गणतंत्र दिवस देश का संविधान लागू होने का जश्न होता है. हर साल की तरह इस साल भी यह जश्न यादगार तरीके से मनाया गया. लेकिन इस साल का गणतंत्र दिवस गलत वजहों के कारण भी याद किया जाएगा. मंगलवार को किसान संगठनों द्वारा दिल्ली में आयोजित किसान रैली हुई हिंसा ने इस राष्ट्रीय पर्व की खुशी को कम करने का काम किया. किसानों ने नए कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली निकाली, जो कई जगह हिंसक हो गई. पुलिस ने उपद्रवियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े. वहीं, दूसरी तरफ से आक्रामक किसानों ने बैरिकेड तोड़ डाले.
इस पूरे हंगामे के दौरान पुलिस और किसानों के बीच कई जगह झड़प होने की खबर आई. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, एक किसान ट्रैक्टर से बैरिकेड तोड़ते हुए ट्रैक्टर के नीचे आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई. पुलिस का कहना है कि हिंसा में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. मीडिया रिपोर्टों में कई किसानों के भी घायल होने की जानकारी आ रही है. हालात तब और ज्यादा बिगड़ गए जब रैली में शामिल उग्र लोगों का एक जत्था अपने रूट से अलग होकर लाल किला पहुंच गया. वहां उन्होंने निशान साहिब फहरा दिया. हालांकि दिल्ली पुलिस ने इसे जल्दी ही लाल किले से उतार दिया. आइए तस्वीरों में देखते हैं कि कैसे किसान आंदोलन के लिए यादगार माना गया यह दिन देखते ही देखते एक बुरी याद बनकर रह गया.
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दिल्ली पुलिस का एक जवान किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ता हुआ. (तस्वीर: एपी | अल्ताफ़ क़ादरी)
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नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करता हुआ एक निहंग सिख पुलिसकर्मी के सामने तलवार लहराता हुआ. (तस्वीर: एपी | अल्ताफ़ क़ादरी)
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बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश में किसान और आंसू गैस के गोले छोड़कर प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने की कोशिश करती हुई दिल्ली पुलिस. (तस्वीर: एपी | अल्ताफ़ क़ादरी)
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सिख धार्मिक झंडे निशान साहिब को ऐतिहासिक लाल किले के एक गुंबद पर फहराते हुए प्रदर्शनकारी. (तस्वीर: एपी | दिनेश जोशी)
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लाल किले पर सिख धार्मिक झंडे निशान साहिब को फहराता हुआ प्रदर्शनकारी. पुलिसकर्मियों ने जल्द ही निशान साहिब को लाल किले से उतार दिया था. (तस्वीर: एपी | सुप्रीत सपकल)
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नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करते हुए हिंसक किसानों ने लाल किले के सुरक्षा उपकरणों के साथ तोड़फोड़ की. (तस्वीर: एपी | मनीष स्वरूप)
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मेट्रो स्टेशन की सुरक्षा में जवान. 26 जनवरी को हिंसक होते हुए किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए कई मेट्रो स्टेशन घंटों बंद रहे थे. (तस्वीर: पीटीआई | कमल किशोर)
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ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसक प्रदर्शनकारियों ने कई जगह पुलिस कर्मियों को पीटा. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, कुल 83 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. इस तस्वीर में देख सकते हैं कि पुलिस के जवान प्रदर्शकारियों से मिन्नत करते नजर आ रहे हैं. (तस्वीर: पीटीआई | अरुण शर्मा)
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रैली के दौरान उग्र किसानों द्वारा घायल किए गए जवान को सुरक्षित स्थान पर ले जाते किसान प्रदर्शनकारी. (तस्वीर: पीटीआई | अरुण शर्मा)
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आईटीओ चौराहे पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस ड्यूटी वाली एक बस के साथ तोड़-फोड़ की. आईटीओ पर पुलिस और किसानों के बीच काफ़ी देर तक झड़प होती रही. (तस्वीर: पीटीआई | मानवेंद्र वशिष्ठ)
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लाल किले के परिसर के अंदर टिकट काउंटर के पास प्रदर्शनकारियों द्वारा तोड़-फोड़ देख लीजिए. (तस्वीर: पीटीआई | कमल सिंह)
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लाल किले के सामने प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को तोड़ डाला. (तस्वीर: पीटीआई | कमल सिंह)
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पुलिसकर्मी को मारता प्रदर्शनकारी. तस्वीर में साफ देख सकते हैं कि पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों के सामने हाथ जोड़े हुए हैं.
(तस्वीर: पीटीआई | अरुण शर्मा)
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27 जनवरी की सुबह लाल किले की सुरक्षा में पहरेदारी करते हुए भारतीय सुरक्षा बल. 26 जनवरी को लाल किले पर प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहरा दिया था. (तस्वीर: एपी | मनीष स्वरुप)
वीडियो- लाल किले पर झंडा फहराने वाले का खालिस्तान से संबंध है?