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चंद्रबाबू नायडू पर हमला करने वाला 'बम एक्सपर्ट' माओवादी नेता करेगा सरेंडर

सरेंडर करने वाले माओवादियों में एक बड़ा नाम Takkalappalli Vasudeva Rao, alias Rupesh का भी है. रुपेश वो शख्स है जिसे माओवादियों का 'बम एक्सपर्ट' माना जाता है.

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Takkalappalli Vasudeva Rao, alias Rupesh
माओ
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मानस राज
17 अक्तूबर 2025 (Published: 09:32 AM IST)
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महाराष्ट्र के गढ़चिरौली (Garhchirauli Maoists Surrender) में सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के सामने माओवादियों के सरेंडर के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी सरेंडर होने जा रहा है. 16 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ में 170 माओवादियों ने सरेंडर कर दिया है. ये सभी माओवादी 17 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai) के सामने औपचारिक रूप से सरेंडर करेंगे. सरेंडर करने वाले माओवादियों में एक बड़ा नाम तक्कलप्पल्ली वासुदेव राव उर्फ रुपेश (Takkalappalli Vasudeva Rao, alias Rupesh) का भी है. रुपेश वो शख्स है जिसे माओवादियों का 'बम एक्सपर्ट' माना जाता है. उसके अलावा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी (DKZC) के माड़ डिवीजन का इंचार्ज रनिता भी सरेंडर करेगा.

चंद्रबाबू नायडू पर हमला करवाया था

1 अक्टूबर, 2003 को आंध्र प्रदेश के वर्तमान सीएम चंद्रबाबू नायडू पर हमला हुआ था. लैंडमाइन के इस हमले में चंद्रबाबू नायडू घायल हो गए थे. इस हमले का आरोप रुपेश पर लगा. इसके अलावा रुपेश पर आंध्र प्रदेश के गृहमंत्री ए माधव रेड्डी और उमेश चंद्र नाम के एक आईपीएस अधिकारी को मारने का भी आरोप है. इंडियन एक्सप्रेस को पुलिस के सूत्रों ने बताया कि रुपेश को सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमिटी में पद दिया गया. लेकिन उसने वो पोस्ट स्वीकार नहीं की. वो अपनी कमिटी की मीटिंग से पहले ही सरेंडर कर रहा है.

139 Maoists surrender in two days as government vows 'Naxal free Bharat' -  Daily Excelsior
सरेंडर के बाद मल्लोजुला वेणुगोपाल राव को ‘संविधान की प्रति’ देते महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस (PHOTO-X)
महाराष्ट्र में सरेंडर के बाद अब छत्तीसगढ़

रुपेश समेत 170 माओवादियों के सरेंडर की ये घटना तब सामने आई है, जब कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र में एक बड़े माओवादी कैडर ने सरेंडर किया है. इनमें सबसे बड़ा नाम मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ ​​सोनू उर्फ ​​अभय उर्फ ​​भूपति का है. ये लोग सीपीआई (माओवादी) पोलित ब्यूरो के सदस्य थे और पार्टी के वैचारिक प्रमुख के रूप में जाने जाते थे. सरेंडर से पहले, सोनू ने अधिकारियों को एक पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया था कि इस बात की संभावना है कि माओवादी पार्टी को बचाने के लिए सशस्त्र संघर्ष छोड़ सकते हैं. साथ ही सोनू ने यह भी कहा था कि रूपेश उनके साथ है.

तेलंगाना के खुफिया सूत्रों के अनुसार रूपेश, सोनू का समर्थक था. तेलंगाना के एक खुफिया अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह कहने के लिए पर्याप्त जानकारी है कि हथियार छोड़ने का फैसला करने से पहले वे एक-दूसरे के संपर्क में थे.

वीडियो: ओडिशा : माओवादी धमकाने आए, गांववालों ने पीट-पीटकर मार डाला

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