ज़ी5 पर एक शो रिलीज़ हुआ है, ‘कौन बनेगी शिखरवटी’, जिसे शो में कई जगह शिखरवती भी कहा गया है. नसीरुद्दीन शाह, रघुबीर यादव, लारा दत्ता, कृतिका कामरा, सोहा अली खान जैसे एक्टर्स शो की कास्ट का हिस्सा हैं. लारा दत्ता ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि शो से आपको वेस एंडरसन वाले सिनेमा की फील आएगी. हमें ये शो कैसा लगा, अब उस पर बात करेंगे.
एक महाराजा है, मतलब थे. राजस्थान में अपनी बड़ी-सी हवेली में रहते हैं. उनके साथ मिश्रा जी नाम का राइट हैंड मैन भी है. बाकी रही फैमिली की बात, तो बीवी का स्वर्गवास हो चुका और बेटियां उनके साथ रहती नहीं. राजा की हैं चार बेटियां. पहली है देवयानी, जिसकी बाकी बहनों से बनती नहीं और अपने पति के साथ रहती है. देवयानी को देखकर लगता है कि ये औरत बिना बात अपना शातिर मोड ऑन कर के रखती है हमेशा. दूसरी बेटी है गायत्री, जो बस एक डांस गुरु बनना चाहती है. गायत्री को देखकर लगता है कि स्पिरिचुएलिटी से वास्ता रखने वाली है. तीसरा नंबर आता है कामिनी का, वो एक एक्सेंट के साथ बोलती है, क्योंकि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर है. फोन से बाहर उसकी दुनिया नहीं, वो फोन जिसे वो छोटे बच्चे की तरह ट्रीट करती है. चौथी बेटी है उमा, एक गेम डिवेलेपर जो अस्थमा और एलर्जी से जूझ रही है. इतनी तकलीफों के बावजूद वो अपनी जगह बनाने में लगी है, और उसे कोई बेचारा समझे, ये उसे कतई पसंद नहीं.

अब होता ये है कि राजा को सरकारी नोटिस आता है. सरकार कहती है कि बहुत साल हवेली पर लगा टैक्स नहीं चुकाया, इसलिए अब चुकाना पड़ेगा. राजा के पास बिल्कुल भी पैसा नहीं. इसलिए वो एक तिकड़म चलाता है, अपनी बेटियों को वापस बुलाकर उन्हें एक गेम शो खिलवाता है. जो भी जीतेगा, हवेली उसकी. बेटियां आ जाती हैं, उसके बाद देसी स्क्विड गेम के दौरान उनकी बॉन्डिंग पर क्या असर पड़ता है, यही शो की कहानी है.
शो में आकर्षक लगने वाले दो फैक्टर्स थे, पहला तो कास्ट और दूसरा गेम शो वाला आइडिया. लेकिन इन दोनों के साथ ही एग्ज़ीक्यूशन वाले पार्ट पर मेकर्स पिछड़ गए. एक्टर्स को भरपूर स्क्रीन स्पेस दिया गया है, लेकिन फिर भी उन्हें ठीक से इस्तेमाल नहीं किया. दूसरा शो के कैरेक्टर्स लगातार एक सेट पैटर्न में बिहेव करते हैं. कोई झल्ली है, तो वो सब के साथ ऐसी ही रहेगी. इस वजह से कैरेक्टर्स रियलिस्टिक नहीं लगते. चारों बेटियां अपने पिता की शक्ल तक नहीं देखना चाहती, लेकिन जैसे ही पहला बुलावा आता है, हवेली पहुंच जाती हैं और गेम खेलने लगती हैं. यहां उनके इंटेंशन क्लियर नहीं होते. देवयानी के पति को पैसों की ज़रूरत थी, इसलिए वो गेम खेलती रहती है. बाकी तीन बेटियां गेम से क्या उम्मीद रखती हैं, ये समझ नहीं आता.

राजा बने नसीरुद्दीन शाह एक अच्छे पिता साबित नहीं हो पाते. अपनी बेटियों को बचपन से आपस में कंपीट करवाते हैं. बड़े होने के बाद भी कंपटीशन वाली भावना बरकरार रखते हैं. कितने भी बड़े राजा हों, लेकिन यहां फेल हुई पेरेंटिंग का एग्ज़ाम्पल साबित होते हैं. शो अपने प्लॉट को इंट्रेस्टिंग बनाने की जगह काश उतनी मेहनत अपने किरदारों पर करता. यहां किरदार अधपके लगते हैं, इसलिए कहानी एक्साइट नहीं कर पाती.
‘कौन बनेगी शिखरवटी’ एक फन शो हो सकता था, लेकिन बन नहीं पाता. उसकी कमज़ोर राइटिंग ऐसा करने से रोक देती है.
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