SC में कश्मीर पर सुनवाई चल रही थी, वकील की इस बात पर CJI के सामने बहसा-बहसी हो गई
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मांगने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों में 'आपकी सरकार-मेरी सरकार' को लेकर बहस हो गई.
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सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मांगने वाली याचिका पर राज्य और केंद्र दोनों पक्षों के वकील ‘मेरी सरकार-आपकी सरकार’ पर भिड़ गए. ये 'झगड़ा' उस समय हुआ जब याचिका पर सुनवाई के दौरान पहलगाम हमले का जिक्र आया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से बहस करते हुए पूर्ण राज्य की याचिका वाले वकील ने जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को 'आपकी सरकार' कहा तो मेहता भड़क गए. उन्होंने चीफ जस्टिस बीआर गवई की ओर मुखातिब होकर कहा कि ये याचिकाकर्ता कौन हैं जो केंद्र सरकार को अपनी सरकार नहीं मान रहे.
चलिए पूरा मामला विस्तार से बताते हैं…सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर सुनवाई चल रही थी. एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण पेश हुए थे. केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए सॉलिसिटलर जनरल कोर्ट में मौजूद थे. CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ मामले को सुन रही थी. शंकर नारायण ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है. उसके राज्य के दर्जे को वहां विधानसभा चुनाव हो जाने के बाद बहाल कर दिया जाएगा.
इस पर एसजी मेहता ने जवाब दिया,
‘अगर वचन दिया गया है तो उसका सम्मान किया जाएगा लेकिन योर लॉर्डशिप जानते हैं कि कैसी परिस्थितियां हैं और उसके कई पहलू हैं. ये सीमा के इस पार और सीमा के उस पार (पाकिस्तान में) भी चिंता का विषय है. इसमें कई चीजें विचार करने वाली हैं क्योंकि यह अपने आप में अनोखी (sui generis) समस्या है. इसके बारे में काफी व्यापक चिंताएं हैं, जिसे शायद हम कभी नहीं जान पाएंगे.’
इससे पहले 14 अगस्त को जब मामले की सुनवाई हुई थी तो मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने केंद्र सरकार से कहा था कि आपको जमीनी हकीकत को ध्यान रखना होगा. पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को जो आतंकी हमला हुआ था, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. शुक्रवार 10 अक्टूबर 2025 को भी जब CJI ये मामला सुन रहे थे तो उन्होंने हमले का जिक्र किया और कहा,
ऐसे मामलों पर कई पहलुओं को देखकर फैसला लेना चाहिए. पहलगाम अभी तक…
CJI की बात पूरी होती इससे पहले ही शंकरनारायणन बीच में बोल पड़े,
…जो (पहलगाम हमला) उनकी (मोदी सरकार की) निगरानी में था. भारत सरकार के. (जम्मू-कश्मीर) केंद्र शासित प्रदेश (है). इसलिए उनकी निगरानी में था.
जैसे ही शंकर नारायण ने ये बात कही, एसजी तुषार मेहता ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा,
यह 'उनकी' नहीं, 'हमारी' सरकार की निगरानी में था.
जवाब में शंकर नारायण बोले, 'हां, आपकी सरकार' की निगरानी में.'
SG (सॉलिसिटर जनरल) ने तुरंत जवाब दिया,
‘आपकी सरकार’ की निगरानी में नहीं. ‘हमारी सरकार’ की निगरानी में. मुझे इस पर आपत्ति है.
उन्होंने अदालत से कहा कि इस पर फैसला दिया जाए. ये याचिकाकर्ता कौन हैं? क्या ये सरकार को अपनी सरकार नहीं मानते?
हालांकि, शंकर नारायण ने इस पर स्पष्टीकरण नहीं दिया और कोर्ट से कहा कि ‘संविधान पीठ के सामने उन्होंने ये तर्क रखा था कि किसी भी पूर्ण राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में नहीं बदला जा सकता. जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो गए हैं. 5 अगस्त 2019 में उससे राज्य का दर्जा छीना गया था. अब 2025 आ गया है. कोर्ट में आश्वासन दिया गया था. चुनाव हो गए और पुल के नीचे से बहुत पानी बह गया है.’
इस पर एसजी तपाक से बोले,
‘पानी भी, खून भी. और सुप्रीम कोर्ट के सामने एक नागरिक है जो भारत सरकार को अपनी सरकार नहीं मानता है. कम से कम एक नागरिक तो ऐसा है, जो देश की सरकार को आपकी सरकार कहता है. मेरी सरकार नहीं. ये वो चीजें हैं, जिस पर सरकार को विचार करना होगा.’
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मामले को 4 हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है.
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