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महमूद ने कहा- अमिताभ नहीं राजीव को फिल्म में लो, वो ज्यादा स्मार्ट दिखता है

अमिताभ का रोल करने वाले थे राजीव.

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राजीव को एक्टर लेना चाहते थे महमूद.
20 अगस्त 2020 (Updated: 20 अगस्त 2020, 12:40 IST)
Updated: 20 अगस्त 2020 12:40 IST
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अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' 1969 में आई थी. लेकिन उसके बाद एक लीड हीरो की तरह उनका फिल्मी करियर ठीक से नहीं चल पा रहा था. इंदिरा गांधी तब तक देश की प्रधानमंत्री बन चुकी थीं. इंदिरा का जिक्र क्यों आया? क्योंकि अमिताभ की मां तेजी बच्चन और इंदिरा दोनों दोस्त थीं. ऐसे में अमिताभ के डगमगाते फिल्मी करियर को संभालने आगे आए राजीव गांधी. राजीव और अमिताभ बचपन के दोस्त रहे थे. राजीव और अमिताभ दोनों कॉमेडियन महमूद के पास मुंबई गए. महमूद उन दिनों फिल्म बॉम्बे टू गोवा की कास्टिंग का भी काम देख रहे थे.


बॉम्बे टू गोवा का पोस्टर. अमिताभ के पीछे महमूद दिख रहे हैं.
बॉम्बे टू गोवा का पोस्टर. अमिताभ के पीछे महमूद दिख रहे हैं.

हनीफ जवेरी की किताब 'ए मैन ऑफ मैनी मूड्स' के मुताबिक, महमूद एक ड्रग लेने के आदी थे. इस ड्रग का नाम था काम्पोज़. ये एक टैबलेट होती है जिसकी हाई डोज़ लेकर महमूद नशा करते थे. जब राजीव और अमिताभ उनसे मिलने पहुंचे तो महमूद के छोटे भाई अनवर ने दोनों को इन्ट्रोड्यूस करवाया. पर महमूद उस टाइम कुछ समझ नहीं पाए कि उनसे क्या कहा गया. महमूद ने पांच हज़ार रुपए निकाले और अनवर को दिए. कहा कि ये पैसे अमिताभ के दोस्त को दे दो. अनवर थोड़ा परेशान हो गए. उन्होंने पैसों का कारण पूछा.

महमूद ने कहा,


"ये लड़का अमिताभ से ज्यादा गोरा और स्मार्ट है. ये आगे चलकर इंटरनेशनल स्टार बनेगा. इसको पैसे दो और साइन कर लो. अगली फिल्म में ये काम करेगा."

अनवर माज़रा समझ गए कि नशे में महमूद राजीव को पहचान नहीं पाए हैं. अनवर ने महमूद को फिर से बताया कि ये राजीव हैं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे. इसके बाद महमूद को थोड़ा होश आया. इसके बाद सबने आपस में बतकही की और अमिताभ को बॉम्बे टू गोवा फिल्म मिल गई. जिसके बाद उनका डगमगाता फिल्मी करियर भी संभल गया.


बाद में राजीव के कहने पर अमिताभ पॉलिटिक्स में आए थे.
बाद में राजीव के कहने पर अमिताभ पॉलिटिक्स में आए थे. 1984 में इलाहाबाद से चुनाव लड़ा था और हेमवती नंदन बहुगुणा को चुनाव हराया था. लेकिन बोफोर्स घोटाले में नाम आने के बाद अमिताभ ने इस्तीफा देकर राजनीति छोड़ दी.

एक बार अमिताभ ने इसके बारे में बोलते हुए कहा था कि महमूद की बात एकदम सही थी. राजीव के अंदर एक इंटरनेशनल स्टार था लेकिन वो सिल्वर स्क्रीन पर नहीं पॉलिटिक्स के फील्ड में.

यह किस्सा राशिद किदवई की किताब 24 अकबर रोड से लिया गया है जिसे हैचेट पब्लिकेशन ने पब्लिश किया है.




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