्किंग ग्राहकों के हित के लिए ही है या इसके पीछे सरकार का कोई और भी गणित है? इस पर बात करेंगे लेकिन पहले हॉलमार्किंग के पुराने नियमों की बात. हॉलमार्किंग ग्राहकों के हित के लिए ही है? आप सोने का कोई आभूषण ज्वेलर से खरीदते हैं तो वज़न के बाद उसका भाव इस आधार पर तय होता कि उसमें कितना कैरेट सोना है. 22 कैरेट है या 18 कैरेट है या 14 कैरेट है. शुद्ध सोना 24 कैरेट माना जाता है. लेकिन आभूषण शुद्ध सोने के नहीं बन सकते. उसमें और धातुएं मिलाई जाती हैं. 22 कैरेट सोने में 91.6 फीसदी सोना होता है और बाकी दूसरी धातुएं जो गहने की बनावट के लिए मज़बूती प्रदान करती हैं. इसी तरह 18 कैरेट सोने में 75 फीसदी शुद्ध सोना होता है. लेकिन ये मालूम कैसे चले कि जिस आभूषण को 22 कैरेट सोने का बताकर ज्वेलर ने बेचा है वो 22 कैरेट ही है, उससे कम नहीं है. ये तो लैब में जांच से ही मालूम चलेगा. और लैब में जांच करने के बाद उस आभूषण पर सोने की शुद्धता मार्क करने की प्रक्रिया ही हॉलमार्किंग है. इसका जिम्मा है सरकारी संस्था बीआईएस के पास. BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स. सोने की जांच के लिए देशभर में हॉलमार्किंग के सेंटर्स हैं, जिन्हें लाइसेंस मिलता है बीआईएस से. यहां आभूषणों की जांच होती है. और जांच के बाद जो हॉलमार्क लगाया जाता है उसमें 4 चीज़ें होती हैं. पहली- BIS का मार्क. दूसरा- गहना कितना कैरेट है, उसका निशानी. तीसरा - जिस हॉलमार्किंग सेंटर में जांच हुई है उसकी निशानी. और चौथा ज्वेलर की दुकान की निशानी. तो इस तरह से चार चिन्हों से हॉलमार्किंग होती है, लेकिन अब से पहले हॉलमार्किंग स्वैच्छिक थी. ग्राहक या ज्वेलर कराना चाहें तो ही होती थी. सरकारी आंकड़े के मुताबिक देश में सिर्फ 30 फीसदी गहने ही हॉलमार्किंग के साथ हैं. सरकार चाहती है सारे गहने हॉलमार्क्ड हों. इसलिए अनिवार्य हॉलमार्किंग वाला नियम लाया गया है. लेकिन ज्वेलर्स के संगठनों के विरोध की वजह से अनिवार्य हॉलमार्किंग वाले नियम में कुछ छूट दी गई हैं. तो छूट के साथ क्या नए नियम आए हैं - #1 पहली बात तो ये कि पूरे देश में एक साथ लागू करने के बजाय सरकार फेज़ वाइज़ नया नियम लागू कर रही है. पहले फेज़ में 256 ज़िलों में ही हॉलमार्किंग का नियम लागू हुआ है. #2 जिन ज्वैलर्स का सालाना टर्नओवर 40 लाख तक है उन्हें हॉलमार्क के नियम से छूट मिलेगी. माने सोने का काम करने वाले छोटे व्यापारी कुछ वक्त पुराने तरीके से काम कर पाएंगे. #3 अब 20 कैरेट, 23 कैरेट और 24 कैरेट की भी हॉलमार्किंग होगी. इससे पहले सरकार ने सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट की हॉलमार्किंग का ही नियम निकाला था. #4 घड़ियां, फाउंटेन पेन और कुछ खास तरह के गहनों पर हॉलमार्किंग की छूट रहेगी. अब ज्वेलर्स की तरफ आते हैं देश में ज्यादातर ज्वेलर्स हॉलमार्किंग नहीं कराते हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में कुल 4 लाख ज्वेलर्स हैं जिनमें से सिर्फ 35 हजार 879 ही बीआईएस सर्टिफाइड हैं. तो इसलिए जब अनिवार्य हॉलमार्किंग वाला नियम लाया गया तो ज्वेलर्स संगठनों ने विरोध किया. एक दलील ये दी गई कि देश में हॉलमार्किंग सेंटर्स ही पर्याप्त नहीं हैं. अभी सिर्फ 940 सेंटर्स पूरे देश में हैं. हॉलमार्किंग ज़रूरी होने के नियम पर ज्वेलर्स को किसी दूर के शहर में गहने ले जाकर हॉलमार्किंग करानी पड़ेगी, जिसमें लूट का खतरा रहता है. हमने सर्फारा कारोबार से जुड़ लोगों से इस नए नियम के बारे में बात की. तो एक तरफ ज्वेलर्स की चिंताएं हैं और दूसरी तरफ ग्राहकों के हितों की बात है. और इसी से जुड़ा सवाल ज़ेहन में ये भी आता है कि क्या हॉलमार्क के बाद शुद्धता की पूरी गारंटी होगी. अगर हॉलमार्क्ड आभूषण की टेस्टिंग होती है और उसकी शुद्धता में कमी मिलती है तो कौन जिम्मेदार होगा? अगर ऐसा होता है तो ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड एक्ट 2016 के मुताबिक हॉलमार्किंग सेंटर के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. दोषियों को एक साल या ज़्यादा की सज़ा हो सकती है. और कम से कम एक लाख रुपये का फाइन लग सकता है. साथ ही सेंटर की मान्यता भी रद्द हो सकती है. लेकिन ग्राहक की भरपाई कैसे होगी? बीआईएस की वेबसाइट के मुताबिक ग्राहक को हॉलमार्क से जितना कम सोना मिला है, उसकी कीमत के दोगुने के बराबर भुगतान होगा. अब बात आती है कि अगर आपके घर में सोने के गहने हैं, जिन पर हॉलमार्क नहीं है. तो उन गहनों का क्या होगा. इसका जवाब ये है उन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. गहने जब तक आपके पास हैं तब तक तो हॉलमार्क की ज़रूरत ही नहीं है. अगर ज्वेलर को बेचने जाएंगे तो भी उसमें हॉलमार्क की ज़रूरत नहीं है. हॉलमार्क का नियम सिर्फ सोने के गहने बेचने वाले ज्वेलर्स पर ही लागू होगा. आपसे खरीदे गए गहने को ज्वेलर पिघलाकर नए गहने बना सकता है. और उस नए गहने को बेचने के लिए फिर हॉलमार्किंग की ज़रूरत पड़ सकती है. तो अनिवार्य हॉलमार्किंग की पूरी बात ये है. हमारे पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक ये ग्राहकों के हित के लिए ज़रूरी पहल नज़र आ रही है. हो सकता है इसका कोई और पहलु भी हो जो हमसे छूट गया हो. अगर आपको सरकार के नए नियमों में कोई खामी लगती है तो हमें ज़रूर लिखें. कमेंट बॉक्स खुला है.

Advertisement