जिस तिल्ली की चोट की वजह से श्रेयस अय्यर को ICU में जाना पड़ा, वो जान भी ले सकती है
भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यल चोटिल हैं. ऑस्ट्रेलिया के साथ आखिरी वनडे मैच में वह एक कैच पकड़ने के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें 24 घंटे तक इंटेंस केयर यूनिट यानी ICU में रखना पड़ा था.
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भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज श्रेयस अय्यर चोटिल हो गए हैं. 25 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में उन्हें काफी गंभीर चोट आई. मैच के 34वें ओवर में वह ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज एलेक्स कैरी को आउट करने के लिए कैच पकड़ने पीछे की ओर दौड़े. कैच तो उन्होंने लपक लिया लेकिन इसके तुरंत बाद वह दर्द से कराहते हुए जमीन पर गिर पड़े. पहले तो अय्यर का उपचार मैदान पर ही किया गया, लेकिन जब इससे बात नहीं बनी तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
वहां पता चला कि उन्हें स्प्लीन में गहरी चोट लगी है. खबरें तो ये भी आईं कि अय्यर ड्रेसिंग रूम में बेहोश भी हो गए थे. पहले कहा गया कि उन्हें बाईं पसली पर चोट लगी है, लेकिन स्कैन करने पर पता चला कि उनकी Spleen यानी तिल्ली या प्लीहा में गंभीर चोट आई है और अंदर ही अंदर काफी खून बहा है.
क्या होती है स्प्लीन?रामैया मेमोरियल अस्पताल के जनरल सर्जरी विभाग के प्रमुख एवं सलाहकार डॉ. श्रीकांतैया हिरेमठ इंडिया टुडे को बताते हैं कि Spleen हमारे शरीर की एक मौन रक्षक होती है. यह खून को साफ करती है. खराब कोशिकाओं को हटाती है. प्लेटलेट्स और श्वेत रक्त कोशिकाओं (white blood cells) को जुटाकर रखती है. यह लिम्फेटिक सिस्टम (lymphatic system) का हिस्सा है, जो शरीर की इम्यून सिस्टम के लिए बहुत जरूरी है. भले इसका आकार सिर्फ एक मुट्ठी जितना होता है, लेकिन इसका काम शरीर की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है.

दरअसल, पेट के ऊपरी बाएं हिस्से में नरम, मुट्ठी के आकार के तिल्ली यानी प्लीहा (Spleen) के तीन मुख्य काम होते हैं.
खून को साफ करना.
पुरानी लाल रक्त कणिकाओं यानी red blood cells को नष्ट करना और
शरीर में किसी तरह के संक्रमण से लड़ना.
यानी जब इससे होकर खून गुजरता है तो तिल्ली यानी स्प्लीन उसके लिए फिल्टर का काम करता है. कोई भी वायरस या बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए इसमें श्वेत रक्त कणिकाएं (White blood cells) होते हैं. इसकी वजह से ही आपका खून साफ रहता है और आप किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचे रहते हैं. इसकी बनावट बहुत नाजुक होती है. इसमें खून की सप्लाई भी बहुत ज़्यादा होती है, इसलिए यह चोट लगने पर जल्दी डैमेज हो सकती है.
डॉ. हिरेमठ के मुताबिक, जब पेट के ऊपरी हिस्से पर जोरदार चोट या टक्कर लगती है. जैसे गिरने, सड़क हादसे या खेल के दौरान चोट में, तो प्लीहा (Spleen) फट सकती है. या उसमें चीरा पड़ सकता है. मेडिकल लाइन में इसे ‘लेसरेशन’ (Laceration) कहा जाता है. समय पर अगर इसकी पहचान न हो पाए तो यह Internal bleeding का कारण बन सकती है. खून अगर पेट के अंदर (abdominal cavity) रिसने लगता है तो यह बहुत जल्दी जानलेवा स्थिति में बदल सकता है.

एशियन हॉस्पिटल के इमरजेंसी और ट्रॉमा डिपार्टमेंट के प्रमुख और सलाहकार डॉ. ब्रजेश कुमार मिश्र मनी कंट्रोल को बताते हैं,
प्लीहा की चोट के 5 ग्रेड (स्तर) होते हैं. पहले दो ग्रेड में अगर मरीज की शरीर की स्थिति (vitals) स्थिर है तो बिना सर्जरी के इलाज (conservative management) किया जा सकता है. लेकिन तीसरे से 5वें ग्रेड की हालत में तुरंत सर्जरी की जरूरत होती है क्योंकि अगर इलाज में देरी हो जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है.
डॉ. हिरेमठ कहते हैं,
अगर मरीज का ब्लड प्रेशर सामान्य है और अंदर खून नहीं बह रहा है तो निगरानी (observation) और दवाओं से इलाज (conservative management) किया जा सकता है. लेकिन अगर ब्लड प्रेशर घटने लगे. भले ही फ्लूइड और ब्लड ट्रांसफ्यूजन दे दिया गया हो. तब सर्जरी (laparotomy) करनी पड़ती है ताकि खून का बहना रोका जा सके.

इसके लक्षणों पर डॉ. मिश्रा ने बताया कि Spleen फटने पर व्यक्ति को चक्कर आ सकते हैं. कमजोरी महसूस हो सकती है. वह पीला दिख सकता है. इसके अलावा पेट के बाईं तरफ या पसलियों के नीचे दर्द हो सकता है और कई बार यह दर्द बाएं कंधे तक भी महसूस होता है. ये सभी लक्षण इस बात के संकेत हैं कि शरीर के अंदर खून बह रहा है. ऐसी स्थिति में तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट मिलना जरूरी होता है.
प्लीहा या तिल्ली को कितनी चोट लगी है, इसका पता सीटी स्कैन करके ही लगाया जा सकता है.
और अंगों को भी करता है प्रभावित?डॉ. मिश्रा ने बताया कि अगर तिल्ली पर चोट लगती है तो खून पेट के अंदर के हिस्से (abdominal cavity) में रिसता है. इससे आसपास के अंगों, जैसे गुर्दे (kidneys), पेट (stomach) या फेफड़ों (lungs) पर दबाव पड़ सकता है. चूंकि प्लीहा खून को छानने और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (immune system) को मजबूत रखने में अहम भूमिका निभाती है, इसलिए अगर यह अंग डैमेज हो जाए तो शरीर की इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ सकती है.
श्रेयस अय्यर भारत के स्टार बैट्समैन हैं. उन्हें चोट लगने के बाद से ही उनके प्रशंसक टेंशन में हैं. उन्हें चिंता है कि श्रेयस इस चोट से कब ठीक होंगे और क्रिकेट के मैदान पर वापसी करेंगे. डॉ. मिश्रा का कहना है कि श्रेयस को अगर चोट हल्की लगी है तो आराम करने से लगभग 2 से 3 महीनों में वह ठीक हो सकते हैं, लेकिन अगर चोट गंभीर हो और स्प्लीन को हटाना पड़ेगा तब उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगेगा.
तिल्ली में अगर बहुत ज्यादा डैमेज हो जाए और उसे ठीक करना संभव न हो तो डॉक्टर स्प्लेनक्टॉमी (splenectomy) यानी Spleen को निकालने की सर्जरी करते हैं.

जिन लोगों के प्लीहा (spleen) में चोट लगी होती है, उन्हें आमतौर पर कुछ दिन तक ICU में निगरानी में रखा जाता है. श्रेयस अय्यर को भी कुछ समय तक ICU में रखा गया था. हालांकि, अब वो इससे बाहर शिफ्ट कर दिए गए हैं.
ज्यादा डैमेज होने पर splenectomy की जाती है, जिसमें प्लीहा को निकाल दिया जाता है. इसके बाद डॉक्टर मरीज को वैक्सीन लगाते हैं ताकि शरीर उन संक्रमणों से लड़ सके, जिनसे प्लीहा आमतौर पर सुरक्षा करती है. डॉ. हिरेमठ के मुताबिक,
श्रेयस का क्या है ताजा हाल?इस सर्जरी के बाद की देखभाल बहुत जरूरी होती है. स्प्लेनक्टॉमी के बाद मरीज को कुछ खास बैक्टीरिया से बचाव के लिए हम वैक्सीन लगाते हैं, क्योंकि अब शरीर की इम्यून डिफेंस का एक हिस्सा कमजोर हो जाता है. ज्यादातर मरीज सही इलाज और नियमित फॉलोअप से अच्छी तरह ठीक हो जाते हैं.
बीसीसीआई ने श्रेयस की जो हेल्थ अपडेट दी है, उसके मुताबिक, वह तेजी से ठीक हो रहे हैं और उनकी हालत अब स्थिर है. सोमवार, 27 अक्टूबर को उन्हें सिडनी के अस्पताल में आईसीयू (ICU) से बाहर शिफ्ट कर दिया गया है. बीसीसीआई के मुताबिक, अय्यर को अस्पताल से छुट्टी मिलने में अभी कुछ दिन लग सकते हैं. अभी वह सिडनी में ही हैं और खबर है कि उनके परिवार के लोग भी उनकी देखभाल के लिए सिडनी रवाना होने वाले हैं.
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