आसमान में ऐसा क्या होने वाला है, जिसे हर इंसान जीवन में सिर्फ एक बार ही देख पाएगा
इससे पहले ये 300 साल पहले हुआ था
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21 दिसंबर को आकाश में कुछ ऐसा नजर आएगा जिसे हर इंसान जिंदगी में सिर्फ 1 बार ही देख पाएगा. (फोटो-नासा)
आसमान में यह घटना कब होगी?
जूपिटर और सैटर्न का आकाश में इस तरह से करीबी आमना-सामना 21 दिसंबर 2020 को होगा. इससे पहले यह घटना 1623 में हुई थी. मतलब तकरीबन 397 पहले इसे कुछ लोगों ने देखा होगा. ये वही वक्त था, जब इटली के खगोलशास्त्री गैलिलियो दूरबीन के जरिए आकाश को निहार रहे थे. तब से आज तक तकनीक मीलों आगे बढ़ चुकी है. इस खास घटना को देखने का मौका फिर मिल रहा है. कोलकाता के एमपी बिरला प्लैनेटोरियम के डायरेक्टर देबी प्रसाद दुआरी का कहना है कि
अगर दो ग्रह इतने करीब आते हैं कि धरती से भी उन्हें देखा जा सके तो यह अपने आप में अद्भुत घटना होती है. इसका खगोल शास्र में काफी महत्व है.

इस तरह की खगोलीय घटनाएं सैकड़ों बरसों में एक बार होती है.
कितने करीब होंगे दोनों ग्रह?
आप इतना समझ लीजिए कि ये बस इतने करीब होंगे कि एक ही नजर आएंगे. इस खास घटना को डबल प्लैनेट के नाम से भी जाना जाता है. मतबल एक साथ दो प्लैनेट नजर आएंगे. चूंकि दोनों साथ-साथ दिखेंगे तो एक बड़े चमकीले तारे की तरह से नजर आएंगे. हालांकि इनके बीच की दूरी 75 करोड़ किलोमीटर के आसपास होगी. ये दोनों ग्रह फिलहाल एक दूसरे के करीब आते जा रहे हैं. 21 दिसंबर को सबसे करीब होंगे. नासा के अनुसार, इस तरह के कंजंक्शन हर 20 साल पर होते हैं, लेकिन ज्यादा करीब आने की घटना कई सौ बरसों में एक बार ही होती है.

वृहस्पति और शनि सैकड़ों बरसों के बाद इतने करीब आ रहे हैं. (फोटो-नासा)
क्या इस खगोलीय घटना का कोई खास नाम है?
इस तरह की घटना को एस्ट्रोनॉमी में कंजंक्शन कहते हैं. देबी प्रसाद दुआरी के अनुसार
जब धरती से दो ग्रह एक दूसरे से करीब आते देखे जा सकें, तो उसे कंजंक्शन कहते हैं. लेकिन वृहस्पति और शनि जैसे बड़े ग्रह जब लंबे वक्त के बाद एक दूसरे के करीब आते हैं तो उसे ग्रेट कंजंक्शन कहा जाता है.

21 दिसंबर को शनि और वृहस्पति इतने करीब आ जाएंगे कि नंगी आंख से एक सिर्फ एक चमकीले तारे की तरह दिखेंगे. (फोटो-नासा)
कोई और नाम?
इसे 'क्रिसमस स्टार' और 'स्टार ऑफ बेथलेहम' के नाम से भी जाना जाता है. 1614 में जर्मनी के महान खगोलविद जॉन केपलर ने इस घटना को लेकर एक खास थ्योरी दी थी. उनके अनुसार इस खास कंजंक्शन को ही लोगों ने वह चमकता तारा कहा था, जिसे देखकर जीसस के पैदा होने की बात किसी बुद्धिमान इंसान ने बाइबल की कहानियों में कही थी. फिलहाल सच जो भी हो, लेकिन अपने आप में यह बहुत ही विलक्षण है.
इसे देखें कैसे?
अगर आप 21 दिसंबर को इस कंजंक्शन को देखना चाहते हैं तो नंगी आंखों से आपको दोनों ही ग्रह एक बड़े चमकीले तारे की तरह नजर आएंगे. लेकिन इन्हें बेहतर तरीके से देखने के लिए एक छोटी दूरबीन या टेलिस्कोप से काम चल सकता है.

दूरबीन से देखने पर कुछ ऐसा नजर आएगा 21 दिसंबर का आकाश. (फोटो-नासा)
अगर 21 दिसंबर को बदल छा गए?
इस खास घटना का मजा 16 दिसंबर से लेकर 21 दिसंबर तक लिया जा सकता है. इन 5 दिनों में दोनों ग्रह काफी करीब होंगे. हालांकि ये दोनों ग्रहों इन 5 दिनों में भी काफी करीब आते जाएंगे लेकिन इसे धरती से देखने पर ज्यादा फर्क नहीं पता चलेगा.
अगली बार ग्रेट कंजंक्शन कब होगा?
जूपिटर और सैटर्न के बीच इस तरह का अगला कंजंक्शन 15 मार्च 2080 में होगा. दोनों ग्रह फिर से करीब होंगे, हालांकि तब भी दोनों ग्रह इतने करीब नहीं होंगे जितने इस बार आ रहे हैं. इसके बाद अगला मौका सन 2400 में ही होगा जब ग्रेट कंजंक्शन देखा जा सकेगा.
इसे देखने का फायदा क्या है?
आम लोगों के लिए इसे देखने का सुख एक खास खगोलीय घटना को देखने के तौर पर ही है. लेकिन एस्ट्रोनॉमर्स के लिए ऐसी घटनाओं का बहुत महत्व होता है. ग्रहों के बीच बनने वाले इस खास संयोग के वक्त कई तरह की खास खगोलीय घटनाएं होती हैं. जैसे ग्रहों की एक दूसरे पर छाया पड़ना, उनका खास स्पेक्ट्रम दिखाई देना. इन्हें एस्ट्रोलॉजर दर्ज करते हैं. इनके आधार पर ब्रह्मांड के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिशें की जाती हैं.
तो फिर आप भी मौका मत चूकिए, 16 दिसंबर से 21 दिसंबर के बीच आकाश निहारने के लिए अपनी दूरबीन और टेलिस्कोप झाड़पोछ कर बाहर निकाल लीजिए.