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'बिकिनी फैशन की दुनिया का ऐटम बम है: छोटी और धमाकेदार'

कहानी 'बिकिनी' की जो 70 साल की हो गई है. उसका इतिहास, भूगोल और बॉलीवुड में एंट्री का किस्सा.

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फोटो - thelallantop
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प्रतीक्षा पीपी
13 जुलाई 2017 (Updated: 3 अप्रैल 2018, 04:50 AM IST)
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1960 का दशक था, जब बॉलीवुड में पहली बार बिकिनी पहनी गई. लोगों की आंखें निकल आईं. संस्कार जाग उठे. जिसने पहनी उसका नाम था शर्मिला टैगोर. वही शर्मिला फिल्मफेयर मैगजीन के चमकदार कवर पर भी दिखीं. और तब से आज तक, सैकड़ों विरोधों के बाद, हजारों के रूठने के बावजूद बिकिनी पहनने का सिलसिला रुका नहीं.
फिम्फेयर का कवर फिल्मफेयर का कवर
हालांकि हमारी सोसाइटी आज भी बिकिनी के साथ पूरी तरह सहज नहीं है. पब्लिक पूल्स और बीच पर बिकिनीधारी औरतों को देखकर अब भी आंखें चौड़ी हो जाती हैं. तोंदू अंकल जब कच्छों  में अपने बरामदे में खिजाब पोतते हैं, तो उन्हें कोई कुछ नहीं कहता. खैर.
बिकिनी क्या है, सब जानते हैं. न भी जानते हों तो अखबार और कई वेबसाइट आपको 'फलानी एक्ट्रेस ने किया हॉट बिकिनी शूट' दिखाकर आपको बता ही देते हैं. तो बिकिनी का मतलब कपड़ों के तीन तिकोने टुकड़े. जिनसे औरतों के स्तन, वजाइना और पिछवाड़ा ढंक सके. हालांकि बिकिनी के अलग-अलग डिज़ाइन होते हैं. जिनका साइज-शेप अलग-अलग होता है. पर ये सब फालतू बातें हैं. आओ तुम्हें बताएं काम की बात. यानी बिकिनी का इतिहास.

बिकिनी के पहले क्या था

सबसे पुरानी बिकिनी पहने औरतों को तकरीबन 1700 साल पुराने रोम के घर के फर्श पर बने देखा गया था. अंदाजा लगाया गया है कि उस वक़्त औरतें एथलेटिक्स और खेलों में खूब भाग लेती थीं. और टू-पीस कपड़े पहनती थीं. जिन्हें आधुनिक बिकिनी तो नहीं कहा जा सकता. पर हां, वैसी ही होती थीं.
अब क्या था, कि जहां से बिकिनी आई है वो है पश्चिम. और पश्चिम में रहते हैं खूब सारे क्रिश्चियन. क्रिश्चियनधर्म में पब्लिक में नहाना अच्छी बात नहीं माना जाता था. तब क्रिश्चियन औरतों के नहाने के लिए स्विमसूट नहीं, गाउन होते थे. जो उन्हें ऊपर से नीचे से ढंककर रखते थे. जिससे औरतों की 'इज्जत' बची रहती थी. हमारे यहां तो आजतक यही होता है. इसलिए आपको उस समय की वेस्टर्न औरतों की दशा समझने में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.
पता है, 1910 में ऑस्ट्रेलिया में एक औरत ने स्विमसूट पहन लिया था. वो पूरा शरीर ढंकता था. लेकिन टाइट सा था, बॉडी से चिपका हुआ. और इसके लिए बेचारी को गिरफ्तार कर लिया था.
लेकिन 20वीं सदी तक आते-आते वेस्ट में सन-बेदिंग यानी धूप सेंकने का फैशन आ गया. तो लोग स्विमसूट पहनकर खुले आसमान के नीचे धूप सेंकने लगे. और इससे स्विमसूट का फैशन आ गया. मतलब लोगों को लगने लगा कि भैया चार लोग देखेंगे, बढ़िया कपड़े पहने जाएं. लेकिन दिक्कत ये थी, कि ये ढंके हुए सूट होते थे. नहाकर निकलो, तो भीगे रहते थे. सूखना बड़ी प्रॉब्लम थी. तो स्विमसूट समय के साथ छोटे होने लगे. पहले गले डीप हुए, फिर बाजुएं कट गईं. और उसके बाद ऐसे सूट आ गए जिनके स्ट्रैप को धूप सेंकने के लिए नीचे खिसका सकते थे.

और फिर बनी बिकिनी

हमारे देश में लड़के बी.टेक कर के इंजीनियर बनें न बनें. क्रिएटिव जरूर बन जाते हैं.
जानते हैं, पहली बिकिनी बनाने वाला आदमी एक मैकेनिकल इंजीनियर था. नाम था लुई रेअर्द. फ़्रांस का था. उसने टू-पीस स्विमसूट बनाया. और नाम रखा बिकिनी. पूछो क्यों? क्योंकि 'बिकिनी अटोल' उस जगह का नाम था, जहां अमेरिका ने अपने पहले पीस-टाइम न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण किया था. क्योंकि लुई का मानना था कि ये कॉस्टयूम दुनिया में धमाका कर देगा. आर्थिक और सामाजिक, दोनों लिहाज से. ये दूसरे विश्व युद्ध ख़त्म होने के ठीक अगले साल की बात है.
लेकिन बिकिनी बनाने का आइडिया आया कैसे? हुआ ये था कि दूसरे विश्व युद्ध के समय यूरोप में हर चीज की कमी पड़ गई थी. क्योंकि सारा पैसा तो युद्ध के खर्चे उठाने में लग गया था. कपड़ा भी कम पड़ गया. तो अमेरिका की तरफ से आए एक निर्देश के मुताबिक, औरतों के स्विमसूट के कपड़ों में कटौती करने को कहा गया. वैसे भी लड़ाई की वजह से औरतें अब बीच पर नहाना पसंद नहीं करती थीं. तो इंजीनियर साहब ने दिमाग लगाकर एक ऐसी चीज बनाई, जो कम कपड़े में बनने के साथ-साथ इतनी फैशनेबल भी हो कि औरतें उसे झट से खरीद लें.
'बिकिनी' के साथ उसके कम्पटीशन में 'एटोम' नाम का टू-पीस भी मार्केट में आया. जिसे जाक हीम नाम के डिज़ाइनर ने बनाया. 'एटोम' शब्द आया था ऐटम से. यानी सबसे छोटा पार्टिकल. माने ये दुनिया की सबसे छोटी ड्रेस होने वाली थी. लेकिन 'एटोम' की चड्ढी नाभि के ऊपर तक आती थी. बल्कि बिकिनी की चड्ढी नाभि के नीचे से शुरू होती थी. यही इसका चार्म था.
ये इतनी छोटी थी, कि सभी मॉडल्स ने इंजीनियर साहब को बिकिनी का ऐड करने से मना कर दिया. फिर लुई ने एक न्यूड मॉडल को बिकिनी पहना उसका ऐड करवाया. 19 साल की इस मॉडल का नाम था मिशेलाइन. ऐड के बाद मिशेलाइन को 50 हजार से भी ज्यादा फैन्स की चिट्ठियां आईं.
The new 'Bikini' swimming costume (in a newsprint-patterned fabric), which caused a sensation at a beauty contest at the Molitor swimming pool in Paris. Designer Louis Reard was unable to find a 'respectable' model for his costume and the job of displaying it went to 19-year-old Micheline Bernardini, a nude dancer from the Casino de Paris. She is holding a small box into which the entire costume can be packed. Celebrated as the first bikini, Luard's design came a few months after a similar two-piece design was produced by French designer Jacques Heim. (Photo by Keystone/Getty Images) मिशेलाइन
हालांकि फ्रांस में बिकिनी खूब हिट हुई. लेकिन दुनिया भर में इसे अपनाए जाने में बहुत समय लगा. एक अमेरिकी स्विमसूट कम्पनी के मालिक ने टाइम मैगजीन को बताया था: 'एक बिकिनी औरत का सब कुछ दिखा देती है, उसकी मां के नाम के अलावा.' लोग मानते थे कि 'अच्छी' लड़कियां कभी बिकिनी नहीं पहनेंगी.
लेकिन लंबे समय तक बिकिनी को फैशन का एटम बम माना जाता रहा. छोटी और धमाकेदार. उसके प्रचार कहते थे, वो बिकिनी ही क्या, जो इतनी छोटी न हो कि एक अंगूठी के भीतर से उसे समूचा खींच के निकाला जा सके. जैसे औरतों अपने अधिकारों के बारे में समझदार होती गईं, बिकिनी ने माने बदलते गए. और धीरे-धीरे बिकिनी को आजादी का प्रतीक माना जाने लगा. धीरे-धीरे इससे सेक्स-अपील घटी, और ये औरतों की ख़ुशी का प्रतीक बनी. वे औरतें, जो अपनी मर्जी से खुले में नहाना चाहती थीं, अपनी खाल से सूरज चूमना चाहती थीं. ये बात और है कि लंबे समय तक फिल्म इंडस्ट्री में बिकिनी को सिर्फ पुरुष ऑडियंस को आकर्षित करने के लिए यूज किया गया.

इंडिया में बिकिनी 

फैशन की दुनिया में सफलता के बाद बिकिनी प्लेबॉय मैगजीन के कवर से जेम्स बॉन्ड की फिल्मों तक दिखी. और शर्मिला टैगोर ने फिल्म 'ऐन ईवनिंग इन पेरिस' में इसे पहन बॉलीवुड में एंट्री दिलाई.
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फिर आईं परवीन बाबी.
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और डिंपल कपाड़िया, जिनकी 'बॉबी' ने हलचल मचा दी.
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धीरे-धीरे हम ऐसे दौर में पहुंचे, जब बिकिनी के माने औरतों के फिगर और फिट बॉडी का पर्याय बन गईं. करीना कपूर का जीरो फिगर मिशन खूब चर्चित रहा.
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लेकिन साथ ही साथ, पॉपुलर कल्चर में बिकिनी औरतों की 'हॉटनेस' के पैमाने तय करती रही. जिससे मोटी, 30 की उम्र पार कर चुकीं, मां बन चुकीं औरतें बाहर रहीं. वो बॉडी शेमिंग का शिकार हुईं. लेकिन हम इस दौर से भी एक दिन बाहर आएंगे. जैसे 70 साल की हो चुकी बिकिनी बाहर आई है.


 
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