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अमेरिका में रेल बंद हो जाएगी?

अमेरिका में रेलवे कर्मचारी ने हड़ताल की धमकी क्यों दी?

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अमेरिका में रेलवे कर्मचारी ने हड़ताल की धमकी क्यों दी?
अमेरिका में रेलवे कर्मचारी ने हड़ताल की धमकी क्यों दी?
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साजिद खान
2 दिसंबर 2022 (Updated: 2 दिसंबर 2022, 10:01 PM IST) कॉमेंट्स
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अमेरिका में ग़दर कटी हुई है. पूरा रेलवे बंद होने की कगार पर पहुंच गया है. दरअसल, रेल स्टाफ़्स ने कुछ मांगें रखीं. कहा कि अगर नहीं मानी तो काम बंद कर देंगे. इस धमकी का ऐसा असर हुआ कि जो बाइडन की सरकार को संसद की शरण लेनी पड़ी. क्या है पूरा मामला? विस्तार से समझ लेते हैं.
ये कहानी 2021 में शुरू हुई. अमेरिका में रेलवे के स्टाफ़ ‘पेड सिक लीव’ की मांग लेकर आगे आए. पेड सिक लीव का मतलब बीमार पड़ने पर मिलने वाली ऐसी छुट्टी, जिसके लिए आपकी सैलरी ना कटे. अमेरिका में काम करने वाले 80 प्रतिशत कामगारों को ये सुविधा उपलब्ध है. बस रेलवे स्टाफ़ इससे महरूम रखे गए हैं. उनका कहना था कि ये सुविधा हमें भी दी जाए. लेकिन मेनेजमेंट इसके लिए तैयार नहीं हुआ.

2022 में इस मुद्दे ने फिर से ज़ोर पकड़ा. रेल स्टाफ़्स ने कहा कि अगर बात नहीं मानी गई तो हम हड़ताल में जाएंगे. हड़ताल के लिए 9 दिसंबर की तारीख तय हुई. जब हड़ताल की बात आई, तब सरकार जागी. उन्हें लगा कि अब मामला हाथ से निकल रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह हड़ताल से होने वाला आर्थिक नुकसान है. कितना नुकसान? कुछ बिंदुओं में समझ लीजिए,

 -अमेरिका में प्रतिदिन लगभग 70 लाख लोग रेलवे से सफ़र करते हैं. अगर हड़ताल हुई तो ये लोग इससे सीधे प्रभावित होंगे.

- रेलवे अमेरिका में सप्लाई चेन को जारी रखने के सबसे बड़े माध्यमों में से है. हड़ताल से ये सप्लाई चेन प्रभावित होगी. इसका सीधा असर छोटे-बड़े कारोबार पर पडे़गा.
दरअसल, कई इंडस्ट्रीज़ के पास कुछ दिनों का ही कच्चा माल बचा है. फ़ैक्ट्रीज़ को चालू रखने के लिए और कच्चा माल चाहिए. अगर इसमें रुकावट आई तो उन्हें अपना काम रोकना पड़ सकता है. इसके साथ तैयार माल की डिलीवरी भी प्रभावित हो सकती है.

- अनाज, ईंधन, केमिकल निर्माता पहले से ही दबाव महसूस कर रहे हैं. अमेरिका में माल की 40 फीसदी ढुलाई रेल से ही होती है. अगर 9 दिसंबर को हड़ताल शुरू होती है तो 09 हज़ार मालगाड़ियों का चक्का जाम हो जाएगा.

- अमेरिका की सरकार का कहना है कि इससे रोज़ाना 16 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो सकता है.

- गोल्डमैन सैक्स अमेरिका की एक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी है. उसके एनलिस्ट ने इस संभावित हड़ताल पर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर हड़ताल कुछ दिनों के लिए चलती है तो अमेरिका की 03 प्रतिशत अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. लेकिन अगर हड़ताल लंबी चलती है तो इसका बहुत बुरा परिणाम झेलना पड़ेगा. क्योंकि जब कच्चा माल कंपनियों तक नहीं पहुंचेगा तो उन्हें प्रोडक्श की रफ़्तार घटानी पड़ेगी.

ये तो हुई आशंकाएं. लेकिन इसकी नौबत आने से पहले ही सरकार ने निपटने की तैयारी शुरू कर दी. इसकी पहली कोशिश सितंबर 2022 में हुई.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रस्ताव रखा कि रेलवे कर्मचारियों के वेतन में 24 फीसदी की बढ़ोत्तरी की जाएगी और कुछ एक्स्ट्रा ‘पर्सनल डे लीव’ दी जाएंगी. इस समझौते में 12 यूनियन शामिल थे. इनमें से 8 ने बाइडन की पेशकश पर हामी भर दी. लेकिन 4 ने इसे ख़ारिज कर दिया. ख़ारिज करने वाले 4 यूनियन सबसे बड़े थे. उनका कहना था कि इस पेशकश में हमारी मूलभूत समस्या के बारे में बात ही नहीं की जा रही. समझौते पर सहमति नहीं बन पाई. दूसरे यूनियंस ने भी साफ़ कर दिया कि अगर हड़ताल की स्थिति बनी तो सभी यूनियन साथ रहेंगे.

ये तो हुआ सितंबर में. अभी क्या हुआ है? अब बाइडन सरकार ने इस हड़ताल को रोकने के लिए कानून का सहारा लिया है.  01 दिसंबर को संसद के ऊपरी सेनेट ने हड़ताल को गैर-कानूनी ठहराने वाला विधेयक पास कर दिया. अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया है. बाइडन के दस्तखत के बाद ये बिल कानून बन जाएगा. इस बिल में क्या है?

- इस बिल में रेलवे कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाले यूनियनंस पर कॉन्ट्रैक्ट डील थोपता है. कानून बनने के बाद अगर रेलवे वर्कर्स ने हड़ताल की तो उसे गैर-कानूनी माना जाएगा. इसे बाइडन सरकार अपने मन मुताबिक हैंडल कर सकेगी.

- इस बिल में पुराने समझौते को ही लागू किया गया है. जिसमें कर्मचारियों के वेतन में 24 फीसदी की बढ़ोत्तरी और साल में 5 हज़ार डॉलर माने 4 लाख रुपए के बोनस की बात है.

- अमेरिकी सेनेट के सदस्य बर्नी सैंडर्स ने बिल में संशोधन का प्रस्ताव रखा था. इसमें रेलवे स्टाफ़्स के लिए साल में सात पेड सिक लीव की बात कही गई थी. ये प्रस्ताव पास नहीं हो सका.
  
इससे पहले साल 1992 में अमेरिका में रेल रोड हड़ताल हुई थी. दो दिन चले इस हड़ताल में भारी नुकसान का नुकसान हुआ था. हालांकि, सरकार के हस्तक्षेप से इस हड़ताल को दो दिन में ही खत्म करा लिया गया था.

लेबर यूनियंस ने सितंबर में सरकार को 60 दिनों का समय दिया था. ये डेडलाइन 08 दिसंबर को खत्म हो रही है. सरकार उनकी मांगों को मानने की बजाय उनके ऊपर चाबुक चलाने की तैयारी कर रही है. जानकारों का कहना है कि सरकार विनम्र होने की बजाय उग्रता से निपटने की कोशिश कर रही है. अगर इससे बात नहीं बनी तो अमेरिका अपने इतिहास की सबसे बड़ी हड़ताल से जूझता दिख सकता है.

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