"लड़कियों को पढ़ने क्यों नहीं देते," अफगान विदेश मंत्री से महिला पत्रकारों ने पूछे कड़े सवाल, जवाब क्या आया?
Taliban in India: आरोप लगते रहे हैं कि तालिबान ने अफगानिस्तान में शासन के बाद से लड़कियों को पढ़ाई से दूर रखा है. रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो महिला पत्रकार भी शामिल रहीं. ऐसे में महिला शिक्षा पर सवाल उठना तो तय था.

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने रविवार, 12 अक्टूबर को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें पिछले बार की कमी को पूरा करते हुए महिला पत्रकारों को भी बुलाया गया. इससे पहले की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को ना बुलाने पर तालिबान की काफी आलोचना हुई थी.
तालिबानी नेता मुत्तकी एक हफ्ते के भारत दौरे पर हैं. उनकी पिछली प्रेस कॉन्फ्रेंस के फोटो सोशल मीडिया खूब वायरल हुए, जिसमें केवल पुरूष ही मौजूद थे. जब चौतरफा आलोचना हुई, तो मुत्तकी ने सफाई देते हुए महिला पत्रकारों की गैरमौजूदगी को 'तकनीकी गड़बड़ी' बताया. इंडिया टुडे से जुड़े गीता मोहन और प्रणय उपाध्याय की रिपोर्ट के मुताबिक, मुत्तकी ने कहा,
"यह जानबूझकर नहीं किया गया था. प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी बहुत कम समय में दी गई थी और एक लिमिटेड लिस्ट के हिसाब से निमंत्रण भेजा गया था."
लड़कियों की पढ़ाई पर क्या बोले मुत्तकी?
तालिबान की महिला शिक्षा को लेकर काफी आलोचना होती है. आरोप लगते रहे हैं कि तालिबान ने अफगानिस्तान में शासन के बाद से लड़कियों को पढ़ाई से दूर रखा है. रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो महिला पत्रकार भी शामिल रहीं. ऐसे में महिला शिक्षा पर सवाल उठना तो तय था.
एक महिला पत्रकार ने मुत्तकी से पूछा कि जब ईरान, सऊदी अरब और सीरिया में लड़कियों को पढ़ने से नहीं रोका जा रहा है, तो अफगानिस्तान में लड़कियों के पढ़ने पर रोक क्यों है? इस पर मुत्तकी ने जवाब दिया,
"इसमें कोई शक नहीं कि अफगानिस्तान के दुनिया भर के उलेमाओं और मदरसों के साथ और देवबंद के साथ शायद दूसरे से भी ज्यादा गहरे रिश्ते हैं. शिक्षा के मामले में इस समय हमारे स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में एक करोड़ छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें से 28 लाख महिलाएं और लड़कियां हैं. धार्मिक मदरसों में ये शिक्षा के मौके ग्रेजुएशन लेवल से लेकर हायर लेवल तक हैं. कुछ खास हिस्सों में ही हद हैं, और इसका मतलब यह नहीं कि हम शिक्षा के खिलाफ हैं. हमने इसे धार्मिक रूप से 'हराम' घोषित नहीं किया है, लेकिन इसे दूसरे आदेश तक के लिए टाल दिया गया है."
दानिश सिद्दीकी की मौत पर क्या बोले?
2021 में अफगानिस्तान में मारे गए पुलित्जर विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर जब सवाल किया गया, तो मुत्तकी ने कहा,
"आप जानते हैं कि अफगानिस्तान ने चार दशकों तक युद्ध झेला है, जिनमें से दो दौर कब्जे के थे, और इस दौरान पत्रकारों और शिक्षा जगत के लोगों, दोनों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें लाखों अफगान भी शामिल हैं. यह सच में हमारे इतिहास का एक कड़वा दौर था, और इस दौरान हुए सभी नुकसान के लिए हमें खेद है. अल्लाह की तारीफ के साथ पिछले चार सालों में हमारे शासनकाल में किसी भी रिपोर्टर, जर्नलिस्ट या अन्य व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है या ऐसा किसी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा है, और हम उम्मीद करते हैं कि मौजूदा वक्त में जो सुरक्षा व्यवस्था है, वो बनी रहेगी और आगे भी जारी रहेगी."
भारत-अफगान रिश्तों पर क्या कहा?
मुत्तकी ने बताया कि उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की और कई मुद्दों पर चर्चा की है. भारत और अफगानिस्तान के बीच रुकी हुए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करने की बात हुई है. इसके अलावा अफगान राजनयिक जल्द ही भारत में काम शुरू करेंगे.
तालिबान की तरफ से चाबहार पोर्ट के जरिए व्यापार बढ़ाने और वाघा बॉर्डर खोलने की अपील की गई. देवबंद दारुल उलूम के साथ स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम की बात भी हुई. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अफगानिस्तानी विदेश मंत्री ने अमृतसर और अफगानिस्तान के बीच उड़ानें जल्द शुरू होने की भी जानकारी दी.
पाकिस्तान से रिश्तों पर जवाब
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सैन्य झड़प पर मुत्तकी ने कहा कि तालिबान का पाकिस्तान के लोगों से कोई झगड़ा नहीं है, लेकिन कुछ लोग समस्याएं पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा,
"हम तनाव नहीं चाहते, लेकिन अगर बातचीत से हल नहीं निकला तो और भी रास्ते हैं."
उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान को अपनी समस्याएं खुद देखनी चाहिए. उन्होंने साफ किया कि अफगानिस्तान की जमीन पर TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) का कोई ठिकाना नहीं है.
भारत सरकार ने बनाई दूरी
महिला पत्रकारों को ना बुलाने पर विवाद के बाद भारत सरकार की भी आलोचना हुई थी. विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा था. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स (IWPC) ने महिला पत्रकारों को बाहर रखे जाने को 'बहुत ज्यादा भेदभावपूर्ण' करार दिया था. उन्होंने राजनयिक विशेषाधिकार या वियना कन्वेंशन के तहत किसी भी तर्क को खारिज कर दिया था.
हालांकि, भारत सरकार ने साफ किया कि तालिबान के पिछले प्रेस इवेंट में उसकी कोई भूमिका नहीं थी. विदेश मंत्रालय ने कहा,
"अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस से भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं था."
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस तालिबान की भारत यात्रा के दौरान हुई. तालिबान लगातार कोशिश कर रहा है कि ग्लोबल लेवल पर उसकी स्वीकार्यता बढ़े और दुनिया के देश अफगानिस्तान की मान्य सरकार के तौर पर मान्यता दें.
वीडियो: तालिबानी मंत्री के प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की 'नो-एंट्री', विपक्ष ने मोदी सरकार को घेर लिया