हम सबके लिए फिल्मों के मायने अलग हैं. किसी को मनोरंजन चाहिए, तो किसी को अपने आसपास की हकीकत पर्दे पर उतरते देखनी है. मनोरंजन करने वाली फिल्मों से कोई शिकायत नहीं. उनका कोटा भरा हुआ है. बात है, दूसरी टाइप फिल्मों की. समाज को आईना दिखाने वाली. पिछले कुछ समय से इनका स्कोप सिकुड़ता ही जा रहा है. ऐसे ही दौर में एक फिल्म आ रही है. जो पहले आपको समाज की वास्तविकता पर हसांएगी, फिर गहरे चिंतन पर मजबूर कर देगी. नाम है ‘आधार’. आज सुबह ही इसका ट्रेलर आया है. बताएंगे क्या है ट्रेलर में, कहानी क्या है, कौन-कौन हैं फिल्म में और आ कब रही है?
# Aadhaar की कहानी क्या है?
शुरू होती है परशुआ से. छोटे से गांव में रहने वाला कुम्हार. एक दिन इस शांत से गांव में एंट्री होती है कुछ सरकारी अफसरों की. ‘हुड-हुड दबंग’ गाना बजाते हुए गाड़ी में आते है. पूरा गांव एकाएक भीड़ लगा लेता है. अफसर बताते हैं कि आप लोगों की सुविधा के लिए सरकार एक परिचय पत्र बना रही है. जिसका नाम है आधार. गांव में बात उड़ जाती है. कि भईया, ये एक नंबर तो ज़िंदगी बदल डालेगा. परशुआ भी अपनी किस्मत को 360 डिग्री घुमाना चाहता है. चाहता है कि उसका भी नंबर लग जाए. इसी उम्मीद से आधार रजिस्ट्रेशन ऑफिस पहुंचता है. गांव का पहला आधार कार्ड होल्डर बन जाता है. उसका ये फ़ैसला एक ज़िम्मेदारी भी लेकर आता है. सबको रिप्रेज़ेंट करने की ज़िम्मेदारी. इसी के चक्कर में उसकी लाइफ में क्या उठापटक मचती है, यही फिल्म की कहानी है.

# Aadhaar का ट्रेलर कैसा है?
‘आधार’ अपने आप को लेकर पूरी तरह जागरूक है. अपनी मेसेजिंग की सेंसिटिविटी को भली-भांति समझती है. इसलिए किसी भी सीरियस सीन के साथ एक तंज पिरोया हुआ मिलेगा. जैसे एक सीन है. जहां परशुआ आधार बनवाने जाता है. ऑफिसर बायोमेट्रिक के लिए फिंगरप्रिंट लेता है. पर परशुआ की हाथ की लकीरें धुंधली पड़ चुकी है. स्कैन नहीं हो पाती. इसपर वो जवाब देता है,
“किस्मत का लकीर तो अमीर लोगों के हाथ में होता है ना, गरीब आदमी का लकीर तो उसका काम ही साफ कर देता है”.

कुछ पल के लिए ये डायलॉग शायद सोचने पर मजबूर कर दे. आप अपने हाथ पर उभरती गाढ़ी लकीरें देखने लगें. पर तभी सामने से आता है डायलॉग, जो आपको इस वास्तविकता से खींचकर फिर से अपने कम्फर्ट ज़ोन में ले आएगा. ऑफिसर जवाब देता है, पिक्चर बहुत देखते हो बेटा, दबादब डायलॉग पेल रहे हो.
फिल्म एक और फ़र्क पर बात करती है. जिसपर कितने ही कवि बात कर-कर थक गए. इंडिया और भारत का फ़र्क. जैसे जब सरकारी अफसर आधार की जानकारी देने आते हैं. बताते हैं कि इस मूवमेंट से भारत अब इंडिया बनने जा रहा है. परशुआ हैरान होकर बगल वाले से पूछता है. भारत और इंडिया एक ही देश हैं कि अलग-अलग हैं? यहां भी परशुआ का भोलापन एक बात का सूचक है. कि कैसे एक बड़ी जनसंख्या के लिए अभी भी इंडिया एक सपना ही है. फिल्म ने भारत और इंडिया के भेद को सटल नहीं रखा. पूरी तरह उजागर किया है. जैसे एक और सीन है. जहां परशुआ शहर में किसी दुकान के सामने सो रहा है. पुलिसवाले पहुंचते हैं. हाथ में डंडा लिए. परशुआ पूछता है. हम भारत से इंडिया में आए हैं, डंडा क्यूं दिखा रहे हैं साहब?

ऐसे ही गांव का एक और किरदार पूछता है,
इतने बरस हो गए आज़ादी मिले, अब तक हमारा गांव इंडिया में ही नहीं घुस पाया क्या?
ट्रेलर में जिस भी किरदार ने आधार के गुणगान गाए, उसे इंडिया से जोड़ा. भारत से नहीं.
# Aadhaar में कौन-कौन हैं?
फिल्म में परशुआ का किरदार निभाया है विनीत कुमार सिंह ने. जिन्हें इससे पहले आप ‘मुक्काबाज़’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘अग्ली’ जैसी फिल्मों में देख चुके हैं. फिल्म में उनके अलावा आपको सौरभ शुक्ला, रघुबीर यादव और संजय मिश्रा जैसे मंझे हुए कलाकार भी दिखेंगे.

# Aadhaar बना कौन रहा है?
बना रहे हैं बंगाली फिल्ममेकर सुमन घोष. इससे पहले ‘पोदोखेप’, ‘नोबेल चोर’ और ‘बसु पोरिबार’ जैसी क्रिटिकली अकलेम्ड फिल्में बना चुके हैं. ‘पोदोखेप’ को बेस्ट फीचर फिल्म का नैशनल अवॉर्ड भी मिला था. दृश्यम फिल्म्स ने जियो स्टुडियोज़ के साथ मिलकर इसे प्रोडयूस किया है. दृश्यम फिल्म्स इससे पहले भी कमाल की फिल्में प्रोडयूस कर चुका है. ‘मसान’, ‘न्यूटन’, ‘कामयाब’, ‘रामप्रसाद की तेरहवी’, उन्हीं में से कुछ नाम हैं.

# Aadhaar आ कब रही है?
जवाब है 5 फरवरी. वो भी थिएटर्स पर. फिल्म का टीज़र 2019 में रिलीज़ किया गया था. जिसके बाद ये फिल्म फेस्टिवल्स की सैर पर निकल पड़ी. वेट थोड़ा लंबा हुआ, पर फाइनली अब फिल्म आ रही है.
अगर आपने ‘आधार’ का ट्रेलर नहीं देखा, तो नीचे देख सकते हैं –
वीडियो: फिल्म ‘कोबरा’ के टीज़र की ये पांच बातें जान लीजिए, पूरी कहानी साफ हो जाएगी