तालिबान के विदेश मंत्री के भारत आने पर चिढ़ गया पाकिस्तान, बोला- ये तो उनके पुराने वफादार
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर शुक्रवार, 10 अक्टूबर को अफगानिस्तान के विदेश मंत्री Amir Khan Muttaqi से हैदराबाद हाउस में मुलाकात करेंगे. इसे तालिबान को लेकर भारत के सॉफ्ट स्टैंड के तौर पर भी देखा जा रहा है. यह पहली बार है, जब Taliban के कोई विदेश मंत्री भारत आए हैं. लेकिन उनकी यात्रा से पड़ोसी देश पाकिस्तान चिढ़ गया है.

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताक़ी (Amir Khan Muttaqi) गुरुवार, 9 अक्टूबर को भारत पहुंच चुके हैं. वह 10 अक्टूबर को भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हैदराबाद हाउस में मुलाकात करेंगे. उनकी इस भारत यात्रा से पाकिस्तान को काफी मिर्ची लगी है. पाक ने चिढ़कर कहा कि अफगानिस्तान तो भारत का पुराना वफादार है.
आजतक के अनुसार पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में कहा कि अफगान हमेशा भारत के वफादार रहे हैं. वह पाकिस्तान के खिलाफ-कल भी, आज भी और कल भी रहेंगे. उनका यह बयान तब आया है, जब हाल के समय में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं. इधर, आमिर खान मुत्ताक़ी मुत्ताकी की यह भारत यात्रा कई मायनों में अहम और ऐतिहासिक मानी जा रही है.
तालिबान के विदेश मंत्री की पहली भारत यात्राबता दें कि यह पहली बार है जब तालिबान का कोई विदेश मंत्री भारत आया है. वहीं, 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी के बाद किसी तालिबान नेता की यह भारत की अब तक की सबसे उच्च-स्तरीय आधिकारिक यात्रा है. खास बात यह है कि आमिर खान मुत्ताक़ी को भारत आने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से विशेष अनुमति (special permission) दी गई है.
दरअसल, मुत्ताक़ी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) ने प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची में शामिल कर रखा है. इससे उनके दुनिया में कहीं भी यात्रा करने पर रोक लगाई गई है. आजतक के अनुसार, वह पिछले महीने ही भारत आने वाले थे, लेकिन ट्रैवल बैन के चलते उनका यह दौरा रद्द कर दिया गया था. अब विशेष अनुमति मिलने के बाद वह भारत पहुंचे हैं.
भारत की तालिबान नीति में बदलाव के संकेतआमिर खान मुत्ताकी के भारत दौरे को भारत की अफगान नीति को मज़बूत करने के तौर पर भी देखा जा रहा है. मालूम हो कि तालिबान सरकार को मान्यता देने वाला रूस अब तक एकमात्र देश है. अन्य देशों के साथ भारत ने भी अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है. ऐसे में कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि क्या मुत्ताकी के दौरे से भारत ने इस ओर कदम बढ़ा दिया है.
भारत ने अपने स्टैंड में बदलाव के संकेत दो दिन पहले भी दिए थे, जब उसने 7 अक्टूबर को, तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस के साथ मिलकर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना का विरोध किया था, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर कब्जा करने की बात कही थी. यह एक असामान्य घटना बताई गई थी.
विदेशी मीडिया में चर्चाआमिर खान मुत्ताकी के भारत दौरे की अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भी खासी चर्चा है. बीबीसी ने उनके दौरे को एक ऐसी यात्रा बताया है, जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. बीबीसी ने लिखा कि न तो इस्लामाबाद, न ही दिल्ली और न ही तालिबान ने यह अनुमान लगाया होगा कि सत्ता संभालने के तुरंत बाद, तालिबान के पाकिस्तान के साथ संबंध इस हद तक बिगड़ जाएंगे. जबकि भारत काबुल में नई सरकार के साथ बहुपक्षीय संबंध स्थापित करेगा. वहीं जर्मन मीडिया DW ने लिखा कि मुत्ताकी की यात्रा, भारत के लिए एक ऐसे मौके के तौर पर देखी जा रही है, जहां वह तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता दिए बिना उसके प्रति अपना रुख बदल सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत-तालिबान के संबंधों में यह नरमी उस वक्त आ रही है, जब पाकिस्तान और तालिबान के बीच संबंधों में तल्खी बढ़ी है.
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आगर और देवबंद भी जाएंगे मुत्ताकीबहरहाल, तालिबानी विदेश मंत्री अब नई दिल्ली पहुंच चुके हैं. उनका स्वागत करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री, मावलवी आमीर ख़ान मुत्तक़ी का नई दिल्ली आगमन पर हार्दिक स्वागत है. हम उनके साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं. वहीं तालिबान के एक प्रवक्ता ने बीबीसी से कहा कि मुत्ताकी विभिन्न राजनीतिक, आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए और अफगानिस्तान के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए भारत दौरे पर हैं. इंडियन एक्स्प्रेस के अनुसार मुत्ताकी 16 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे. इस दौरान वह आगरा और देवबंद मदरसा भी जाएंगे. वे भारत में अफ़ग़ान समुदाय के सदस्यों से भी मिलेंगे
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