योग दिवस अच्छी चीज है, उतनी ही जितना अच्छा योग. आदमी हेल्दी रहता है योग कर के. योग में होते हैं आसन. सोचिए कि योग पॉलिटिकल हो जाए, वैसे आपके सोचने से पहले से हो पड़ा है. आसन भी पॉलिटिकल हो जाएंगे, होंगे तो कैसे होंगे? पढ़ने वाली बात ये है.
1. सेल्फी आसन
सेल्फी आसन कहीं भी किया जा सकता है. कार में, बस में, छज्जे पर, प्लेन में, मतदान केंद्र के बाहर, जनाजे में. इसे हंसते-बोलते-चलते हुए भी किया जा सकता है. सेल्फी आसन एकाग्रता बढ़ाता है. आप सिर्फ एक अपने तक सीमित रह जाते हैं. इस आसन को करने वाला अपना सारा ध्यान एक अंगूठे के जरिए लम्बे-चौड़े, हिलते-डुलते फोन के एक गोल बिन्दु पर केंद्रित करता है.
2. सुप्तासन

ये दो लेवल पर किया जाने वाला आसन है. पहला आप चुनाव जीतने के बाद करते हैं. इस क्रम में पहला काम अपने ही घोषणापात्र को गोरसी की आग में धरकर फूंक देना होता है. दूसरा चुनाव हारने के बाद होता है. ये आसन ठीक उसी वक़्त शुरू होता है जैसे ही आप ‘हम हार के कारणों की समीक्षा करेंगे’ कहते हैं.
3. ना-नुकुरासन
आकर्षण के केंद्र में लाने वाला ये आसन किसी भी बात पर किया जा सकता है. इसकी विशेषता है कि ये सामने वाले का मुंह देखकर किया जाता है. इस आसन के करने से वजन घटता और भाव बढ़ता है. अनिवार्य ये है कि बार-बार किया जाए, और फायदा तभी है जब कोई विवाद भड़काए.
4. गठबंधनासन
यह आसन स्वस्थ लोगों के लिए है. ये खुद में सम्पूर्ण ‘योग’ है. लिटरली. ये आसन बहुत कुछ बिगड़ चुकने के बाद भी किया जाता है. चूंकि ये विशुद्ध योग है. इसलिए इसमें जुड़ना अपरिहार्य है फिर भले वो साइकिल में लालटेन ही क्यों न जुड़ें.
5. निंदासन

ये आसन भी सिर्फ मुंह खोलकर किया जाता है. लेकिन बहुत थोड़ा. आमतौर पर ये किसी बड़ी घटना के बाद किया जाता है. ये ठीक वैसा ही है जैसे बड़े हादसे में हाथ-पैर तुड़ाकर आप प्लास्टर वाले हाथ की अंगुलियां डुलाते हैं.
6. चमचासन
ये आसन किसी बड़े के पीछे-पीछे होकर ही किया जाता है. ये आसन शरीर को हल्का करता है, स्वभाव में हल्कापन लाता है और चमचे के स्तर को ऊपर ले जाता है. इस आसन में निखट्टूपन अनिवार्य है, साथ ही शरीर को ऐसी स्थिति में ले जाना होता है, जहां से आप अपने बड़के नेता का नाम आसानी से डुबा सकें. वैसे देश में अचानक से ट्रंप के चमचे बढ़े हैं, वैश्विक स्तर पर योग फेमस करने को ट्रंप चाहें तो खुद भी चमचासन कर सकते हैं.
7. विरोध आसन
सबसे आसान आसन है. इसे ना-नुकुर आसन की मुद्रा में बैठ कर किया जाता है. अमूमन ये अपोजीशन के लोग करते नजर आते हैं. पर कई बार सत्तापक्ष के लोग भी इसकी मुद्राएं दोहराते नजर आते हैं. विरोध आसन के दो प्रचलित रूप हैं. सदन में किया जाने वाला बहिर्गमन. और सड़क पर धरना प्रदर्शन. जिस तरह कई आसन करके कैलोरी बर्न होती है इस आसन से जनता के पैसे बर्न होते हैं. और जैसे उड़ते इल्जाम केजरीवाल पर लगे हैं वो चाहें तो रॉकेटआसन भी कर लें.
8. बकरासन
मूलत: ये हिन्दी के बक शब्द से बना है. इसे करने के लिए सबसे पहले मुंह को माइक के पास ले जाइए. होंठों को फैलाइए जीभ को चलाइए और कुछ भी कह दीजिए. उल्टे-सीधे बयानों के जरिए किया जाने वाला ये आसन पिछले कुछ सालों में खूब प्रचलित हुआ है. इसके फायदे भी तत्काल नजर आते हैं, सस्ती लोकप्रियता जुटाने के लिए ये सबसे कारगर आसन है. ये आसन अक्सर दो लोगों की मदद से किया जाता है. ANI का कैलकुलेटर सामने वीडियो लेने के लिए हो तो ये आसन और सुभीते से होता है.
9. वोटर नमस्कार
ये पांच साल में एक बार किया जाता है. इसके फायदे पांच साल तक नजर आते हैं. ये आसन नहीं कई आसनों का मेल है, जिसमें हाथ जोड़ना, हाथ हिलाना, झुकना, बे-बात भावुक हो जाना, पैरों पर लोट जाना तक शामिल है. एक बार ये आसन अच्छे से कर लिए जाएं फिर वोटर्स को दूर से नमस्कार किया जा सकता है. ये आसन परिवारीजनों की मदद से भी किया जा सकता है. इस आसन को करने के लिए यूनिफॉर्म निर्धारित होती है, कुर्ते और साड़ी सबसे ज्यादा प्रचलित और सुविधाजनक माने जाते हैं. भारतीय जलवायु के लिहाज से.
10. भक्तासन
मूलत: ये अंधभक्तों और अंधविरोधियों के द्वारा किया जाने वाला आसन है. आंख बंद कीजिए. सांस के साथ लॉजिक को भी छोड़ दीजिए. ढेर सा कलुष अंदर भरिए. दुनियादारी को चूल्हे में झोंक कर जपना शुरू कीजिए. क्या जपना है आप जानते हैं. ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’, ‘तुमको सब बुराई केजरीवाल में ही दिखती हैं’, ‘प्रियंका दीदी को वापस लाओ’, ‘चौरासी में कहां थे?’, ‘साठ साल के गड्ढे भर रहे हैं’, ‘देशद्रोही’, ‘तो पाकिस्तान चले जाओ…’
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