12 जुलाई, 2002 को एक फिल्म रिलीज़ हुई थी. नाम और कॉन्सेप्ट शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के नॉवल से ही लिया गया था. ‘देवदास’. इससे पहले भी के.एल सैगल और दिलीप कुमार को लेकर दो ‘देवदास’ बन चुकी थीं. शाहरुख खान और संजय लीला भंसाली पहली बार साथ काम कर रहे थे. बताया जाता है कि भंसाली ने शाहरुख को स्क्रिप्ट सुनाते समय ही कह दिया था कि ये फिल्म तभी बनेगी जब वो हां कहेंगे. शाहरुख मान गए और बड़ी दिक्कतों के बाद अपने समय की सबसे महंगी फिल्म बनकर तैयार हुई. रिलीज़ हुई और खूब तारीफ और पैसे कमाए. लेकिन भंसाली को ‘देवदास’ बनाने का आइडिया कहां से आया? फिल्म में न होने के बावजूद शाहरुख के साथ सलमान भी सेट पर क्यों होते थे? शूटिंग शुरू होते ही प्रोड्यूसर गिरफ्तार हो गया, तो ये फिल्म बनी कैसे? फिल्म की वजह मुंबई की शादियों में क्या दिक्कत होने लगी? जानिए फिल्म से जुड़े तमाम ऐसे किस्से, जो बहुत कम ही लोगों को पता होंगे. इस फिल्म की रिलीज़ को आज 19 साल पूरे हो गए हैं, किस्से जानेंगे, उससे पहले देखिए शाहरुख का ट्वीट, जिसमें उन्होंने इस फिल्म और उसके बनने की प्रक्रिया को बड़े प्यार-दुलार से याद किया है-
All the late nights,early mornings,problems worked out bcoz of the gorgeous @MadhuriDixit,the stunning Aishwarya,ever cheerful @bindasbhidu, full of life @KirronKherBJP & the whole team slogging under the masterful Bhansali. Only issue-the dhoti kept falling off! Thx for the love pic.twitter.com/oc9BvF1nNw
— Shah Rukh Khan (@iamsrk) July 12, 2021
पिता को मरते देख आया था ‘देवदास’ का आइडिया
संजय लीला भंसाली ने अपने कई इंटरव्यूज़ में बताया है कि उनके पिता से उनकी कभी नहीं बनी. पिता प्रोड्यूसर थे. पिक्चरें नहीं चलीं, तो शराब में डूब गए. नशे में धुत रहने लगे. घर कैसे चल रहा है? बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं? किसी बात की कोई परवाह नहीं. मां साबुन बेचकर बच्चों को बड़ा कर रही थीं. बाद में पिता को लिवर सिरोसिस हो गया. कोमा में चले गए. लेकिन कोमा से बाहर आने और मौत के मुंह में जाने से पहले उन्होंने सिर्फ एक काम किया. संजय की मां लीला की ओर अपना हाथ बढ़ाया. अपनी पत्नी के प्रति वो पहली और आखिरी बार अपने प्यार का इज़हार कर रहे थे. लीला उस लम्हे के लिए पता नहीं कितने सालों से इंतज़ार कर रही थीं. लेकिन लीला का हाथ पकड़ते ही उनकी डेथ हो गई. संजय बताते हैं कि उन्हें उन दोनों हाथों का बिछड़ना याद है. संजय इस तरह की ही किसी कहानी पर फिल्म बनाना चाहते थे. उन्होंने शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की ‘देवदास’ पढ़नी शुरू की और उन्हें वो एलीमेंट मिल गया, जो वो अपनी अगली फिल्म के लिए ढ़ूंढ़ रहे थे. इस फिल्म के आखिर में देवदास पारो के दर पर जाकर ही दम तोड़ता है और धुंधली आंखों से उसे पारो दौड़कर अपनी ओर आती नज़र आती है. फिल्म में संजय ने अपने बहुत सारे पर्सनल एक्सपीरियंस को इस्तेमाल किया था.

जब शाहरुख का किरदार अपने पिता के श्राद्ध पर शराब के नशे में पहुंचा
फिल्म में एक सीन है, जहां शाहरुख यानी देवदास के पिता की डेथ हो चुकी है. वो देवदास के कम भंसाली के पिता ज़्यादा थे, जिससे देवदास की भी नहीं बनी. अपने उस पिता के श्राद्ध पर देवदास भरपूर नशे में पहुंचता है. और अपनी मां के बगल में बैठकर किसी अंजान आदमी की तरह सहानुभूति देता है. ये सीन दरअसल संजय लीला भंसाली के साथ हुई एक घटना से प्रेरित था. संजय की दादी के श्राद्ध के मौके पर उनके पिता इतने नशे में पहुंचे थे कि वो पहुंचते ही गिरकर बेहोश हो गए. उनके एक दोस्त ने आकर उनकी मां को ढाढस बंधाया. संजय पर इस घटना का बहुत प्रभाव पड़ा.

इस फिल्म में परदे पर आखिरी बार साथ दिखे थे सलमान-ऐश्वर्या
संजय लीला भंसाली की ही पिछली फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ में सलमान खान और ऐश्वर्या राय के बीच प्यार हुआ. ये दो साल तक चला. रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐश्वर्या ने सलमान से उनके हिंसक व्यवहार और अपने पिता के इस रिश्ते के खिलाफ होने की वजह से दूरी बना ली. लेकिन सलमान मानने को तैयार नहीं थे. उन्होंने अपने करियर से लेकर हालत सब खराब कर ली थी. हमेशा नशे में डूबे रहते. जहां ऐश्वर्या होतीं, वो हर उस जगह पहुंच जाते. अनुपमा चोपड़ा की किताब ‘किंग ऑफ बॉलीवुड: शाहरुख खान एंड द सिडक्टिव वर्ल्ड ऑफ सिनेमा’ के मुताबिक सलमान फिल्म ‘देवदास’ की शूटिंग के दौरान भी सेट पर होते थे. एक दिन शाहरुख और ऐश्वर्या के बीच एक रोमैंटिक सीन शूट होने वाला था. इस सीन में शाहरुख को ऐश्वर्या के पांव में चुभे एक कांटे को निकालना था. शूटिंग के टाइम सलमान ने कहा कि वो कर के दिखाना चाहते हैं कि ये सीन कैसे शूट होना चाहिए. शाहरुख और भंसाली मान गए. उन्होंने ऐश्वर्या के पांव से वो कांटा निकाला और भंसाली ने अपना सीन शूट कर लिया. ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि उस सीन में शाहरुख की शक्ल नहीं दिखने वाली थी. इस समय असल में सलमान की हालत शाहरुख के निभाए ‘देवदास’ से कुछ खास अलग नहीं थी.

फिल्म की शूटिंग शुरू हुई और प्रोड्यूसर को जेल हो गई.
इस फिल्म में मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर भरत शाह पैसा लगा रहे थे. भरत शाह की गिरफ्तारी अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन मामले में हुई थी. भरत शाह बड़े प्रोड्यूसर थे. एक साथ कई फिल्में प्रोड्यूस करते थे. जब उन्हें मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया, तब 11 फिल्मों में उनका पैसा लगा हुआ था. इन्हीं में से एक थी सलमान खान, रानी मुखर्जी और प्रीति जिंटा स्टारर ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’. इसमें पैसा भरत का लगा था लेकिन प्रोड्यूसर के खाने में किसी नज़ीम रिज़वी का नाम लिखा जाता था. नज़ीम छोटा शकील का खास आदमी था. नज़ीम धर लिया गया. नज़ीम से पुलिस को पता चला की भरत के प्रोडक्शन में बन रही फिल्मों में अंडरवर्ल्ड का पैसा लगा हुआ है. भरत को मकोका (Maharashtra Control of Organised Crime Act) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. तब भरत के प्रोडक्शन में बन रही सबसे बड़ी फिल्म ‘देवदास’ थी. ‘देवदास’ की शूटिंग का प्रतिदिन खर्चा 7 लाख रुपए था. भरत की गिरफ्तारी के बाद सबसे पहले ‘देवदास’ की शूटिंग कैंसिल हुई. अगले 15 दिनों तक कोई सुगबुगाहट नहीं. भंसाली परेशान थे कि उनकी पिक्चर कहीं डिब्बाबंद न हो जाए. लेकिन भरत शाह भी अड़े हुए थे. जेल में अपनी बेगुनाही साबित करने के साथ उन्होंने अपने बच्चों से कहा कि ‘देवदास’ बननी चाहिए. उसका काम नहीं रुकना चाहिए. रुकता भी कैसे. ये वो भरत शाह थे, जिन्होंने ‘देवदास’ के बजट जितना पैसा देश के मशहूर वकीलों पर खर्च कर दिया था. ताकि वो जल्दी से जल्दी बाहर निकल सकें. ‘देवदास’ अपने टाइम की सबसे महंगी फिल्म थी. इसे बनाने में 50 करोड़ रुपए से ज़्यादा का खर्च आया था.

जब फिल्म की शूटिंग की वजह से मुंबई की शादियां टलने लगीं
भंसाली अपनी फिल्मों की भव्यता के लिए जाने जाते हैं. और फिर ये तो ‘देवदास’ थी. इस फिल्म की शूटिंग में 275 दिन, 2500 लाइट, लाइट्स को ऑपरेट करने वाले 700 लाइट मैन, 6 अलग-अलग सेट, 42 जेनरेटर और 30 लाख वॉट की पावर सप्लाई लगती थी. आम तौर फिल्मों की शूटिंग में 2-3 जेनरेटर लगते थे. लेकिन इस बार मामला गड़बड़ हो गया था. मुंबई के सारे जेनरेटर फिल्म सिटी या फिल्मिस्तान में भंसाली के सेट पर होते थे. हालत इतनी खराब हो गई थी, कि मुंबई में शादी करने वाले लोगों को जेनरेटर नहीं मिल रहा था और शादियां टल रही थीं. भव्यता का आलम ये था कि पारो के घर को बनाने में 1,57,000 रंगीन शीशे के टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया था. मॉनसून को भांपते हुए ये शीशों वाला सेट नवंबर से जून तक के लिए बनाया किया गया था. लेकिन इसी बीच चार बार बारिश हो गई और सारे शीशे धुंधले पड़ गए. बाद में शूटिंग से पहले एक्टर्स के साथ उन शीशों का भी टच अप करना पड़ता था. बताया जाता है फिल्म का आधा बजट सेट और माधुरी-ऐश्वर्या के कॉस्ट्यूम पर खर्च किया गया था. ये शायद वो पहली फिल्म थी, जिसके रिव्यू में किरदारों के कपड़ों पर बात हुई थी. माधुरी का एक-एक लहंगा 30-30 किलो का होता था, जिसे पहनने के बाद वो बड़ी मशक्कत से डांस कर पाती थीं. लेकिन फिल्म रिलीज़ हुई और सारी मेहनत एक झटके में सार्थक लगने लगी.
