The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • UP government withdraws case against Shailendra Singh, former deputy SP who imposed POTA on Mukhtar Ansari

क्या था वो LMG कांड जिसमें यूपी STF ने मुख्तार अंसारी पर POTA लगा दिया था?

यूपी STF के डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह की कहानी.

Advertisement
Img The Lallantop
शैलेंद्र सिंह और मुख्तार अंसारी की फाइल फोटो.
pic
Varun Kumar
31 मार्च 2021 (Updated: 31 मार्च 2021, 11:18 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
यूपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर पोटा (POTA) यानी प्रिवेंशन ऑफ टेररिज़्म एक्ट 2002, लगाने वाले पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह को बड़ी राहत मिली है. उन पर दर्ज मुकदमा वापस ले लिया गया है. शैलेंद्र ने साल 2004 में ही नौकरी छोड़ दी थी और राजनीति में उतर गए थे. आजकल वो ऑर्गेनिक खेती करते हैं और बीजेपी से जुड़े हुए हैं. लेकिन बात यहां उस LMG कांड की जिसको लेकर मुख्तार अंसारी पर पोटा का मुकदमा दर्ज किया गया था. यूपी STF ने किया था खुलासा एलएमजी यानी लाइट मशीन गन. इस मशीन गन को मुख्तार एक करोड़ में खरीदना चाहता था, लेकिन एक अफसर ऐसा था जिसने ना केवल LMG को मुख्तार के हाथों में पहुंचने से रोका, बल्कि उसके खिलाफ पोटा के तहत केस भी दर्ज कर दिया. साल था 2004 और इस अफसर का नाम था शैलेंद्र सिंह. शैलेंद्र उन दिन यूपी STF में डिप्टी एसपी के पद पर तैनात थे. वो STF की वाराणसी यूनिट के प्रभारी थे. उस वक्त सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. संगठित अपराध खत्म करने के लिए बनी थी यूपी STF मुख्तार और बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की अदावत जगजाहिर थी. माना जाता है कि 2002 में मुख्तार को उन्होंने ब्रजेश सिंह के समर्थन से हराया था. वही ब्रजेश सिंह जिसे मुख्तार अंसारी का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता था. वो दौर यूपी में या यूं कहें कि पूर्वांचल में, संगठित अपराधों और गैंगवार का दौर था. इसी को खत्म करने के लिए यूपी STF का गठन किया गया था. यूपी STF ब्रजेश और मुख्तार के गुटों पर नजर बनाए रखती थी. इसी दौरान STF को कुछ पता चला.
Brijesh Mukhtar ब्रजेश सिंह और मुख्तार सिंह की फाइल फोटो

STF को सर्विलांस के जरिए पता चला कि मुख्तार अंसारी का गनर मुन्नर यादव सेना में सिपाही रहे बाबूलाल यादव से LMG खरीदने की बात कर रहा है. बाबूलाल सेना का भगोड़ा था, जो 32 राष्ट्रीय राइफल्स से LMG चोरी करके भागा था. इसी बंदूक को मुख्तार अंसारी खरीदना चाहता था. इसके लिए वो 1 करोड़ तक देने को तैयार था. कृष्णानंद राय की हत्या के लिए चाहिए थी LMG? शैलेंद्र सिंह ने इस पूरे मामले पर अपनी नजरें जमा ली थीं. 25 जनवरी 2004 को वाराणसी के चौबेपुर इलाके में शैलेंद्र ने छापा मारा और बाबूलाल यादव, मुन्नर यादव को गिरफ्तार कर लिया. मौके से 200 कारतूसों के साथ LMG को भी बरामद कर लिया. ऐसा माना जाता है कि कृष्णानंद राय की बुलेटप्रूफ कार को भेदने के लिए मुख्तार गैंग को इस LMG की जरूरत थी. इस घटना के करीब एक साल बाद, यानी साल 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या में AK-47 का इस्तेमाल किया गया था.
कृष्णानंद राय का फाइल फोटो कृष्णानंद राय का फाइल फोटो

शैलेंद्र सिंह ने चौबेपुर थाने में पोटा के तहत मुख्तार अंसारी पर केस दर्ज करा दिया. जिस फोन से खरीद की बातें हो रही थीं वो मुख्तार के साथी तनवीर के नाम पर था, लेकिन फोन को मुख्तार चलाता था. इस खुलासे से हडकंप मच गया. STF की ओर से बताया गया कि फोन कॉल में मुख्तार की आवाज है, लेकिन मुख्तार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि यह उसकी आवाज नहीं है. शैलेंद्र पर कई किस्म के दवाब पड़े लेकिन वो पीछे नहीं हटे. दवाब हद से ज्यादा बढ़ने लगा तो उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. शैलेंद्र के खिलाफ हुई FIR इसके कुछ महीनों के बाद कैंट थाने में उनके खिलाफ एक FIR कराई गई. डीएम ऑफिस में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लालजी की ओर से ये FIR कराई गई थी, जिसमें लिखा गया था कि DM ऑफिस के रेस्ट रूम में घुसकर शैलेंद्र सिंह और उनके साथियों ने तोड़फोड़ और हंगामा किया. इस मामले में शैलेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
इसके बाद शैलेंद्र सिंह राजनीति में आ गए. 2009 में वो कांग्रेस के टिकट पर चंदौली से लोकसभा का चुनाव लड़े. वो रहने वाले भी चंदौली के ही हैं. चुनाव में उनको 1 लाख से ज्यादा वोट मिले. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2012 में शैलेंद्र चंदौली की ही सैयद राजा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े, इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले शैलेंद्र ने बीजेपी जॉइन कर ली.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फाइल फोटो)
केस वापसी की कवायद साल 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनी. योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन गए. इसी के बाद से मुख्तार अंसारी की मुश्किलें बढ़ने लगीं. 2017 में ही योगी सरकार ने 20 हजार से अधिक राजनीतिक मुकदमे वापस लेने के फैसला किया था. इन्हीं मुकदमों की लिस्ट में शैलेंद्र सिंह वाला केस भी था. आखिरकार अब जाकर शैलेंद्र पर से ये केस हट गया है. शैलेंद्र ने इसको लेकर 30 मार्च 2021 को एक फेसबुक पोस्ट लिखी है,  जिसमें उन्होंने तत्कालीन सरकार पर आरोप भी लगाए हैं.
Shailendra Singh Facebook
आपको बता दें कि सहायक अभियोजन अधिकारी की तरफ से दी गई रिपोर्ट के आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, वाराणसी ने शैलेंद्र सिंह पर दर्ज केस को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश की कॉपी शैलेंद्र सिंह को भी मिल गई है, जिसे उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है और यूपी सरकार को धन्यवाद भी दिया है.

Advertisement

Advertisement

()