फिल्मों में बहुत लेट एंट्री ली लेकिन बोमन ईरानी उतनी ही तेज़ी से आगे आ गए जितना बहुत जल्दी एंट्री लेकर आया जा सकता था. उनके लुक्स को देखकर लगता है कि वे रईस परिवार से होंगे लेकिन ऐसा है नहीं. चिप्स तलने वाली भट्टी के पास बैठकर अपनी बेहद छोटी सी दुकान वे संभालते थे. पिता को कभी देखा नहीं था. 2 दिसंबर 1959 को उनके जन्म के छह महीने पहले पिता गुजर गए. मां ने ही पाला. तीन बड़ी बहनें भी थीं. लेकिन मां ने शिक्षा अच्छी दिलवाई. इस एक काम से कोई समझौता नहीं किया.

बचपन में बोमन को बोलने में दिक्कत होती थी. फिर धीरे-धीरे इसमें सुधार हुआ. पढ़ाई पूरी होते होते उन्होंने वेटर का कोर्स किया ताकि पैरों पर खड़े हों और घर संभालें. दो-एक साल बड़ी होटल में वेटर रहे. हाउसकीपिंग का काम किया. फिर दसेक साल अपनी चिप्स वाली दुकान पर बैठे. शादी हो गई. पत्नी जेनोबिया वेफर लेने आया करती थीं. प्यार हो गया था.

बोमन साथ में फोटोग्राफी भी सीखने और करने लगे. बहुत मेहनत की. उनका सपना फोटोग्राफी के आर्ट को बहुत गहराई से सीखने और इसी में ऊंचा जाकर रिटायर होने का था. लेकिन एक और प्यार मन में था जिसे परिस्थितियों की व्यावहारिकता को देखते हुए कभी खुद बाहर नहीं आने दिया. एक्टिंग का.
बंबई में वे जहां रहते थे और जहां उनकी दुकान थी उसके ठीक सामने और चारों ओर सिनेमाघर थे जहां बिमल रॉय, गुरु दत्त जैसे महान फिल्मकारों की फिल्में लगती थीं. अमेरिकी और अन्य मुल्कों की फिल्में लगती थीं. मां भी ऐसी थीं कि होम वर्क पूरा होने के बाद बोलतीं, जाओ कोई फिल्म देखकर आओ. ‘प्यासा’ लगी होती थी. वे बोलते कल ही ये देखकर आया तो मां कहती थीं आज फिर जाओ. दोबारा देखो. कल अगर एक्टिंग के लिए देखी तो आज उसकी सिनेमैटोग्राफी को ऑब्जर्व करो. कभी उसका डायरेक्शन देखो. हर दिन अलग अलग चीजें देखो. फिल्में वे लगातार देखते रहे. वेफर की दुकान में भी बैठते थे तो शटर नीचे करने के बाद रोज थियेटर जाकर एक फिल्म देखते ही थे. और फिल्में देखते तो बहुत सलीके से. बहुत गंभीरता से. किसी पवित्र संस्कार की तरह.
एक बार फोटोग्राफी के दौरान कोरियोग्राफर श्यामक डावर ने देखा कि शूट से पहले अपने सबजेक्ट को कंफर्ट में लाने के लिए ये आदमी कितना हंसा रहा है, कितना अभिनय कर रहा है. डावर ने कहा कि ‘तुम एक्टिंग करो’. बोमन ने कहा, ‘इतनी मुश्किल से फोटोग्राफी सीखी और यहां तक पहुंचा हूं अब और कुछ नहीं करना’. लेकिन श्यामक ने समझाया. थियेटर और विज्ञापन फिल्मों के बड़े नाम एलेक पद्मसी के पास उन्हें लेकर गए. वे ही जिन्होंने ‘गांधी’ फिल्म में जिन्ना का रोल किया था. एलेक ने उन्हें एक प्ले में रोल दिया. उसमें बोमन को बहुत तारीफ मिली. फिर अगले प्ले में लीड रोल मिला. प्ले था – ‘आई एम नॉट बाजीराव’. ये बड़ा हिट हुआ. इतना बड़ा हिट कि अगले 10 साल तक इसका मंचन होता रहा.

फिर उन्होंने वजन खूब घटाकर फिरोज़ ख़ान के नाटक ‘महात्मा वर्सेज गांधी’ में महात्मा गांधी का रोल किया.
वे करीब 41-42 साल के थे तो पहली फिल्म की. नाम था ‘लेट्स टॉक’. बहुत ही एक्सपेरिमेंटल फिल्म थी लेकिन बोमन ईरानी की शानदार एक्टिंग इसमें थी. ये फिल्म ज्यादातर लोगों ने देखी नहीं है.
लेकिन इसे एडिटिंग के दौरान विधु विनोद चोपड़ा ने देखा और बोमन को बुलाया. उन्हें दो लाख रुपये का चैक दिया और बोला कि अगले साल दिसंबर की अपनी डेट्स मेरे लिए रख लो. तब किस फिल्म के लिए बोमन को लिया जा रहा था ये भी तय न था. बाद में फिल्म तय हुई ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’. दो-तीन हफ्ते की शूटिंग थी उनकी. दिसंबर 2003 में ये फिल्म रिलीज हुई और अगले साल के शुरू से बोमन के लिए सबकुछ बदल गया. फिल्मों की झड़ी लग गई और उन्होंने ‘खोसला का घोंसला’, ‘3 ईडियट्स’, ‘लिटिल जिज़ू’, ‘फरारी की सवारी’ जैसी फिल्मों में यादगार रोल किए.

अब इतने वर्षों में वे पहली पंक्ति के, गंभीर अदाकारी वाले एक्टर हैं जो ठोस काम निकालकर लाते हैं.
आज उनके बड्डे पर उनकी एक्टिंग नहीं, उनकी फोटोग्राफी को याद करेंगे. बहुत ही संजीदगी और गंभीरता के साथ वे इसे करना चाहते थे लेकिन कुछ संयोग उन्हें थियेटर और फिल्मों में ले गए. लेकिन उन्होंने फोटोग्राफी छोड़ी नहीं है. वे पैसे के लिए नहीं करते लेकिन अपनी गाड़ी में हर वक्त कैमरा रखते हैं. उससे या आईफोन से, वे जहां भी जाते हैं, फोटो खींचते रहते हैं.
दिखाते हैं उनकी एमेच्यर फोटोग्राफी के दिनों की कुछ तस्वीरें और आज के वो पल जिन्हें वे कैसे कैप्चर करना पसंद करते हैं. इन फोटोज़ को देखकर एक अलग ही तरह के बोमन ईरानी से मिलने हैं. देखें:
#1.
बहुत पुराने दिनों की फोटो. श्यामक डावर की एक डांसर की.
#2.
रोम में एक फाउंटेन के सामने फोटो खिंचवाती नन्स.
#3.
मां. बोमन की.
#4.
देव आनंद. इनके गुजरने के कई साल पहले बोमन ने ये फोटो खींची. उन्होंने देव साहब के साथ कई घंटे गुजारे थे. उनके बारे में बोमन कहते हैं, “हमने जितने भी घंटे बात की, उन्होंने कभी भी ‘अतीत’ या ‘हमारे दिनों में’ या ‘पुराने अच्छे दिनों में’ जैसी बातें नहीं की. वे ‘वर्तमान’ में ही जीते थे.”
#5.
पैरिस का एक कैफे. दो अद्भुत चरित्र. कॉन्ट्रास्ट से भरे.
#6.
बॉक्सिंग मैच. एमेच्यर स्पोर्ट्स फोटोग्राफी के दिनों में बोमन की खींची एक फोटो. इस मैच की कुछेक फोटो के लिए एक विदेशी मैगजीन में उन्हें बहुत पैसे दिए थे.
#7.
होटल की बालकनियों का पैटर्न. लॉस एंजेल्स.
#8.
हाउसफुल-3 की शूटिंग के दौरान बोमन की मेकअप चेयर से कैद हुआ नज़ारा. इंग्लैंड.
#9.
रितेश देशमुख. लंदन में सुबह की पहली अंगड़ाई.
#10.
मैनहैटन, न्यू यॉर्क. बोमन के मुताबिक, “इन पैटर्न और इन्हें तोड़ने वाले सबजेक्ट ने मुझे आकर्षित किया. आपको इसे समझने में शायद कुछ समय लगे. फोटो के पीछे इरादा भी यही है.”
#11.
भारत के सब रंगों में रंगी डांसर्स. पंजाब.
#12.
बहुत पहले के दिनों में खींची एक ब्लैक एंड वाइट फोटो. बोमन की पर्सनल फेवरेट.
#13.
शाहरुख खान. बर्लिन में फिल्म डॉन की शूटिंग के दौरान. बोमन इस फोटो पर व्यक्त करते हैं, ‘मैंने फोटो के सबजेक्ट (शाहरुख) को out of focus रखा और नतीजा ये हुआ कि वो फिर भी फोकस में रहा.’
#14.
आंटी खोर्शीद.
#15.
बूडापेस्ट. स्थापत्य.
#16.
नसीरुद्दीन शाह. फोटोग्राफी के पुराने दिनों में बोमन का खींचा एक पोर्टेट.
#17.
रूम सर्विस लॉन्ड्री लेते हुए. बोमन ईरानी फिल्मों और थियेटर में एक्टिंग करने, फोटोग्राफी करने और चिप्स बेचने से भी पहले वेटर हुआ करते थे. रूम सर्विस को जाते थे. इस फोटो को खींचते हुए उन्हें पुराने दिन याद आ गए.
#18.
रेल की पटरियां – पंजाब. ‘दो रेखाएं जो कभी मिल नहीं सकतीं!’
#19.
न्यू यॉर्क में ट्रैफिक सिग्नल पर. पैदल सड़क क्रॉस करने की बत्ती होने के इंतजार में.
#20.
अमूर्त विचार. ये फोटो बोमन ने श्यामक डावर के डांसर्स के साथ स्टूडियो में ली. उन्होंने जानबूझकर कैमरा हिलाया और ये फोटो हासिल की. सही-सही ब्लर पाने के लिए उन्होंने कई बार टेस्ट किए. इसमें कोई फिल्टर इस्तेमाल नहीं किया गया है.
#21.
अभिषेक बच्चन. ग्रीस में फिल्म के सेट पर. फिल्म थी ‘गेम’.
#22.
श्रुति शर्मा. मिस इंडिया. स्टूडियो में ली गई फोटो. बहुत पुरानी. बोमन के मुताबिक उन्होंने इसमें कोई फिल्टर नहीं यूज़ किया. ये वो ज़माना था जब फोटोशॉप और फिल्टर नहीं होते थे.
#23.
आज़ाद म्यूजिक. मैड्रिड में एक होटल के बाहर.
#24.
साइकलिंग इवेंट. बहुत पुराने दिनों की फोटो. जब बोमन घर चलाने के लिए एमेच्यर स्पोर्ट्स फोटोग्राफी करते थे. इस फोटो को लेकर उन्होंने लिखा, “जज लोगों को विजेता का नाम तय करने में बहुत टाइम लगा. अगर आधे पल की देरी से भी ये फोटो खींचता तो फिर इस फोटो का कोई अर्थ नहीं रहता.”
#25.
ट्रॉलियों की रेलगाड़ी.
#26.
सिद्धार्थ मल्होत्रा. फेमस wet look की तैयारी में. फिल्म के सेट पर.
#27.
डरबन, दक्षिण अफ्रीका में एक खाली फिश टैंक में मछली का इंतजार करता जिज्ञासु बच्चा.
#28.
नेपाल में ली गई फोटो. इसे खींचने का प्रोसेस बोमन बताते हैं, “सूर्यास्त के काफी बात ये फोटो ली थी. लाइट वाले हालात बिलकुल नहीं थे. कैमरा ट्राइपॉड पर रखकर लॉन्ग एक्सपोज़र में इसे क्लिक किया. फिर इसे पुश प्रोसेस किया जिससे ये दाने बने. इससे इसमें चारकोल वाली ड्रॉइंग क्वालिटी आ गई.”
#29.
घर की डॉग जीना की फोटो.
#30.
रोम के एक पैंथियन के अंदर.
#31.
अर्जुन रामपाल. ग्रीनविच, इंग्लैंड में.
#32.
घोड़ा गाड़ी पर जंगल से गुजरते हुए. हंगरी में छुटि्टयों के दौरान.
#33.
प्राग के चार्ल्स ब्रिज पर.
#34.
फिजी में सूर्यास्त. लेकिन कहानी कुछ और है. बोमन की हड्डी में लग गई थी और वो जमीन पर पड़े थे. डॉक्टर का इंतजार हो रहा था. बोरियत हो रही थी और सूर्यास्त भी. तो ये शॉट उन्होंने लिया.
#35.
नेहा धूपिया. बहुत पुराना ब्लैक एंड वाइट पोर्टेट. मिस इंडिया प्रतियोगिता के लिए बोमन ने नेहा का ये पोर्टफोलियो बनाया था. तब दोनों अनजान थे, आज बहुत अच्छे दोस्त.
#36.
इस्तांबुल की नीली मस्जिद. भव्य स्थापत्य.
#37.
पुराना ब्लैक एंड वाइट फोटो. ये इस युवती का पहला शूट था. पहचानिए कौन है?
#38.
बोमन का नाती स्वीमिंग पूल में छलांग लगाते हुए. तौलिया ये सोच के लिया कि ठंडे पानी से रक्षा होगी.
#39.
घर का कमरा. सुबह की चाय का वक्त.
#40.
बेनाफ दादाचनजी. पेशेवर फोटोग्राफी के दिनों में बोमन ने जिस बच्ची का पोर्टफोलियो बनाया वो ‘बा बहू और बेबी’, ‘सुमित संभाल लेगा’, ‘ब्याह हमारी बहू का’ जैसे मशहूर सीरियल्स में दिखाई दी. वे फिल्म ‘बॉबी जासूस’ में भी थीं.
#41.
न्यू यॉर्क में लंच. बोमन यहां स्मिथ एंड वॉलेनस्की के यहां अकेले लंच कर रहे थे, और टाइम पास ये शॉट लेकर हुआ.
#42.
शबाना आज़मी. एमेच्यर फोटोग्राफी के दिनों में खींचा कैंडिड, ब्लैक एंड वाइट पोर्टेट. बोमन ने इस फोटो सेशन के लिए पूरा दिन शबाना के साथ बिताया. ज्यादातर वक्त बातें हुईं और शूट सिर्फ 10 मिनट.
#43.
आइफेल टावर, पैरिस (फ्रांस).
#44.
चेज़ रिपब्लिक के मध्ययुगीन कस्बे चेस्की क्रुमलोव में बैठकर उसका चित्र बनाती एक नन्ही आर्टिस्ट.
#45.
बेटे दानेश और पोते की दार्शनिक बातें.
#46.
ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट (लंदन) के एक साइडवॉक टनल में लोग. टनल में आती हुई सांझ की मद्धम रोशनी.
#47.
3 ईडियट्स की शूटिंग का मौका. आईआईएम, बैंगलोर. शॉट रेडी है, एक्टर्स का इंतजार हो रहा है और वायरस फोटो लेने में बिजी है.
#48.
बहुत-बहुत पहले खींची फोटो, जब बोमन नौसिखिया स्पोर्ट्स फोटोग्राफर हुआ करते थे.
#49.
न्यू यॉर्क में सूर्यास्त.
#50.
लॉस एंजेल्स की सुबह. होटल की फोटो.
#51.
मां के साथ चाय. बोमन लिखते हैं ‘मां के साथ चाय टाइम यूं होता है. फनी, बुद्धिमानी और बचपने भरा, जानकारी बढ़ाने वाला, नॉस्टेलजिया दे जाने वाला और सवाल का एक बड़ा डब्बा.’
#52.
न्यूकासल, इंग्लैंड के ब्रिज से गुजरती रेलगाड़ी. बहुत दूर, होटल के कमरे से लिया गया शॉट.
#53.
अभिषेक बच्चन. अटलांटिस, दुबई में. फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ की शूटिंग के दौरान.
#54.
डांस. बहुत पुराने दिनों की तस्वीर. उस सीरीज का हिस्सा जो बोमन ने श्यामक डावर के डांसर्स को सबजेक्ट बनाकर की थी. फोटो में हर इफेक्ट कैमरा के अंदर का है.
#55.
बोमन की सबसे पसंदीदा फोटो में से एक.
#56.
अक्षय कुमार. ब्लैक एंड वाइट. अरसा पहले.
#57.
वाइफ जेनोबिया और बेटा दानेश, बूडापेस्ट के सेंट स्टीवेंस चर्च में दीप जलाते हुए.
#58.
बंबई की बारिश. फल बेचते दो लड़के. बालकनी से खींची फोटो.
#59.
दानेश और कायोज़ी ईरानी. बरसों पहले की फोटो. फोटोग्राफी सीखने के दिनों में बोमन लाइटिंग की प्रैक्टिस करते हुए अपने दोनों बेटों को प्रॉप बना देते थे. आज ये फोटो चेहरे पर मुस्कान लाती है.
#60.
जैसलमेर में ‘एकलव्य: द रॉयल गार्ड’ की शूटिंग के दौरान खींची फोटो. भीड़ में इस आदमी ने हाथ उठाकर ये इशारा किया और पुकारा ‘मामू.’ वो संबोधन जो बोमन की पहली ही फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ में उनके किरदार को दिया गया और अति-लोकप्रिय हुआ.
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