30 फीसदी देशों में बाईं तरफ चलते हैं, बाकी में दाईं तरफ, पता है ये अलग-अलग नियम क्यों बने?
Left-Right walking rule: भारत में सड़क पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए अब दाईं ओर चलने की बात हो रही है. क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे पहले कहां और कब बाईं ओर चलने का नियम बना था? और फिर दाईं ओर चलने का कॉन्सेप्ट कहां से आया?

सड़क पर दाएं चलना चाहिए या बाएं? आप भारत में रहते हैं तो ‘बाएं’ जवाब देंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में सिर्फ 30 फीसदी देश ही ऐसे हैं, जहां सड़कों पर गाड़ियों के या पैदल यात्रियों के बाईं ओर चलने का नियम है. भारत में भी इस पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्यों न पैदल यात्रियों को दाईं तरफ चलने का कोई रूल बनाया जाए ताकि वे सामने से आती हुई गाड़ियों को देख सकें और सुरक्षित रहें.
ये चर्चा भी सुप्रीम कोर्ट के एक सवाल से शुरू हुई है. दो दिन पहले यानी 5 अक्टूबर 2025 को सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) से जवाब मांगा कि क्या अमेरिका जैसे तमाम दूसरे देशों की तरह भारत में भी पैदल यात्रियों को सड़क के दाईं ओर चलने का नियम नहीं बनाया जा सकता?
जबलपुर के रहने वाले ज्ञान प्रकाश नाम के शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में तर्क दिया कि दाईं ओर चलने से सामने से आ रहे वाहन दिखते हैं, जिससे हादसे टाले जा सकते हैं.
लेकिन सैकड़ों सालों से ज्यादा समय से चले आ रहे इस नियम को बदल पाना और फिर उसे इंप्लीमेंट कर पाना क्या आसान होगा?
कब से बाएं से चलते आ रहे हैं लोग?पहली बार जापान में सड़कों पर बायें चलने के नियम के निशान मिलते हैं और ये बात आज से 400 साल से भी ज्यादा पुरानी है. 1603-1604 के आसपास जापान में सड़कों पर चलने के लिए एक अलिखित नियम था कि हर कोई बाईं तरफ ही चलेगा. लेकिन उस समय तो गाड़ियां थी नहीं. न कारें थीं. न बसें. सड़कों पर वाहन चलते ही नहीं थे. तो किससे खतरा था और किससे बचने के लिए बाएं चलने का यह नियम बनाया गया और क्यों?
कल्चर ट्रिप नाम के एक पोर्टल पर छपे एक लेख में इसका जवाब मिलता है. इसके मुताबिक, ऐसा नियम वहां के समुराई योद्धाओं की वजह से था. प्राचीन जापान में ये समुराई वो लोग होते थे जो अमीर लोगों, राजाओं या फिर जमींदारों के बॉडीगार्ड्स होते थे. उनके पास तलवारें होती थीं, जिनकी म्यान वो अक्सर बाईं तरफ पहनते थे. ऐसा इसलिए ताकि अभ्यस्त दायें हाथ से तलवारों को अचानक निकालना आसान हो. बाईं ओर म्यान की वजह जापान की संकरी सड़कों पर समुराई योद्धा एक किनारे पर (बाईं ओर) चलते थे ताकि साथी राहगीरों से उनके म्यान टकराएं नहीं. कहते हैं धीरे-धीरे यही नियम बन गया और समुराई के साथ सारा जापानी समाज सड़कों पर बाईं ओर चलने लगा.
जापान दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक है, जिस पर ब्रिटेन का शासन कभी नहीं रहा, लेकिन वहां आज तक सड़कों पर बाईं तरफ चलने का नियम बरकरार है.
बाएं चलने का, ब्रिटेन से क्या कनेक्शन है?रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट सुनील लाडवा अपने एक लेख में बताते हैं कि जब गाड़ियों का आविष्कार नहीं हुआ था, तब लोग यातायात के लिए घोड़े का इस्तेमाल करते थे. घोड़े पर बाईं ओर से चढ़ना और उतरना आसान था. जरूरत होने पर बीच सड़क न उतरना पड़े, इसलिए लोग खासतौर पर ब्रिटेन में सड़क के बाईं ओर चलने लगे. धीरे-धीरे चलने का यही अभ्यास बन गया. बाद में 19वीं सदी के अंत में जब मोटर गाड़ियां अस्तित्व में आईं तब भी यही नियम जारी रहा.
ब्रिटेन में साल 1835 में इस पर एक कानून बनाया गया कि सड़क पर सब लोग बाईं ओर चलेंगे. यह कानून उन सभी देशों में लागू हुआ, जो ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे. भारत, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कई देशों ने भी यही नियम अपनाया.
फिलहाल, दुनिया में लगभग 75 देश और क्षेत्र ऐसे हैं, जहां अब भी सड़क के बाईं तरफ गाड़ियां चलाई जाती हैं.
यूरोप में ऐसे देशों में शामिल हैं- चैनल द्वीप समूह (ग्वेर्नसे और जर्सी सहित), साइप्रस, आयरलैंड, आइल ऑफ मैन, माल्टा और यूनाइटेड किंगडम.
अफ्रीका में बोत्सवाना, एस्वातिनी, केन्या, लेसोथो, मलावी, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, नामीबिया, सेशेल्स, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, युगांडा, जाम्बिया और जिम्बाब्वे जैसे देशों में बाईं तरफ गाड़ियां चलती हैं.
एशिया में यह नियम भारत, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई, पूर्वी तिमोर, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, मकाऊ, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड में देखने को मिलता है.
दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, फिजी, किरिबाती, नाउरू, न्यूजीलैंड, नियू, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन द्वीप, टोंगा और तुवालु जैसे देशों में बाईं ओर गाड़ियां चलती हैं.
अन्य क्षेत्र और द्वीपीय राष्ट्रों में एंगुइला, एंटीगुआ और बारबुडा, बहामास, बारबाडोस, बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह, केमैन द्वीप समूह, डोमिनिका, फ़ॉकलैंड द्वीप समूह, ग्रेनाडा, गुयाना, जमैका, मोंटसेराट, सेंट हेलेना, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, तुर्क और कैकोस द्वीप समूह तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्जिन द्वीप समूह शामिल हैं.
फिर दाईं तरफ क्यों चलने लगे लोग?एक डेटा बताता है कि दुनिया में सिर्फ 30 फीसदी देशों में सड़क पर बाईं तरफ चलने का नियम है. बाकी दुनिया में लोग सड़कों पर न सिर्फ दाईं तरफ चलते हैं बल्कि गाड़ियां भी दाईं ओर ही चलती हैं. इसके कई कारण हैं.
एक तो फ्रांस का शासक नेपोलियन बोनापार्ट का बनाया नियम. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपोलियन खुद तो अपने सारे काम बाएं हाथ से करता था, लेकिन उसे अपनी सेनाओं को सड़क के दाएं तरफ मार्च कराना पसंद था. 18वीं और 19वीं सदी में जब नेपोलियन ने यूरोप के कई इलाकों पर कब्जा किया तो ये तरीका पूरे महाद्वीप में फैल गया. जब फ्रांस ने दाईं तरफ चलने को नियम बना लिया तो उसके आसपास के कई देशों ने भी वही कानून अपना लिया और सड़क के दाईं तरफ चलने लगे. फ्रांस, स्पेन या पुर्तगाल के पुराने उपनिवेशों में भी आमतौर पर दाईं तरफ चलने का ही नियम माना जाता है.
जब कारों का आविष्कार हुआ तो कहानी में एक नया मोड़ आया. 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिकी कार निर्माता हेनरी फोर्ड ने ‘मॉडल टी’ नाम की कार बड़े पैमाने पर बनानी शुरू की. इस कार का स्टीयरिंग बाईं तरफ होता था, जिससे इसे चलाने वाले लोगों को फुटपाथ की ओर उतरना आसान हो जाए. इसी वजह से अमेरिका में लोग सड़क की दाईं तरफ चलने लगे. बाद में जब अमेरिका दुनिया में कारों का बड़ा निर्यातक बना तो कई अन्य देशों ने भी इस अमेरिकी सिस्टम को अपना लिया और दाईं तरफ चलने लगे.
भारत में भी ‘राइट हैंड रूल’ की चर्चाभारत में पैदल यात्रियों की सड़क हादसों में मौतों का आंकड़ा देख सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर चलने के लिए बनाए गए नियमों में बदलाव की सिफारिश की है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ज्ञान प्रकाश ने एक आंकड़ा भी कोर्ट को बताया है. इसके मुताबिक, साल 2022 में 50 हजार सड़क हादसों में 18 हजार मौतें पैदल चलने वालों की हुई हैं. प्रतिशत में ये आंकड़ा 36 फीसदी बैठता है. इन हादसों को रोकने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह ट्रैफिक के नियमों को बदलने का आदेश दे और पैदल चलने वालों के लिए दाईं ओर चलने का नियम बनाए.
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