The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • know full story of sitaram singh murder case, which lalu yadav pointing out after nitish kumar resigns as bihar chief minister

उस मर्डर केस की पूरी कहानी, जिसमें नीतीश कुमार आरोपी हैं

एक वोटर को वोट देने से रोकने के लिए नीतीश ने चला दी थी गोली.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
लल्लनटॉप
26 जुलाई 2017 (Updated: 27 जुलाई 2017, 07:50 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि नीतीश ने हत्या के एक केस में फांसी होने के डर से सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी का साथ कबूल कर लिया. दी लल्लनटॉप अपने रीडर्स के लिए लाया है उस हत्या की पूरी असल कहानी, जिसमें नीतीश की राइफल से निकली गोली से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
बिहार के मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के बाद जब लालू यादव से रिएक्शन मांगा गया, तो उन्होंने कहा कि नीतीश फांसी से डर गए हैं. लालू ने कहा, 'नीतीश फांसी से डर गए हैं, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. नीतीश पर हत्या और आर्म्स ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. इन मामलों में उन्हें फांसी से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. उन्होंने गलत कागजात देकर जमानत करवाई है. वो सजा से डर गए हैं. हमने नीतीश का दिल कभी नहीं दुखाया.'

lal

लालू जिस मामले की बात कर रहे हैं, उसे जानने के लिए हमें 1991 का रुख करना पड़ेगा. नवंबर का महीना था. तारीख थी 16. बिहार के बाढ़ संसदीय क्षेत्र में मध्यावधि चुनाव हो रहे थे. तब नीतीश कुमार जनता दल के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरे थे. शाम के चार-पांच बजे का वक्त था और वोटिंग बंद होने ही वाली थी. बाढ़ के पंडारक थाने के ढीबर मध्य विद्यालय में वोटिंग चल रही थी. इसी दौरान बूथ पर फायरिंग हो गई, जिसमें ढीबर गांव के कांग्रेस कार्यकर्ता सीताराम सिंह की मौत हो गई.

बिहार के अखबार प्रभात खबर के मुताबिक मामले में केस दर्ज करवाने वाले अशोक सिंह ने अपने परिवाद पत्र में कहा था कि नीतीश कुमार के साथ उस समय तत्कालीन मोकामा विधायक दिलीप सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव थे. ये सभी बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस थे. अशोक सिंह ने आरोप लगाया था कि इन लोगों ने सीताराम को वोट डालने से मना किया था. जब सीताराम ने उनकी बात नहीं मानी, तो नीतीश ने अपनी राइफल से गोली चला दी और सीताराम की मौके पर ही मौत हो गई. सीताराम के अलावा उनके साथ रहे सुरेश सिंह, मौली सिंह, मन्नू सिंह और रामबाबू सिंह भी गोली लगने से घायल हो गए.

nitish-k

अशोक सिंह के परिवाद पत्र पर बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजन कुमार ने 31 अगस्‍त 2010 को अशोक के बयान और दो गवाहों रामानंद सिंह और कैलू महतो की ओर से पेश किए गए सबूतों के आधार पर आईपीसी की धारा 302 (जिसकी सजा छह महीने से लेकर उम्रकैद तक है) के तहत नीतीश और दुलारचंद यादव को नौ सितंबर 2010 को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था. हालांकि, नीतीश कुमार कोर्ट में पेश नहीं हुए और हाई कोर्ट में अपील कर दी, जिसके बाद कोर्ट ने बाढ़ अनुमंडल अदालत की पेशी के आदेश पर रोक लगा दी. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मर्डर केस में नीतीश से जुड़े सभी मामलों को हाई कोर्ट भेजने के लिए कहा. तब से ये मामला हाई कोर्ट में ही लंबित है. वहीं जब नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के बाद लालू यादव ने उन पर हत्या के इस केस के आधार पर हमला बोला, तो मृतक सीताराम सिंह के भाई राधाकृष्ण ने लालू की बात का समर्थन किया. वो कहते हैं, 'लालू यादव ठीक कह रहे हैं. मेरे भाई की हत्या की गई थी, जिसका मामला अभी तक चल रहा है. हमें इंसाफ मिलने का इंतजार है.' नीतीश के शपथ पत्र में भी है केस का जिक्र लालू ने नीतीश पर जो आरोप लगाए हैं, उसका जिक्र नीतीश के एमएलसी चुनाव के दौरान दिए गए शपथ पत्र में भी है. शपथ पत्र के मुताबिक नीतीश पर कोर्ट ने जिस केस का संज्ञान लिया है, उसमें आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307 के साथ ही 27 आर्म्स ऐक्ट के तहत मुकदमा चल रहा है. मुकदमा 16 नवंबर 1991 को दर्ज किया गया था. शपथ पत्र के मुताबिक पुलिस ने जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी, जिसे बाढ़ के एसीजेएम ने 5 अगस्त 2008 को स्वीकार कर लिया था. इसके बाद अशोक सिंह ने 20 जनवरी 2009 को एसीजेएम के सामने एक कंप्लेन फाइल की, जिसे दो गवाहों के बयान के आधार पर कोर्ट ने केस स्वीकार कर लिया. 31 अगस्त 2009 को कोर्ट ने मामला चलाने की स्वीकृति दे दी, जिस पर 8 सितंबर 2009 को पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी. तब से ये मामला हाई कोर्ट में ही लंबित है और सालों से इसमें कोई सुनवाई नहीं हुई है.

सुनिए राधाकृष्ण क्या कह रहे हैं:-

 
दी लल्लनटॉप के लिए ये आर्टिकल अविनाश ने लिखा है.
पढ़िए नीतीश के इस्तीफे से जुड़ा ये एनालिसिस:

इन वजहों से नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा

नीतीश अब क्या करने वाले हैं, ये 30 साल पहले की बात से पता चलता है

इधर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया, उधर ट्विटर पर ताजिये निकाल दिए गए

Advertisement

Advertisement

()