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क्या महाराष्ट्र में छह महीने में गिर जाएगी नई सरकार?

औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर नाराज चल रही सपा और AIMIM ने मतदान में भाग नहीं लिया

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शरद पवार और एकनाथ शिंदे (फोटो: इंडिया टुडे)
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4 जुलाई 2022 (Updated: 4 जुलाई 2022, 23:39 IST)
Updated: 4 जुलाई 2022 23:39 IST
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महाराष्ट्र में आज बहुमत परीक्षण का दिन रहा. शिवसेना में तोड़फोड़ कर सरकार बनाने वाले सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को सरकार के स्थाइत्व के लिए बहुतम साबित करना था. उम्मीद के मुताबिक शिंदे सरकार ने बहुमत हासिल कर लिया. सरकार को 164 विधायकों का समर्थन मिला. विपक्ष में 99 वोट पड़े. वोटिंग के वक्त 266 विधायक सदन में मौजूद थे. इनमें से तीन विधायकों ने वोट नहीं डाला. 21 विधायक सदन से गैरहाजिर रहे. कांग्रेस के कई विधायकों ने आरोप लगाया कि उन्हें वोट नहीं देने दिया गया. विधानसभा की तरफ से जानकारी आई कि गेट बंद होने के बाद जो विधायक पहुंचा. उसको एंट्री नहीं मिली.

NCP के नवाब मलिक और अनिल देशमुख वोट नहीं डाल पाए क्योंकि वो जेल में हैं. NCP के दिलीप मोहित, नरहरी जिरवाल सरीखे नेता वोट नहीं डाल पाए, कांग्रेस की तरफ से अशोक चौहाण, जीशान सिद्दकी जैसे विधायक भाई सदन में नहीं पहुंच पाए. जब के समाजवादी पार्टी के दो विधायक अबु आजमी रईस शेख और AIMIM के एक विधायक शाह फारुख अनवर सदन से अनुपस्थित रहे. खबर ये भी आई कि एक कांग्रेस विधायक भी वोट देने नहीं आए. आज तक के सूत्रों के मुताबिक ऐसा अशोक चौहाण और बालासाहेब थोराट के बीच आतंरिक मतभेद की वजह से हुआ.

बड़ी बात ये रही कि अब तक शिंदे कैंप में शिवसेना के 55 में से 39 विधायक थे. आज एक और विधायक की संख्या बढ़ गई. संतोष बांगर जो इस पूरे घटनाक्रम के वक्त ठाकरे परिवार के वरदहस्त रहे. आज भगवा गमछा कांधे पर रखकर विधानसभा पहुंच. उन्होंने भी शिंदे कैंप ज्वाइन कर लिया और सरकार के समर्थन में वोट किया. सदन में बहुतम हासिल करने के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा बीजेपी और शिवसेना की सरकार बाला साहेब ठाकरे के सपनों को पूरा करने के लिए बनी है. मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैं राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर बोल रहा हूं. ये इवेंट ऐतिहासिक है क्योंकि हमने हिम्मत जुटाई.

यहां तक विधानपरिषद की वोटिंग के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुझसे पूछा था कहां जा रहे हो, कब आओगे, मैंने कहा था- पता नहीं. उन्होंने हमारे घरों पर पत्थर फेंकने का भी आदेश दिया. मगर आप लोगों को बता देना चाहता हूं. एनकाथ शिंदे के घर पर पत्थर फेंकने वाला कोई पैदा नहीं हुआ है. मैंने 35 साल दिन रात शिवसेना के लिए काम किया.

सदन में बोलते हुए शिंदे कुछ पुरानी बातें भी खोली. उन्होंने कहा 

"मैं तो पहले भी शिवसेना का सीएम बन सकता था, लेकिन मुझे बताया गया कि उस वक्त अजित पवार और कुछ लोगों ने विरोध किया था. मगर अजित पवार ने एक मीटिंग में कहा कि हमारा मुख्यमंत्री एक दुर्घटना है. मैं फिर उनसे पूछा कि क्या आपने उस वक्त मेरा विरोध किया था? उनकी तरफ से साफ किया गया कि उन्होंने कुछ नहीं किया, ये आपकी पार्टी का आंतरिक मामला था."

इसके आगे बोलते हुए सीएम शिंदे ने कहा "संभाजी नगर का नामकरण, अपने मंत्रियों से सावरकर, दाऊद कनेक्शन पर हम बात नहीं कर सके.हम इस तरह कितनी देर तक चुप बैठ सकते थे."

वोटिंग के दौरान विपक्ष की तरफ से ईडी-ईडी के नारे लग गए. इस पर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जवाब देते हुए कहा 

"हां महाराष्ट्र में ईडी की मदद से सरकार बनी है."

उन्होंने ई को एकनाथ शिंदे और डी को देवेंद्र फडणवीस बताया. देवेंद्र फडणवीस यह भी बोले कि मैंने कहा था कि मैं वापस आऊंगा, लेकिन जब मैंने ऐसा कहा तो कई लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया. मैं आज वापस आया हूं और एकनाथ शिंदे को अपने साथ लाया हूं. मैं उन लोगों से बदला नहीं लूंगा जिन्होंने मेरा मजाक उड़ाया. दरअसल 2019 में देवेंद्र फडणवीस ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था 

"मेरा उतरता पानी देख, मेरे किनारे पर घर मत बना लेना. मैं समंदर हूं, लौटकर आऊंगा."

इस दौरान सदन में उद्धव ठाकरे तो मौजूद नहीं थे, क्योंकि वो सदन के सदस्य नहीं है. मगर इसके बाद उन्होंने पार्टी की बैठक बुलाई. शिवसेना जिलाध्यक्षों के सामने उद्धव ठाकरे ने कहा 

"लड़ना हो तो मेरे साथ रहो, शिवसेना को खत्म करने का बीजेपी का ये कदम है. ऐसे खेल को खेलने की बजाय चलो जनता के दरबार में चलते हैं, हम गलत हुए तो लोग हमें घर पर ही बिठा देंगे. देश की आजादी के अमृत जयंती वर्ष में महाराष्ट्र में जो शुरू हुआ है, उसके बारे में सभी सच बोलें, विधानसभा का मनमाना आचरण संविधान का अपमान है."

इसके अलावा सरकार की शपथ से पहले शिवसेना के मुखपत्र सामना में लेख छपा, जिसमें शिंदे गुट को निशाने पर लेते हुए लिखा गया. 

"शिंदे समूह के विधायकों की मदद से भाजपा ने विधानसभा का चुनाव जीत लिया है. वर्तमान मुख्यमंत्री की तरह विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल नार्वेकर एक ऐसे गृहस्थ हैं, जो स्वयं को पहले शिवसैनिक कहा करते थे. शिवसेना, राष्ट्रवादी और अब भाजपा इस तरह से सफर करते हुए वे विधानसभा अध्यक्ष के पद तक पहुंच गए. उन्हें पता होता है कि कब और कहां पैर रखना है. भारतीय जनता पार्टी में शिवसेना या महाराष्ट्र की अस्मिता को परास्त करने की क्षमता और साहस नहीं है. शिवसेना में ही तोड़-फोड करके उनमें से किसी एक को शिवसेना के खिलाफ खड़ा कर दिया जाता है. इसलिए भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया, इस पर हमारे हैरान होने की तो कोई वजह नहीं है. विधायक आए, भगवा साफा पहनकर बालासाहेब की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए निष्ठा का नाटक किया. लेकिन उन सभी के चेहरे साफ गिरे हुए दिख रहे थे. उनका पाप उनके मन को कचोट रहा था, ऐसा उनके चेहरों से साफ प्रतीत हो रहा था."

अखबार और जुबानी तकरार के बीच एक लड़ाई शिवसेना सुप्रीम कोर्ट के रास्ते भी चाहती है. जहां उसे आज झटका लगा है. दरअल हुआ ये कि सदन में नए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना के चीफ व्हिप का दर्जा दे दिया. जबकि उद्धव ठाकरे अपने किसी विश्वासपात्र को बनाना चाहते थे. मगर शिंदे गुट ने दावा किया कि वही असली शिवसेना है. चीफ शिंदे गुट का होने के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे की टीम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. याचिका में स्पीकर के एक्शन पर रोक लगाने की मांग की गई. व्हिप चीफ और लीडर ऑफ पार्टी को पद से हटाने का मुद्दा उठाया. शिवसेना के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि नए स्पीकर ने व्हिप जारी किया है, व्हिप पर स्पीकर का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा, 11 जुलाई को बाकी मामलों के साथ सुनवाई होगी. इससे पहले पहुंचे तमाम मामलों की सुनवाई की तारीख सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को दी है.

ये तो हो गई शिवसेना और शिंदे सेना के बीच की कहानी. अब आते एक्चुअल विपक्ष पर, जिसे 2019 में भी विपक्ष में रहने का मैंडेट मिला था. उनकी खेमे से पहली खबर ये कि NCP नेता और पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार को नेता विपक्ष बनाया गया है. फ्लोर टेस्ट से पहले NCP अध्यक्ष शरद पवार ने बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा 

"शिंदे सरकार 6 महीने से ज्यादा नहीं चलेगी. महाराष्ट्र में बनी सरकार 6 महीने में गिर सकती है, ऐसे में सभी को मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए." 

बड़ी बात ये है कि ऐसा कोई बयान शरद पवार की तरफ से सार्वजनिक तौर नहीं आया. बल्कि उनके हवाले से NCP के एक विधायक ये दावा किया. आज तक में छपी खबर के मुताबिक वो बोले कि पवार ने कहा कि शिंदे के साथ जो बागी विधायक हैं उनसे में बहुत से मौजूदा व्यव्स्था से खुश नहीं हैं. जैसे ही मंत्रालय बांटे जाएंगे तो सब बाहर आ जाएंगे. इसका नतीजा यही होगा कि सरकार गिर जाएगी. विधायक के मुताबिक, शरद पवार ने कहा कि हमारे पास ज्यादा से ज्यादा छह महीने हैं, ऐसे में NCP विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारें.

इस पर कांग्रेस की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई. संजय निरूपम ने ट्वीट कर लिखा  

"शरद पवार जी ने सही भविष्यवाणी की है. महाराष्ट्र की नई सरकार की आयु बहुत छोटी हो सकती है. खासकर जब छोटी पार्टी को गठबंधन में सत्ता का बड़ा हिस्सा मिल जाए तो बड़ी पार्टी सतत असहज रहती है. यही असहजता सरकार को स्थिर नहीं होने देगी." 

जब उद्धव ठाकरे की सरकार बनी थी तब बीजेपी की तरफ से यही कहा गया कि ये सरकार नहीं चलेगी. तब संजय राउत दावा करते थे कि ये सरकार 5 नहीं 50 साल चलेगी. जबकि हम सबने देखा मात्र ढाई साल में ही सरकार गिर गई. अब ठीक वैसे ही दावे और भविष्यवाणी इस नई सरकार के लिए विपक्षियों की तरफ से की जा रही है. ऐसे सरकार कितनी दिन चलेगी ये कह नहीं सकते. ऐसी भविष्यवाणी करने का रिस्क या तो नेता या फिर ज्योतिष ही ले सकते हैं. 

वीडियो: शिंदे और फड़णवीस ने विश्वास मत जीता, लेकिन क्या सरकार शरद पवार के आगे टिकेगी?

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