केंद्रीय कैबिनेट ने 17 मई 2017 को न्यूक्लियर पावर इंडस्ट्री में बहुत बड़ी वृद्धि करते हुए 10 नये न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने का फैसला किया है. अभी देश में 22 न्यूक्लियर रिएक्टर काम रहे हैं. न्यूक्लियर एनर्जी से अभी देश में 6780 मेगावाट बिजली पैदा होती है. नये रिएक्टर 7000 मेगावाट बिजली पैदा करेंगे. ये मेक इन इंडिया योजना का हिस्सा होगा. केंद्रीय पावर मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा कि इससे क्लीन एनर्जी पैदा होगी. इस मीटिंग की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी कर रहे थे.
भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़ी बातें:
1. दो रिएक्टर कर्नाटक के कैगा में, दो मध्य प्रदेश के चुटका में, दो हरियाणा के गोरखपुर में और राजस्था के माही बंसवारा में चार लगेंगे. इन जगहों को फाइनल करने से पहले बहुत स्टडी की गई. एटॉमिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड के नियमों को फॉलो करते हुए ये जगहें चुनी गईं.
2. सरकारी कंपनी NPCIL इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगी. उसके लिए भी ये बड़ी बात है. क्योंकि पहले वो 220 और 540 मेगावाट के ही रिएक्टर बनाती थी. अब वो 700 मेगावाट के रिएक्टर बनाने जा रही है. इंडिया का सिविल न्यूक्लियर रिएक्टर प्रोग्राम जापान, फ्रांस और अमेरिका के चक्कर में फंसा हुआ है.
3. पहले इंडिया की बात अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस से चल रही थी. ये जापान की कंपनी टोशिबा के अंडर आती है. ये कंपनी इंडिया में 6 रिएक्टर लगाने वाली थी. पर मार्च 2017 में इसने बैंकरप्सी फाइल कर दी. इसके बाद ये शक हो गया कि अब तो ये बना भी नहीं पाएंगे. अपने इस फैसले के बाद सरकार ने कहा है कि इससे प्रोजेक्ट सस्ते में बनेगा और नौकरियां भी मिलेंगी. ऐसा अंदाजा है कि 33 हजार के करीब नई नौकरियां मिलेंगी.
4. इंडिया का प्लान है कि 2032 तक 63 हजार मेगावाट न्यूक्लियर पावर जेनरेट किया जाएगा. 2050 तक भारत की कुल एनर्जी का 25 प्रतिशत न्यूक्लियर पावर से लाने का प्लान है.
5. फिलहाल इंडिया अपनी कुल ऊर्जा का सिर्फ 2 प्रतिशत न्यूक्लियर पावर से हासिल कर पाता है. इंडिया की ज्यादातर ऊर्जा जरूरतें कोयले से पूरी होती हैं. ये पॉल्यूशन भी करता है. न्यूक्लियर एनर्जी से पॉल्यूशन बहुत कम होता है.
6. अभी इंडिया ने प्रेशराइज्ड हैवी वॉटर रिएक्टर तैयार करने का प्लान बनाया है. ये टेक्नॉल्जी इंडिया ने कनाडा से मंगाई थी. 1974 में भारत ने पहली बार पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था. इसके बाद कनाडा ने मदद करने से मना कर दिया. उसके बाद इंडिया ने खुद बनाने का फैसला लिया था. पहले 220 मेगावाट का रिएक्टर बनाया. फिर 540 मेगावाट का बनाया और अब 700 मेगावाट का बनाने जा रहे हैं.
7. प्रेशराइज्ड हैवी वॉटर रिएक्टर वो न्यूक्लियर रिएक्टर होता है, जिसमें नैचुरल यूरेनियम का इस्तेमाल किया जाता है. हैवी वॉटर यानी ड्यूटिरियम ऑक्साइड कूलैंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. न्यूट्रॉन मॉडरेटर के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. हम सबने ये दसवीं क्लास की केमिस्ट्री की किताब में पढ़ा हुआ है. आज समझने में वो काम आ रहा है.
8. हैवी वॉटर का फायदा ये है कि यूरेनियम पर बहुत काम नहीं करना पड़ता है. पैसे बच जाते हैं. पर हैवी वॉटर खुद थोड़ा महंगा आता है.
9. डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने 60 साल पहले ही देश को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्लान बनाया था. साउथ इंडिया में यूरेनियम और थोरियम उपलब्ध हैं. इंडिया के पास दुनिया का कुल 25 प्रतिशत थोरियम उपलब्ध है. थोरियम के साथ दिक्त ये है कि इसको फिशन नहीं हो सकता. मतलब ये दो कणों में टूट नहीं सकता. इसको पहले यूरेनियम में बदलना पड़ता है. भारत के पास इसका जुगाड़ अभी नहीं है.
10.

# भाभा के मुताबिक भारत को तीन स्टेज में न्यूक्लियर पावर का लक्ष्य हासिल करना था. 2012 तक भारत ने पहला स्टेज पूरा कर लिया था. इसमें प्रेशराइज्ड हैवी वॉटर रिएक्टर का लक्ष्य था.
# फास्ट ब्रीडर रिएक्टर टेक्नॉल्जी 80 के दशक में आई थी. भारत के लिए इसका इस्तेमाल दूसरा स्टेज था. 1985 में भारत में 40 मेगावाट का एक रिएक्टर लगाया गया था. ये फ्रांस की मदद से बनाया गया था. पर ये पूरा नहीं हो पाया. कलपक्कम में ऐसा रिएक्टर लगाया जा रहा है.
# थर्ड स्टेज एडवांस्ड हैवी वॉटर रिएक्टर का है. जिसमें थोरियम का इस्तेमाल करना है. ये रिएक्टर अपना कोर बिना बाहरी कूलिंग वॉटर के इस्तेमाल के ठंडा कर सकते हैं. इस स्टेज से 2025 तक ऊर्जा उत्पादन होने की संभावना है. अभी तक इसके लिए साइट भी तय नहीं की गई है.
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