“यह है मुंबई नारकोटिक्स ब्यूरो के मुख्य अधिकारी समीर वानखेडे. इन्हें बॉलीवुड असली सिंघम कहता है.. बॉलीवुड पार्टी में यह तकीया कलाम है कि धूंआ धीरे उड़ा नही तो वानखेड़े आ जाएगा और वो किसी के बाप की नही सुनता है. शाहरुख खान ने वानखेड़े को फोन कर कहा कि आर्यन का ध्यान रखना इन्होने कहा की आप फोन चालू रखो आर्यन को बुलाया और चालू फोन में आर्यन को 2 चांटे मार दिये. शाहरुख गुस्से में तिलमिलाया तो वानखेड़े ने कहा कि मिस्टर खान अगर ये थप्पड़ आपने इसको पहले मार दिये होते तो आज यह इस हाल में मेरे पास नही होता. आपने बच्चों को पैसा दिया, आधुनिक सुख सुविधाऐं दी मगर एक बाप बनकर बच्चें को संभाल नही पाऐ उसी का यह नतीजा है. मैं जानता हुं यह छुट जायेगा मगर इसको आखरी तक अपनी गलती का अहसास होगा कि मैनें पुलिस की मार खाई, उम्मीद है ये आगे से सुधर जाऐ और फोन काट दिया”.
आगे की कहानी ये कि आर्यन को मारे इन दो चांटों के बाद NCB के समीर वानखेड़े ने वहीं खड़े एक और आदमी को चार तमाचे लगाए, और कहा,
‘तू क्या यहाँ खड़ा होकर सारी बातें सुन रहा है. अब फेसबुक पर इसे पोस्ट भी कर देगा”.

तो ये था वो तूफानी घटनाक्रम जो हम तक वाया फेसबुक पहुंचा. इसमें जो पहले दो चांटे हैं, वो फेसबुक पर पोस्ट करने वाले भैया की ईजाद हैं. बाद में उन्हें ही चार तमाचे लगवाने का तड़का हम लोगन ने लगाया है. जब इतना रोमांचक कथानक चल ही रहा था, तो हम भी थोड़ा सा बह गए.
तो बेसिकली अब तक आप समझ ही गए होंगे कि चार तमाचे से पहले जितना भी आपने पढ़ा वो फेसबुक पर वायरल हो रही एक हद बेतुकी पोस्ट है. ऐसी ही बकलोल चीज़ों से इंडियन इंटरनेट की ज़िंदगी गुलज़ार है आजकल. फिल्मों से ज़्यादा फ़िल्मी कहानियां वॉट्सऐप और सोशल मीडिया पर लिखी जा रही हैं. आर्यन खान को चांटा लगा, उसने पोहा खाया, आर्यन ने बिना नमक का टूथपेस्ट लगाया, उसे लोहे के बिस्तर पर सुलाया गया जैसी तमाम पर्सनल जानकारी सबके पास है. लोग डायरी में लिख भी रहे हैं ‘कहीं UPSC में न आ जाए’.मेरे अविश्वसनीय सूत्रों की मानें तो ऐसी ही एक पोस्ट देख कर मार्क ज़ुकरबर्ग को चक्कर आए थे और उन्होंने एफबी, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप के फ्यूज़ उड़वा दिए थे. खैर इसी को लेकर एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी तो ये भी चली थी कि आर्यन कि वॉट्सऐप चैटें डेलीट करवाने के लिए शाहरुख़ ने मार्क को वॉट्सऐप बंद करवाने का मेसेज किया था. अरे भाई, वो एक्टर है सरकार नहीं, जो सोशल मीडिया पोस्ट्स कंट्रोल कर ले.

कांस्पीरेसी थ्योरीज़ बना-बना के पन्ने भर फेसबुक पोस्ट्स करने वाले लोग वहीं है, जिनके पास एग्जाम में आंसर नहीं होता था तो वो गाने, ग़ज़लें बस कुछ भी लिख पेपर भर के वापस आते थे. ‘खाली नहीं छोड़ना है’.
और इन फेक पोस्ट्स को सच मान लेने वाले वो हैं जिन्होंने ये मान लिया था 2012 में 12वे महीने में 12 वे दिन 12 बजे प्रलय आएगी और सब ख़तम हो जाएगा. इन्होने ही माना था कि गर्मी से कोरोना मर जाता है. ये भोले लोग हैं. बस उन्हीं के लिए हम बताना चाहते हैं कि इस फेसबुक पोस्ट में उतनी ही सच्चाई है, जितनी सच्चाई देश में सारा काला धन वापस आने में है. जितनी आपके बॉस के अप्रैज़ल के वादे में है. जितनी अनन्या की स्ट्रगल में है.
खैर, मॉरल ऑफ़ दी इश्टोरी इज, फेक चीज़ों के झांसे में नहीं आने का रे बाबा! दिखावे पर ना जाओ, अपनी अकल लगाओ.