कौन है ये आदमी, जिसका चेहरा 'मनी हाइस्ट' वाले चोरों के मास्क पर दिखता है
जानी-मानी हस्ती है जनाब, हल्के में नहीं लेने का.
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मनी हाइस्ट में लाल कपड़ों में ये मास्क पहनकर चोरी की जाती है (बाएं) दायीं तरफ सल्वाडोर डाली, जिनके चेहरे के आधार पर ये मास्क बने हैं. फोटो: Wikiart.org
लाल कपड़ों में कुछ लोग स्पेन की रॉयल मिंट लूटने के लिए घुस आए हैं. शहरों के नाम वाले लोग. बर्लिन, तोक्यो, डेनवेर, मॉस्को, हेलसिंकी, ओस्लो, रियो, नैरोबी. एक मास्टरप्लान के साथ, जिसके पीछे 'प्रोफेसर' का दिमाग है. ये वो लोग हैं, जिन्हें समाज में 'लूज़र्स' कहा जाता है, लेकिन उन्हें लगता है कि वो 'रेजिस्ट' कर रहे हैं. उस व्यवस्था के ख़िलाफ़, जहां 'सांस्थानिक चोरी, चोरी ना भवति.' वो स्टेट के दुश्मन हैं, क्योंकि अंत में हैं तो वो अपराधी ही, लेकिन बहुतों के लिए रॉबिनहुड भी हैं. इन लाल कपड़ों वालों ने एक मास्क पहन रखा है, जिसमें भौंहें तरेरती एक शक्ल पर बड़ी-सी मूंछे हैं, जो आंखों की तरफ जाती दिखती हैं.चोरी के लिए जाते समय डेनवेर मास्क के बारे में पूछता है, ''ये मूंछ वाला आदमी कौन है?''
उसका बाप मॉस्को जवाब देता है, ''डाली. एक स्पेनिश पेंटर.''
डेनवेर कहता है, ''पेंटर? जो पेंट करता है?''
मॉस्को अपनी सीमित जानकारी में झेंपते हुए सिर हिलाता है, ''हां.''
ये वेब सीरीज़ 'मनी हाइस्ट' का सीन है, जिसका चौथा सीजन नेटफ्लिक्स पर आया है. मॉस्को जिस स्पेनिश 'पेंटर' का नाम ले रहा था, वो हैं आर्टिस्ट सल्वाडोर डाली. लेकिन सिर्फ पेंटर नहीं. इससे कुछ ज़्यादा. इससे बहुत ज़्यादा.

मनी हाइस्ट बैंक रॉबरी के बैकड्रॉप पर बनी सीरीज है. इसका स्पैनिश नाम La casa de papel है. 3 अप्रैल को नेटफ्लिक्स पर इसका चौथा सीजन आया है.
पहला विश्व युद्ध और आर्ट मूवमेंट
बीसवीं सदी का दूसरा दशक खत्म हो रहा है. पहले विश्व युद्ध का असर हवा में मौजूद है. रूसी क्रांति अभी हुई ही है. तमाम लेखकों-कलाकारों पर रूसी क्रांति के बाद मार्क्सवाद का प्रभाव पड़ा. यूरोप और अमेरिका में एक आर्टिस्ट मूवमेंट शुरू हुआ, जिसे 'डाडा मूवमेंट' कहा गया. इसे 'डाडाइज़्म' भी कहते हैं. ये पूंजीवाद के तर्कों, उसके कथित सौंदर्य और कॉन्सेप्ट के विरोध में शुरू हुआ. तर्कों के परे, बिगड़ैल किस्म का आर्टिस्टों का मूवमेंट.
इनका मानना था कि बुर्जुआ मूल्यों की वजह से ही विश्व युद्ध की स्थिति आई. इसमें पेंटिंग के अलावा स्कल्पचर, साउंड पोएट्री, परफॉरमेंस आर्ट जैसी चीज़ें शामिल थीं. इस मूवमेंट से एक और मूवमेंट प्रभावित हुआ. Surrealism Movement. हिंदी में इसे अतियथार्थवाद कहा जाता है. इस पर भी कम्युनिज़्म और अनार्किज़्म का प्रभाव था. इसमें रोज़ाना की चीज़ों का इस्तेमाल सिंबॉलिक तरीके से विज़ुअल आर्ट बनाने में किया गया, ताकि मनुष्य के अवचेतन मन को एक्सप्रेस किया जा सके, जहां तमाम उल्टे-सीधे खयाल भरे पड़े हैं.

Surrealism Movement के आर्टिस्ट्स का एक ग्रुप, जिसमें डाली आगे बीच में दिख रहे हैं. फोटो: Widewalls
'आर्ट सुपरस्टार'
इन अतियथार्थवादी आर्टिस्ट में से एक बड़ा नाम. सल्वाडोर डाली, जिन्हें उनके जीनियस काम के अलावा विवादों, विरोधाभासों, शानो-शौकत वाली ज़िंदगी और सनकी रवैये की वजह से जाना गया. मॉडर्न आर्ट के इतिहास में इतने सम्मानित कि कई बार उन्हें 'द' पाब्लो पिकासो के बराबर खड़ा किया जाता है. उन्हें टेलीविजन युग का पहला 'आर्ट सुपरस्टार' भी कहते हैं. पेंटिंग, स्कल्पचर आर्ट (मूर्तिकला), ग्राफिक आर्ट के अलावा भी उन्होंने बहुत से काम किए. जूलरी डिजाइनिंग, थिएटर सेट डिजाइनिंग, आर्किटेक्चर, फैशन से लेकर फोटोग्राफी तक. उनके ज़्यादातर काम 'सपनों' जैसे हैं, जिसमें वो भ्रमित करने वाले कैरेक्टर बनाते हैं. दुनिया जैसी है, उसकी जगह अपनी दुनिया खड़ी करते हैं. 1930 के दशक में वो इस आर्टिस्टिक मूवमेंट के अगुआ बन गए.

डाली अक्सर फोटो खिंचाते समय भौंहें सिकोड़ते थे और वैक्स के ज़रिए उन्होंने मूछों को एक आकार दिया, जो उनकी आइकॉनिक इमेज बन गया. फोटो: Artsy
पिता से खिटपिट और दूरी
11 मई, 1904 को जन्मे. स्पेन के कातालूनिया में. उनके जन्म से नौ महीने पहले ही उनके भाई की मृत्यु हो गई. भाई का नाम सल्वाडोर था. डाली पैदा हुए, तो उनका नाम भाई के नाम पर ही रख दिया गया. मिडिल क्लास परिवार था. पिता वकील और नास्तिक थे. साथ ही उनके सख्त मिजाज़ के चलते डाली से उनकी कभी नहीं बनी. लेकिन मां फेलिपा फेरेस ने डाली को आर्ट के क्षेत्र में काफी प्रोत्साहित किया. जब डाली 16 साल के थे, तब उनकी मां कैंसर के चलते नहीं रहीं. मां की बहन से उनके पिता ने शादी कर ली. डाली इसे लेकर सहज नहीं थे. इससे पिता से उनकी दूरियां बढ़ती चली गईं.

1910 में डाली परिवार. फोटो: विकीमीडिया
कम्युनिज़्म और मोहभंग
डाली ने मैड्रिड के फाइन आर्ट्स एकेडमी में पढ़ाई की, लेकिन अपनी ग्रैजुएशन पूरी नहीं कर सके. आर्ट स्कूल से दो बार उन्हें निकाला गया. 1923 में एक बार स्टूडेंट प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने की वजह से. दूसरी बार 1926 में परीक्षा में बैठने से इनकार करने पर. इसी साल वो अपने आदर्श पाब्लो पिकासो से पेरिस में मिले. स्पेनिश कवि फेदिरिको गार्सिया लोर्का से उनकी तगड़ी दोस्ती हुई. सिगमंड फ्रायड का उनके काम पर काफी प्रभाव पड़ा. युवावस्था में उन पर कम्युनिज़्म का प्रभाव था. धर्म के विरोधी थे. 1924 में कुछ समय के लिए जेल भी गए. 1929 में आधिकारिक तौर पर सररियलिज़्म ग्रुप जॉइन किया. 1931 में मजदूरों और किसानों के हितों में भाषण देने लगे. लेकिन ग्रुप में राजनीतिक मतभेद उभरने लगे और धीरे-धीरे डाली का स्टैंड बदलने लगा. उनका मोहभंग हो गया.

लोर्का (दाएं) के साथ सल्वाडोर डाली. फोटो: विकीमीडिया
उनकी कुछ मशहूर पेंटिंग
उनकी पहली पेंटिंग, जो सार्वजनिक है, वो उन्होंने छह साल की उम्र में बनाई. 1910 में. टाइटल था Landscape of Figueres. इसमें प्रकृति को लेकर उनकी संवेदनशीलता दिखती है. अपने मृत भाई को लेकर डाली ने बाद में एक फेमस पेंटिंग बनाई. पोर्ट्रेट ऑफ माय डेड ब्रदर. उनकी सबसे फेमस पेंटिंग 1931 की 'परसिस्टेंट ऑफ मेमरी' है, जिसमें पिघलती हुई पॉकेट वॉच दिखाई गईं हैं.

डाली की सबसे मशहूर पेंटिंग. पर्सिस्टेंस ऑफ मेमरी. फोटो: Wikiart.org
इसके अलावा द बर्निंग ज़िराफ, लॉब्सटर टेलीफोन, स्वांस रिफ्लेंटिंग एलीफैंट्स, द ग्रेट मास्टरबेटर, द फेस ऑफ वॉर, Raphaelesque Head Exploding उनकी कुछ फेमस पेंटिंग हैं. 1946 में डाली ने डिज़्नी के साथ मिलकर एक एनिमेटेड फिल्म 'डेस्टिनो' पर भी काम किया. 32 साल की उम्र में उनकी टाइम मैगजीन में तस्वीर छपी.

डाली की पेंटिंग Swans Reflecting Elephants. इसमें आप ध्यान से देखेंगे तो हंसों की परछाईं के साथ पानी पर हाथी भी दिखाई देंगे. फोटो: Wikiart.org
'मैं ख़ुद ड्रग्स हूं'
डाली पर बड़बोले, आत्ममुग्ध और सनकी होने के आरोप लगे. कहा गया कि डाली पब्लिसिटी स्टंट करते हैं. वो ख़ुद को कई दिनों तक बंद कर लेते थे. खुद को एक्स्ट्रीम पर ले जाते थे, ताकि अवचेतन मन को ऑब्जर्व किया जा सके. इसे Paranoic Critical Method कहा गया. वो अजीबो-गरीब हरकतें भी करते थे. 1939 में एक प्रदर्शनी में उनके आर्टवर्क में उनसे पूछे बिना कुछ बदलाव किए गए. यहां उन्होंने गुस्से में आकर प्रदर्शनी में लगा एक बाथटब खिड़की से नीचे फेंक दिया. 1955 में सॉरबॉन यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने वो रॉल्स रॉयस से आए और इसमें बहुत सारी फूलगोभियां भरी हुई थीं. डिनर के बाद रेस्टोरेंट में चेक के पीछे स्केच बना देते थे. 1970 में अमेरिका के 'डिक कैवेट शो' में वो ऐंटईटर नाम का जानवर ले आए थे. सनकी होने के आरोप पर उन्होंने कहा,
मुझमें और एक सनकी आदमी में एक ही अंतर है. वो ये कि मैं सनकी नहीं हूं.उन पर ड्रग्स लेने के आरोप भी लगे, जिससे उन्होंने इनकार किया. उन्होंने कहा,
मैं ड्रग्स नहीं लेता. मैं ख़ुद ड्रग्स हूं.

डाली की पेंटिंग द फेस ऑफ वॉर जिसमें उन्होंने युद्ध की व्यर्थता दिखाई. फोटो: Wikiart.org
दोस्तों ने फासिस्ट होने के आरोप लगाए
1936 में स्पेनिश सिविल वॉर शुरू हुआ. 1939 में स्पेन के तानाशाह फ्रैंको की जीत के बाद डाली ने फ्रैंको की तारीफ की. दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद उन्होंने फ्रैंको का समर्थन किया. वो फ्रैंको से कई बार मिले, जिसकी वजह से उनका विरोध शुरू हो गया. पिकासो ने कहा कि पूरी ज़िंदगी वो डाली का नाम नहीं लेंगे. तमाम कम्युनिस्ट साथियों ने उन पर फासिस्ट होने का आरोप लगाया. सररियलिस्ट ग्रुप के आंद्रे ब्रेटन ने 1934 में आरोप लगाया कि डाली के मन में हिटलर को लेकर भी सॉफ्ट कॉर्नर है. इसके बाद उन्हें सररियलिस्ट ग्रुप से निकाल दिया गया.

पोर्टेट ऑफ डेड ब्रदर, जो डाली के मृत भाई पर आधारित थी. फोटो: विकीमीडिया
डाली और गाला- अ लव स्टोरी
1922 में वो गाला से मिले थे, जो उनकी म्यूज बनीं. गाला शादीशुदा थीं और डाली से दस साल बड़ी थीं. डाली उनसे बेइंतहा प्रेम करते थे. गाला की शादी टूट गई. इसके बाद दोनों ने 1934 में शादी की. दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ, तो दोनों अमेरिका चले गए और आठ साल तक वहीं रहे. यहां डाली ने विज्ञापनों में भी काम किया.
1982 में 87 साल की उम्र में गाला की मौत के बाद डाली टूट गए. खाने-पीने से इनकार कर दिया. मौत की इच्छा जताई. डाली को पार्किंसन हो गया. जिस दाहिने हाथ से उन्होंने तमाम मास्टरपीस दिए, वो कांपने लगा. 1983 में डाली की अंतिम पेंटिंग प्रदर्शित हुई. The Swallow's Tail. पार्किंसन होने के बावजूद उनकी इस पेंटिंग में एकदम क्लियर लाइन खींची गई हैं. कुछ इसे तारीफ की तरह देखते हैं, कुछ सवाल उठाते हैं. ये पेंटिंग फ्रेंच मैथमटीशियन रेने थॉम की थ्योरी पर आधारित थी. नवंबर 1988 में उन्हें हार्ट की समस्या को लेकर अस्पताल में भर्ती किया गया. 23 जनवरी, 1989 को वो नहीं रहे.

सल्वाडोर डाली और उनकी प्रेमिका, पत्नी, म्यूज़ गाला. फोटो: Daliuniverse.com
जब खोदी गई कब्र
कातालूनिया में डाली थियेटर और म्यूज़ियम है. यहीं पर उनकी कब्र है. उत्तराधिकार के एक दावे पर 26 जून, 2017 को मैड्रिड के एक जज ने डाली की कब्र खुदवाने को कहा. DNA सैंपल के लिए. इसका डाली फाउंडेशन की तरफ से काफी विरोध हुआ. लेकिन 20 जुलाई को कब्र खोदी गई और सैंपल लिया गया. पता चला कि दावा झूठा था और डाली का DNA नहीं मैच हुआ. इसके अलावा फ्लोरिडा में सल्वाडोर डाली म्यूज़ियम है. 2008 में 'लिटिल ऐशेज' फिल्म बनी, जिसमें डाली का किरदार 'ट्विलाइट' फिल्मों के मशहूर ऐक्टर रॉबर्ट पैटिंसन ने निभाया. वूडी ऐलेन की मिडनाइट इन पेरिस (2011) में भी डाली को दिखाया गया. ये किरदार 'द पियानिस्ट' वाले एड्रियन ब्रॉडी ने किया था.

बाद के दिनों में डाली जादूगरों जैसे लुक में रहते थे. उनकी मूंछे आइकॉनिक पहचान बन गईं. फोटो: विकीमीडिया
ऐसे ही थे डाली. किसी जादूगर की तरह हाथ में छड़ी लिए हुए. फोटो खिंचाते समय चिढ़ने जैसा एक्सप्रेशन बनाने वाले. वैक्स से अपनी आइकॉनिक मूछों को खास आकार देने वाले. अपने हिसाब से जीने और बहुत कुछ पीछे छोड़ जाने वाले. खिलंदड़, संवेदनशील और विवादित. एक बेतरतीब जीनियस. सिर्फ 'पेंटर' से कुछ ज़्यादा. बहुत ज़्यादा.
आयुष्मान खुराना ने 'मनी हाइस्ट' देखा और 'प्रॉफेसर' बनने की रिक्वेस्ट कर दी