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अपनी आजादी तो भइय्या लौंडिया के तिल में है

गुलाल. फिल्म नहीं एक पाठ है. ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोस्तां, देखते कि मुल्क सारा ये टशन में थ्रिल में है.

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केतन बुकरैत
13 मार्च 2020 (Updated: 13 मार्च 2020, 08:41 AM IST)
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अनुराग कश्यप. पहली फिल्म - पांच. सेंसर बोर्ड ने बैन कर दी. दूसरी फिल्म - ब्लैक फ्राइडे. कोर्ट ने रोक लगा दी. तीसरी फिल्म - गुलाल! बजट नहीं. इसलिए लोकेशन भी नहीं. फिल्म शुरू होने से लेकर रिलीज़ होने के बीच में 9 साल का अंतर. अपनी कुलबुलाहट को कैसे शांत रखा होगा कश्यप ने, या तो अल्लाह जाने या मोहल्ला. फिल्म में भरपूर झस. छात्र राजनीति में नकली नैशनलिज्म का तड़का. एक भाई जो लेनिन का भक्त. जिसके लिए कोई कंट्री-वंट्री कुछ नहीं. उसका छोटा भाई रंग सने चेहरों के सामने चीखता है कि उन्हें जंग छेड़नी है. आज़ादी की जंग! राजपूताना को वापस लाने की जंग! बड़ा भाई कहता है कि
इस मुल्क ने हर शख्स को जो काम था सौंपाउस शख्स ने उस काम की माचिस जला के छोड़ दी.
फ़िल्म के सभी किरदार ऐसे कि जिनमें एक अजीब सी मिस्ट्री छुपी हो. ऐसा कश्यप की हर फिल्म में होता ही है. डायलाग ऐसे कि जुबान पे चढ़ जाएँ. ऐसा भी होता ही है. लड़के के कहने पर कि मैं मध्य प्रदेश से हूँ, जब पुलिस वाला कहता है कि मध्य प्रदेश से तो सब हैं चू*ये, तू कहाँ से है? तो न चाहते हुए भी हंसी आ जाती है. फिर हम ढूँढने लगते हैं एक ऐसे लौंडे को जो मिलने पर कहे 'मैं मध्य प्रदेश से हूँ.' क्यूंकि हम भी उससे वही कहना चाहते हैं जो पुलिस वाले ने कहा था. ये फिल्म जब देखी थी तो एक चेहरा आँखों के सामने से हट नहीं रहा था. गोल चश्मा ताने, बैंड बाजे वालों की ड्रेस पहने, गले में जॉन लेनन की फोटू लटकाए, हारमोनियम बजाता एक इंसान जिसे लोग पागल समझते हैं. उस इंसान को घर के बाहर कदम न रखने की हिदायत दी गयी है. खोज खबर की तो मालूम चला ये थे पीयूष मिश्रा. मेरी इनकी ये पहली मुलाकात थी. इसके बाद इनसे जगह जगह मिलता रहा. किताबों से लेकर गानों तक में. फिल्मों में इनका आना और भी फ्रीक्वेंट हो गया. मगर फिल्मों में पीयूष मिश्रा नाम के सूरज का उदय गुलाल से ही हुआ था. ये बात खुद पीयूष मिश्रा भी कहते हैं. उनका कहना ये भी है कि अनुराग कश्यप उनकी समझ से बाहर हैं और कितनी ही बातों पर दोनों में जूतम-फेंक तक की नौबत आ जाती है. लेकिन गुरु उनका कहा चाहे जो भी हो, दोनों की जोड़ी एकदम वैसी ही मारू है जैसे सचिन और सहवाग. आगे बढ़ने से पहले स्वानंद किरकिरे और पीयूष मिश्रा का गाया ये गाना. मेरा मानना ऐसा है कि अगर ये गाना दो बार सुनाया जाए तो ब्लड प्रेशर हाई होने से नसें फट सकती हैं. स्वानंद किरकिरे वो हैं जिन्हें पीयूष मिश्र कहते हैं कि वो फिल्म इंडस्ट्री में गाने की फील को समझ के गाने वाले एकमात्र सिंगर हैं. https://www.youtube.com/watch?v=yQ0t8LcL498   1.1 "जी मुझे वार्डन से मिलना है." "अन्दर आ. अन्दर आ. अन्दर आ बे... कुण्डी क्या तेरा बाप मारेगा? बंद कर. . . . कल तू लाका आया था? तेरे चश्मे का पॉवर कितना है?" "जी?" "अंधे के साथ बहरा भी है? चश्मे का पॉवर कितना है?" "माइनस टू." "हिंदी में बोल." "माइनस दो." "माइनस भी हिंदी में बोल ना." "घटे दो." "दोनों घटे तो बचे क्या, चू*ये?" . . . "नाम क्या है तेरा?" "दिलीप." "दिलीप क्या? दिलीप कुमार?" "दिलीप कुमार सिंह." "बाप का नाम बोल." "राघवेन्द्र सिंह." "कहाँ से आया है?" "बीकानेर." "कितनी भैंसे हैं घर पे?" "सात" "अबे तबेले पे नहीं घर पे, चू*ये." . . . "तुझे किसी ने रोका नहीं क्या? तू इतना लम्बा कैसे हो गया?... अरे मैं बताऊँ? ज़रूर इसमें कानून का हाथ है."
2.6 "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां हम अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोस्तां देखते कि मुल्क सारा ये टशन में थ्रिल में है आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गए अपनी आजादी तो भइय्या लौंडिया के तिल में हैं आज के जलसों में बिस्मिल एक गूंगा गा रहा और बहरों का वो रेला नाचता महफ़िल में है हाथ की खादी बनाने का ज़माना लड़ गया आज तो चड्ढी भी सिलती इंग्लिशों की मिल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..."
3.3 "रणंजय! पांच साल के बाद हिज़ हाईनेस रणंजय! बाप की जगह लेनी है कि नहीं?" "तेरा बाप मर गया कि ज़िन्दा है अभी?" "चू*ये, मुंह चलाने की बजाय हाथ चला दे फॉर्म पे. अच्छा है तेरे लिए. इलेक्शन से विदड्रा कर ले." "तेरा बाप मर आया कि ज़िन्दा है अभी?" "वरना जायेगा नहीं यहाँ से तू." "सच है न? उसने तेरी माँ से शादी नहीं की. तुम दोनों भाई बहन हरामी हो न?" "आखिरी बार पूछ रहा हूँ. विदड्रा करता है या नहीं?" "तेरे बाप ने टाइम पे विदड्रा कर लिया होता तो तू हरमजदगी से बच जाता न?"
4.4 "दिलीप सा! आइये आइये! चश्मा कहाँ है?" "कॉन्टैक्ट लेंस लगाये हैं बना." "हैंडसम टाइप के लग रहे हो यार! खुद ही हटाया या मेमसाब ने हटवाया?" "आपने बुलाया था?" "हाँ बुलाया था. सुबह बुलाया था. लड़की को भी साथ में बुलाया था. यार हम भी इतने हार्डकोर नहीं हैं. हिटलर थोड़े ही हैं. बोल देना चाहिए था. कबसे हो रक्खा है?" "क्या बना?" "प्यार?" "तीन दिन, बना." "तीन दिन! बहत्तर घंटे! बाप रे! शादी कब है?" "सोचा नहीं है बना अभी." "हनीमून कब खतम कर रहा है?" "जी?" "नहीं, हनीमून खतम हो गया हो तो कुछ काम भी कर लेते हैं मेरे भाई! है न? इत्ता बड़ा ताला लगा हुआ है जनरल सेक्रेटरी के ऑफिस में. तीन दिन से. कोई काम नहीं हो रहा है. फेस्टिवल सर पे है. स्पॉन्सरशिप की ज़रुरत पड़ेगी. स्पॉन्सर क्या तेरा बाप लेके आएगा भोस*के? जितना बिस्तर तोडना है न, फेस्टिवल के बाद तोडना. और ये बचपना बंद कर. वरना यहीं खोद के पाट दूँगा तुझे. तेरा बाप भी निकाल नहीं पायेगा. क्या घूर क्या रहा है? मज़ाक कर रहा हूँ मैं? ये सब चू*ये हैं? दिन भर ढूंढ रहे हैं ये लोग तुम्हें. और कोई काम नहीं है इनके पास?ए दिलीप, पर्सनल सेक्रेटरी बने या कल्चरल सेक्रेटरी, मुझे कोई मतलब नहीं है. काम करो! तू ऐसे नहीं मानेगा. इधर आ... देख!"
5.5 "अब भी चाहिए तुझे, पैसे?" "ये सब मेरे से नहीं होगा बना." "क्या?" "मैं यहाँ पढ़ने आया था." "तो?" "मैं चलता हूँ." "तू असली राजपूत है कि गोला है बे? तुझसे बात कर रहा हूँ. मुंह इधर कर. गलती मेरी ही है. मैंने सर पे चढ़ा रखा है इसको. ये लोग बोल रहे थे कि तू चू*या है." "बना जो आप कर रहे हो वो क्रांति नहीं पागलपन है. राजस्थान सिर्फ राजपूतों के लिए नहीं है." "क्या? ये किसने सिखाया इसको? सरकारी भाषा में बात मत कर मुंह तोड़ दूंगा तेरा मैं." "क्या गारंटी है कि आप लोग फिर से नहीं लड़ेंगे राजपूताना मिलने पर? फिर से मेवाड़, मारवाड़, जैसलमेर, जोधपुर..."
6.6(2) "आजा आजा आजा... वीर भोग्य वसुंधरा जाने कबसे ढूंढ रही है. आजा आजा. यहां सेट करते हैं." "बना!" "प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट!" "आप...आप जाइये यहाँ से. नहीं तो मैं इसे मार दूंगा बना." "उसको हाथ नहीं लगाएगा कोई. उसको हाथ नहीं लगाएगा कोई. साइड में रख. मैंने कहा छोड़ उसे. मैंने कहा छोड़ उसे! उसको हाथ नहीं लगाएगा कोई! साला हक़ से लिया है पाकिस्तान और लड़ के लेंगे हिंदुस्तान! और कोई बीच में मत आ जाना साला. वरना ले जाउँगा राजपूताना. ताल बजेगी ताल! ताल दे बे! वन टू थ्री फोर! सेल है. सेल है! बोल! सेल है, सेल है! आने आने पे लिखा है खाने वाले का नाम. खाने खाने पे लिखा पचानेवाले का नाम! सेल है. सेल है! एक दाम पच्चीस! एक दाम पच्चीस! कश्मीर लेलो. सेल है! असाम लेलो. सेल है! आजाद लेलो. सेल है! गुलाम लेलो. सेल है! बोल! चाहिए डुग्गी तुझे? चाहिए? धर्म अफीम, तू उसका नीम हकीम तेरी माँ का मियाँ तेरा बाप है? अबे साबित कैसे कर पायेगा बे? सेल है! सेल है!" https://www.youtube.com/watch?v=k8JJ4ygPbao
7.7 "हमारे पास सिर्फ बान्नबे करोड़ की पूँजी है. सेना की गिनती है एक हजार एक सौ छब्बीस. वाह! इससे बवंडर तो क्या, हवा तक पैदा नहीं कर पाएंगे हम लोग. ऐसा चलता रहा तो गंतव्य तक पहुँचने में दस साल लग जायेंगे. तब तक हमारी क्रांति दबी रहेगी जमीन में. सुसेफ़, सुरक्षित! और यहाँ, करनगढ़ के राजा अपने बेटे को विलायत भेज रहे हैं पढ़ने के लिए. जैक एंड जिल वेंट अप द हिल टु फेच अ...भोस**का! ऊपर से हल्ला बोल खर्चा भी कर रहे हैं. अरे भाई अगर आप अपने बेटों को अपने, अपने पोतों को इस क्रांति में शामिल नहीं करोगे तो क्या क्रांतिकारी मैं कश्मीर से ले आऊँ? अपने अपने चूतड़ों पे टिके रहने से क्रांति नहीं आयेगी! यहाँ इकठ्ठा होने से क्रांति नहीं आएगी! क्रांति चाहिए न? तो चहरे पे गुलाल नहीं खून की लाली मलनी पड़ेगी! अपने खजाने खाली करने पड़ेंगे! असली क्रान्ति चाहिए तो ये लाल रंग हटाकर असली चहरे लेकर सामने आओ. वरना बंद करो ये ढोंग. जय राजपूताना!" https://www.youtube.com/watch?v=r3pVKPtDTq8

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