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क्या है कर्नाटक का पुलिस भर्ती घोटाला, जिसमें ADG रैंक के अधिकारी गिरफ्तार हो गए?

इस घोटाले में CID ने अब तक 70 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें सीनियर IPS अधिकारी अमृत पॉल भी शामिल हैं जिन्हें सरकार ने निलंबित कर दिया है.

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Karnataka Police
पुलिस भर्ती विभाग के पूर्व प्रमुख अमृत पॉल गिरफ्तार हुए (सांकेतिक तस्वीर-पीटीआई)
5 जुलाई 2022 (Updated: 5 जुलाई 2022, 18:53 IST)
Updated: 5 जुलाई 2022 18:53 IST
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कर्नाटक के पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती (PSI) घोटाले में सीआईडी ने सीनियर IPS अधिकारी अमृत पॉल को गिरफ्तार किया है. अमृत पॉल एडीजी रैंक के पुलिस अधिकारी हैं. इस साल अप्रैल में जब ये घोटाला सामने आया था, तब वे कर्नाटक पुलिस भर्ती विभाग के प्रमुख थे. सोमवार, 4 जुलाई को सरकार ने पॉल को सस्पेंड कर दिया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें एक लोकल कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद उनको 10 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया.

अमृत पॉल फिलहाल आतंरिक सुरक्षा विभाग के एडीजी थे. इससे पहले दो साल से भी अधिक समय तक वे पुलिस भर्ती विभाग के प्रमुख थे. पीएसआई परीक्षा में बड़े स्तर पर धांधली सामने आने के बाद मई में उनका ट्रांसफर किया गया था. पॉल की गिरफ्तारी से पहले सीआईडी ने उनसे कम से कम 4 बार पूछताछ की थी. पूछताछ के दौरान घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई थी.

CM को बर्खास्त किया जाए- राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने घोटाले में IPS अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया, 

“बीजेपी की खुल्लमखुल्ला भ्रष्टाचार और 'नौकरियों की सेल' ने कर्नाटक में हजारों युवाओं के सपनों को बर्बाद कर दिया है. मुख्यमंत्री (बसवराज बोम्मई) तब गृह मंत्री भी थे, उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके. प्रधानमंत्री ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया? क्या यह बीजेपी सरकार का 'सब खाएंगे, सबको खिलाएंगे' वाला पल है?”

वहीं कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा कि उनकी सरकार ने ही पूरे मामले को सबके सामने लाया है. उन्होंने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, 

“CID को मामले की जांच और किसी को नहीं छोड़ने के लिए खुली छूट दी गई है. पुलिस भर्ती के प्रमुख रहे एडीजी के खिलाफ सबूत मिलने के बाद उन्हें भी गिरफ्तार किया गया.”

क्या है PSI भर्ती घोटाला?

3 अक्टूबर 2021. पुलिस सब-इंस्पेक्टर के 545 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन हुआ. 54 हजार से ज्यादा कैंडिडेट परीक्षा में बैठे. ये उम्मीदवार फिजिकल एग्जाम के बाद शॉर्टलिस्ट किए गए थे. इस साल जनवरी में परीक्षा के नतीजे आए. 545 कैंडिडेट चुने गए.

परीक्षा में स्कैम की जानकारी सबसे पहले कलबुर्गी जिले से सामने आई. एग्जाम में चुने गए कैंडिडेट वीरेश की OMR शीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. उसकी ओएमआर शीट में 100 सवालों में सिर्फ 21 सवालों के जवाब दिए गए थे, लेकिन परीक्षा में उसे 121 मार्क्स मिले थे. इस आंसर शीट के वायरल होने के बाद छात्रों ने प्रदर्शन करना शुरू किया. शुरुआत में पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और वीरेश के खिलाफ केस दर्ज किया. 7 अप्रैल को सरकार ने मामला सीआईडी को सौंप दिया.

11 अप्रैल को पुलिस ने वीरेश को गिरफ्तार किया. सीआईडी ने कलबुर्गी सेंटर में एग्जाम देने वाले 4 कैंडिडेट और सेंटर के तीन निरीक्षकों को भी गिरफ्तार किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीआईडी ने जांच में पाया कि परीक्षा में कई तरह से नकल करवाई गई थी. कुछ कैंडिडेट ने OMR शीट को खाली छोड़ दिया, ताकि अंदर का कोई व्यक्ति उसे भर दे. कुछ कैंडिडेट ने परीक्षा देते हुए ब्लूटुथ डिवाइस का इस्तेमाल किया. इसके अलावा कई सेंटर पर निरीक्षकों ने कैंडिडेट को आंसर भी उपलब्ध कराए. रिपोर्ट बताती है कि कैंडिडेट्स ने परीक्षा में चुने जाने के लिए 30 से 80 लाख रुपये तक दिए थे.

सबसे आश्चर्य की बात परीक्षा में टॉप करने वाले कैंडिडेट की है. कौशल कुमार जे ने 200 में 167.5 अंक लाकर टॉप किया. उसे ऑब्जेक्टिव पेपर में 137.5 अंक और रिटन पेपर में 30 नंबर मिले थे. जांच में पता चला कि परीक्षा के बाद उसकी OMR शीट से छेड़छाड़ की गई थी. सीआईडी ने 8 जून को उसे भी गिरफ्तार किया.

'5 से 10 लाख रुपये एडवांस दिए गए'

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस भर्ती विभाग के स्टाफ ने स्ट्रॉन्ग रूम में रखी OMR शीट हासिल कर ली. घूस देने वाले कई कैंडिडेट्स की शीट को भर्ती विभाग के स्टाफ ने भर दिया. ये काम कई दिनों तक ऑफिस में दूसरे स्टाफ के आने के समये से पहले किया जाता था. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 

"कैंडिडेट्स ने 5 से 10 लाख रुपये एडवांस में दिए थे ताकि एग्जाम सेंटर और वहां के कमरे का पहले से पता हो."

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि घोटाले में शामिल कैंडिडेट के ओएमआर शीट में छेड़छाड़ भर्ती विभाग में ही की गई थी. उन्होंने दावा किया कि अमृत पॉल को इसके बारे में जानकारी थी. क्योंकि आंसर शीट्स एडीजी की कस्टडी में ही थीं, इसके बावजूद इस तरह की धांधली हुई. मामला बढ़ने के बाद 29 अप्रैल को कर्नाटक सरकार ने भर्ती परीक्षा रद्द करने का फैसला किया था. सरकार ने कहा था कि परीक्षा फिर से ली जाएगी.

परीक्षा में मुख्य रूप से कलबुर्गी और बेंगलुरु के परीक्षा सेंटर पर धांधली हुई. सीआईडी जांच में पाया गया कि बेंगलुरु के कई सेंटर पर एग्जाम देने वाले कैंडिडेट की OMR शीट से भी छेड़छाड़ की गई. इस घोटाले में CID अब तक कम से कम सात FIR दर्ज कर चुकी है. इसमें पांच केस बेंगलुरु में और दो कलबुर्गी में दर्ज किए गए हैं.

बीजेपी नेता का नाम

सीआईडी की जांच में ज्ञान ज्योति इंग्लिश मीडियम स्कूल का नाम सामने आया, जहां इस तरह की धांधली हुई. स्कूल की मालिक दिव्या हागरागी हैं जो कलबुर्गी में बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष रह चुकी हैं. जांच के बाद सीआईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया. दिव्या को घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक बताया जाता है. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने स्कूल में बड़े स्तर पर चीटिंग करवाई. सीआईडी ने इस स्कूल में पढ़ाने वाली एक और टीचर अर्चना को भी गिरफ्तार किया था. जांच में सामने आया कि इस स्कूल में परीक्षा आयोजित कराने की सुविधाएं नहीं थीं. यहां तक कि वहां सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे.

कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे ने आरोप लगाया था कि 300 से ज्यादा कैंडिडेट ने भर्ती के लिए अधिकारियों और बीजेपी के मंत्रियों को 70 से 80 लाख रुपये दिए. उन्होंने परीक्षा में शामिल होने वाले एक कैंडिडेट और एक बिचौलिए के बीच बातचीत का ऑडियो क्लिप जारी किया था. खड़गे ने दावा किया था कि इस घोटाले में बीजेपी के बड़े नेता शामिल हैं. वहीं पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने इसे '300 करोड़ रुपये का भर्ती घोटाला' बताया था. उन्होंने कहा था कि इस घोटाले और 50 हजार कैंडिडेट के साथ धोखे के लिए बीजेपी को जिम्मेदारी लेनी होगी.

इस मामले में CID ने अब तक 70 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें डीएसपी रैंक के अधिकारी, पुलिस भर्ती विभाग के कई स्टाफ, एग्जाम सेंटर के स्टाफ और 40 से ज्यादा 'सेलेक्टेड कैंडिडेट' भी शामिल हैं.

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