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एयरपोर्ट सिक्यॉरिटी पर जब्त होने वाला सामान जाता कहां है और उसका क्या होता है?

कस्टम डिपार्टमेंट किस तरह के सामान को जब्त कर सकता है?

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देश से बाहर से आने वाले अधिकांश सामान को कस्टम क्लीयरेंस से होकर गुजरना पड़ता है. (सांकेतिक फोटो-PTI)
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डेविड
29 जुलाई 2021 (Updated: 29 जुलाई 2021, 01:04 PM IST)
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हेडिंग नंबर1- दिल्ली एयरपोर्ट पर कस्टम्स को मिली कामयाबी, 2.50 करोड़ के iPhone और लैपटॉप समेत कई इलेक्ट्रॉनिक सामान जब्त
हेडिंग नंबर 2- हैदराबाद हवाई अड्डे पर जांबिया की महिला से 21 करोड़ की हेरोइन जब्त
हेडिंग नंबर 3- कस्टम विभाग ने चेन्नई एयरपोर्ट पर जब्त किया 58 लाख रुपये का ड्रग्स, दो गिरफ्तार
इस तरह की हेडिंग के साथ तमाम खबरें आपको पढ़ने-देखने को मिलती हैं. लेकिन ये बात शायद बहुत कम लोगों को पता होगी कि एयरपोर्ट पर कस्टम डिपार्टमेंट किसी सामान को कब जब्त करता है, वो इस सामान का करता क्या है, ये जब्त समान कहां जाता है और इसका होता क्या है. आज इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं. विदेश से एयरपोर्ट पर उतरने के बाद क्या होता है? जब भी कोई व्यक्ति विदेश से भारत आता है, तो एयरपोर्ट पर उतरते ही उसे एक फॉर्म भरना होता है. ये बताना होता है कि उसने क्या शॉपिंग की. हालांकि ये सभी यात्रियों पर लागू नहीं होता. ये सिर्फ उन पर लागू होता है जो विदेश से कोई ऐसा सामान ला रहे हैं, जिन पर टैक्स देना होता है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा कोई सामान अपने साथ नहीं लेकर आ रहा है, जिस पर उसे कस्टम ड्यूटी चुकानी हो, तो वह ग्रीन चैनल से गुजरता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति विदेश से ऐसा सामान ला रहा है, जिस पर उसे टैक्स देना है, तो उसे रेड चैनल से गुजरना होता है. दिल्ली एयरपोर्ट की वेबसाइट
पर इस बारे में कुछ गाइडलाइंस दी गई हैं.
Custum Form विदेश से आने वाले व्यक्ति को इस तरह का फॉर्म भरना पड़ता है.

लेकिन अगर कोई व्यक्ति विदेश से ऐसा सामान ला रहा है जिस पर टैक्स देना हो, और वह ग्रीन चैनल से गुजर जाए तो पकड़े जाने पर उसे पेनल्टी देनी होगी, उसका सामान जब्त हो सकता है, मुकदमा भी हो सकता है. कितने तक का सामान ला सकते हैं? विदेश से सामान लाने पर टैक्स देना पड़ता है. कितना टैक्स देना होगा. ये इस बात पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति ने कितने दिन विदेश में बिताए हैं.
नेपाल, भूटान या म्यांमार को छोड़कर बाकी देशों से आने वाले यात्री अपने साथ 50 हजार रुपए तक का सामान ला सकते हैं. नेपाल, भूटान या म्यांमार के संदर्भ में ये लिमिट 15 हजार रुपए है. इस लिमिट तक के सामान पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता है.
अगर कोई प्रोफेशन या कोई बिजनेसमैन तीन से छह महीने में इंडिया आता है तो उसे 60 हजार रुपए तक के हाउसहोल्ड आइटम्स पर छूट मिलती है.
Igi Airport सांकेतिक तस्वीर: पीटीआई

छह से 12 महीने विदेश में बिताने वाला एक लाख रुपये, एक से लेकर दो साल विदेश में रहने वाला दो लाख रुपये और दो साल से ज्यादा समय तक विदेश में रहने वाला पांच लाख रुपये तक के हाउसहोल्ड आइटम अपने साथ ला सकता है. लेकिन इसमें भी कई सारे टर्म एंड कंडीशन हैं.
इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, जैसे LED या LCD टीवी पर 36.5 प्रतिशत टैक्स देना होगा. इस तरह के कोई भी प्रोडक्ट, जो विदेश से खरीदकर लाए जा रहे हैं, उसकी वैल्यू काउंट की जाती है और फिर उस हिसाब से टैक्स देना होता है. अगर विदेश से आते समय आपके पास 10 हजार डॉलर या इससे ज्यादा की करेंसी है, तो आपको इसे डिक्लियर करना होता है. कस्टम विभाग सामान कब जब्त करता है? ये जानने के लिए हमने बात की एक कस्टम अधिकारी से. नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने हमें पूरी प्रक्रिया बताई. आगे जो भी जानकारी हम आपको देने वाले हैं ये उस अधिकारी के हवाले से है.
अधिकारी ने बताया,
मान लीजिए कि कोई विदेश से आ रहा है और उसने अपना सामान किसी काउंटर पर छोड़ दिया. ऐसे में जिस एयरलाइंस से उसने यात्रा की है वो एयरलाइंस उस सामान को हमारे पास लाएगी. हमें बताएगी कि किसी व्यक्ति का ये सामान छूट गया है. अगर सामान की पहचान हुई तो वो वेयरहाउस में जमा हो जाता है. हर एयरलाइंस का अपना वेयरहाउस बना होता है. ऐसे में जिस व्यक्ति का सामान होगा वो एयरलाइंस से संपर्क करेगा. या तो एयरलाइंस काउंटर डिलीवरी करा देगी या जिस व्यक्ति का समान छूटा है वो खुद आकर उसे ले जाएगा.
Flight मुंबई एयरपोर्ट पर फ्लाइट पकड़ने के लिए आते यात्री. प्रतीकात्मक तस्वीर- PTI.

अधिकारी ने एक और उदाहरण देते हुए बताया,
मान लीजिए आप एयरपोर्ट पर आए. आपने फोन पर बात करते-करते अपना समान किसी काउंटर पर छोड़ दिया. बैग पर कोई नेम प्लेट नहीं है. ऐसे में वह लॉस्ट (खोई) प्रॉपर्टी हो गई. ये सामान कस्टम के पास आएगा. क्योंकि कस्टम क्लियरेंस के बिना कोई सामान एयरपोर्ट से बाहर नहीं जाता है. कस्टम के पास सामान आने के बाद इसकी स्कैनिंग की जाती है. देखा जाता है कि कोई हानिकारक सामान तो नहीं है. देखा जाएगा कि अनजाने में तो नहीं छूट गया, या जानबूझकर तो किसी ने नहीं छोड़ दिया. इसके बाद उस सामान को एयपोर्ट के वेयरहाउस में रख दिया जाता है.
तीन महीने बाद होती है नीलामी इस तरह के दोनों केस में एयरपोर्ट वाले सामान को CWC यानी सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के वेयरहाउस में ले जाते हैं. वहां तीन महीने तक इंतजार किया जाता है. अगर तब तक कोई नहीं आया, किसी ने सामान पर क्लेम नहीं किया तो तीन महीने बाद इस सामान को कस्टम के डिस्पोजल सेक्शन में डाल दिया जाता है. वो सामाना की नीलामी करता है. इसके लिए कमिटी बैठती है. हर आइटम को नोट किया जाता है. उसकी वैल्यूएशन की जाती है और फिर उसका ऑक्शन किया जाता है. सरकारी ऑक्शन के लिए जो एजेंट होते हैं उनसे पूछा जाता है. एप्लीकेशन भेजी जाती है कि ये-ये सामान है आप लेना चाहते हैं क्या. अगर पांच लाख से कम का सामान है तो 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर दे दिया जाता है.
पांच लाख से ऊपर का सामान होगा तो उस केस में ऑक्शन होता है. उसके लिए सरकार के रजिस्टर्ड डीलर्स होते हैं जो ऑनलाइन बोली लगाते हैं. ई-ऑक्शन के जरिए जो भी प्लेटफॉर्म है, उसके जरिए बोली लगती है. अगर किसी ने कस्टम  ड्यूटी नहीं चुकाई तो? इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने बताया
पहली बात तो ये है कि एयरपोर्ट पर इंडियन कस्टम डिपार्टमेंट लोगों से जबरदस्ती ड्यूटी वसूलने के लिए नहीं बैठा है. कस्टम का काम स्मगलर पकड़ना है. क्योंकि वो लगातार स्मगलिंग करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि कोई पहली बार ट्रैवल कर रहा है या कई महीने बाद इंडिया आ रहा है, उसने लगेज रूल नहीं पढ़े और कोई ऐसा सामान अपने साथ ले आया जिस पर कस्टम ड्यूटी लगती है.
लिकर का उदाहरण लें. मान लीजिए कि कोई निर्धारित मात्रा से ज्यादा लीकर ले आया. एक बोतल ज्यादा ले आया. रूल कहता है कि कस्टम ड्यूटी चुकाने पर ही उसे अपने साथ इसे ले जाने की अनुमति है. लेकिन अगर कोई ड्यूटी नहीं जमा करता तो इस हालात में उसके सामने ही सामान को सील कर दिया जाएगा. एक रिसिप्ट कटेगी. एक कॉपी एयरपोर्ट के वेयरहाउस को मिलेगी और एक पैसेंजर को. कस्टम की सील लगेगी. पैसेंजर की मर्जी है कि वो तीन महीने में कभी भी अपना सामान छुड़ाने आए. जब भी सामान का मालिक अपना सामान छुड़ाने आएगा, उसे ड्यूटी चुकानी पड़ेगी.
अधिकारी ने बताया कि वेयरहाउस में जितने दिन सामान रहेगा, उसके हिसाब से चार्जेंस देने पड़ेगे. कुछ दिन फ्री होता है. फिर चार्ज लगते हैं. तीन महीने वाला रूल हर सामान पर लागू होता है? नहीं. तुरंत खराब होने वाले सामान पर तो बिल्कुल नहीं. इसके लिए कुछ नियम कायदे बने हैं. इसी के तहत आता है सीज करने के बाद तुरंत डिस्पोज करने लायक सामान. इस कैटिगरी के तहत आने वाले सभी सामान की सेल्फ लाइफ बहुत कम होती है. उसके तेजी से सड़ने या खराब होने की संभावना होती है. ये सामान नैचुरली खराब हो सकते हैं. कुछ पर उनकी एक्सपायरी डेट लिखी होती है. इनमें से कुछ के स्टोरेज के लिए विशेष व्यवस्था करनी होती है. ऐसे मामलों में मालिक को नोटिस जारी करने और अधिकारियों से आदेश मिलने के बाद सामान तुरंत डिस्पोज कर दिया जाता है. जैसे- फल,फूल, सब्जी, मांस, मछली, बिना डिब्बा बंद सामान. औषधी, जड़ीबूटी आदि.
सांकेतिक फोटो. सांकेतिक फोटो.

अधिकारी का कहना है कि आमतौर पर लोग खराब होने वाले सामान लेकर नहीं आते. रेयर केस में लाते हैं. जैसे कोई बैंकॉक गया. उधर से दो कॉर्टन सब्जी ले आया. अब हमें पता है कि सब्जी है. ऐसे में उसको वॉर्निंग के साथ छोड़ भी दिया जाता है. स्मगलिंग के सामान का क्या? वापस लौटते हैं उन न्यूज हेडिंग की तरफ, जिनका जिक्र हमने इस रिपोर्ट की शुरुआत में किया था. कस्टम अधिकारी ने बताया कि ऐसी चीजें जिन्हें स्मगलिंग करने लाया जा रहा है, जैसे सोना, हेरोइन, सिगरेट, तंबाकू. या अन्य कोई प्रोडक्ट, उनके पकड़े जाने पर आरोपी के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाता है. उसके खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी होता है. स्मलिंग के मामलों में केस चलता है. इसका निपटारा होने में तीन से चार साल लग जाता है. स्मगलिंग के मामले में अगर कोर्ट ने बोल दिया कि आप इसका ऑक्शन नहीं करेंगे, तो ऑक्शन नहीं होता है.
ऐसी चीजे हैं जैसे सिगरेट, तंबाकू, हेरोइन तो इन्हें जब्त करने के बाद प्रॉपर तरीके से नष्ट किया जाता है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की उपस्थिति में उसे डिस्पोज किया जाता है. इस मामले प्रॉपर ऑर्डर निकलता है. कमिश्नर ऑर्डर निकालते हैं. बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में सब चीजों का डिस्पोजल किया जाता है. सरकारी एजेंसियों के ग्राउंड में जाकर सामान जलाया जाता है. सोना पकड़ा गया तो क्या? अगर सोना पकड़ा गया तो इस तरह के मामले में स्मगलिंग का केस बनता है. पकड़े गए सोने को प्रॉपर तरीके से सील कर दिया जाता है. कोर्ट के ऑर्डर पर कमिटी बैठती है. कई अधिकारियों की मौजूदगी में गोल्ड पर फैसला होता है. इसके बाद गोल्ड इंडियन ट्रेजरी में जमा करा दिया जाता है.
एक और बात जान लीजिए. अक्सर आपने सुना, पढ़ा या देखा होगा कि फलां के दोस्त ने विदेश से गिफ्ट भेजा, या विदेश से गिफ्ट के नाम पर कस्टम ऑफिसर बन ठगी की. कस्टम अधिकारी ने बताया कि अगर विदेश से इस तरह का सामान आएगा तो कस्टम में आएगा ही नहीं. कार्गो में जाएगा. कार्गो अलग बने हैं. वहां से चीजें क्लियर होती हैं. दूसरी बात कि फोन पर कोई अधिकारी कस्टम ड्यूटी नहीं मांग सकता. एयरपोर्ट पर अधिकारी जब किसी सामान की कस्टम ड्यूटी के लिए चालान काटते हैं तो वो बैंक में जमा होता है ना कि उसे किसी अधिकारी को पे करना होता है. तो इस तरह के मामलों में फ्रॉड कॉल से सावधान रहिए. डोमेस्टिक के बारे में भी जान लीजिए अब तक जो बातें आपने जानीं वो इंटरनेशनल फ्लाइट्स से जुड़ी थीं. लेकिन भारत में एक शहर से दूसरे शहर जाते समय भी एयरपोर्ट पर सामान छूटता है. एयरपोर्ट पर सिक्यॉरिटी का जिम्मा संभाल रही CISF के एक अधिकारी ने बताया कि किसी व्यक्ति का सामान छूटने पर उसे कैसे वापस करना है.
इसे लेकर भी रूल बने हैं. छूट गए सामान को लेने का सिंपल तरीका है. यात्री खुद वो सामान ले सकता है. नहीं तो किसी को भेज सकता है. उसके पास अथॉरिटी लेटर, आईकार्ड और बोर्डिंग पास होना चाहिए. इसके बाद सामान उसे मिल जाता है.
अधिकारी ने बताया कि कई बार रूल के तहत जा नहीं पाते. ऐसे में सामान को NGO को दे दिया जाता है. कुछ सामान को 'लॉस्ट एंड फाउंड' में जमा करा देते हैं.  अधिकारी की मानें तो दिल्ली एयरपोर्ट पर ही हर महीने 50-60 करोड़ का समान छूट जाता है.

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