The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Russian Company Oil Sanctions Reliance Industries RIL Says Will Comply With Govt Guidance

अमेरिका के इस फैसले के बाद रिलायंस का बयान, कहा- तेल खरीद पर सरकार की बात मानेंगे

RIL On Russian Oil Company Sanctions: रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने शुक्रवार 24 अक्टूबर को इसे लेकर बयान जारी किया. कंपनी ने कहा कि वह इन प्रतिबंधों के असर और नियमों की समीक्षा कर रही है. वह इस मामले पर भारत सरकार के भी दिशानिर्देश का पूरी तरह पालन करेगी.

Advertisement
Russian Company Oil Sanctions Reliance Industries RIL Says Will Comply With Govt Guidance
भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट तेल रिफाइनिंग कंपनी है रिलायंस. (फाइल फोटो)
pic
रिदम कुमार
25 अक्तूबर 2025 (Published: 10:33 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

रूस (Russia) की दो बड़ी कंपनियों पर अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों का असर अब भारत पर भी पड़ता दिख रहा है. भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट तेल रिफाइनिंग कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने शुक्रवार 24 अक्टूबर को इसे लेकर बयान जारी किया. कंपनी ने कहा कि वह इन प्रतिबंधों के असर और नियमों की समीक्षा कर रही है. वह इस मामले पर भारत सरकार के भी दिशानिर्देश का पूरी तरह पालन करेगी. यह भी कहा है कि वह यूरोपीय संघ (EU) के नए दिशानिर्देशों का भी पालन करेगी, जिसमें कहा गया था कि यूरोप में बेचे जाने वाले पेट्रोलियम उत्पादों में रूसी तेल नहीं होना चाहिए.

US प्रतिबंधों पर RIL ने क्या कहा?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, RIL का कहना है कि वह अपनी रिफाइनरी संचालन प्रणाली में बदलाव करेगी ताकि सभी नियमों और प्रतिबंधों का पालन हो सके. साथ ही कहा कि कंपनी समय और बाजार के नियमों के मद्देनजर सप्लाई के कॉन्ट्रैक्ट में भी बदलाव करेगी. कंपनी ने भरोसा जताया कि उसकी अलग-अलग सोर्स से तेल खरीदने वाली रणनीति से घरेलू और निर्यात दोनों में तेल की आपूर्ति बनी रहेगी. 

बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का यह बयान अमेरिका द्वारा रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों (रोसनेफ्ट और लुकोइल) पर प्रतिबंध लगाने के दो दिन बाद आया है. रूस की यही दो कंपनियां मिलकर भारत को कच्चे तेल का दो-तिहाई हिस्सा सप्लाई करती हैं. भारत में कुल कच्चे तेल का 35% हिस्सा रूस से ही आता है. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इसी बीच वेस्ट के प्रतिबंधों को लेकर उद्योग जानकारों का मानना है कि भारत की रूस से तेल खरीद में तेजी से गिरावट आ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि RIL और सरकारी तेल कंपनियां दोनों ही इस डर से रूस से तेल खरीद कम कर सकती हैं कि कहीं उन्हें अमेरिका की दूसरे स्तर की पाबंदियों का सामना न करना पड़े. इसके अलावा, बैंक भी ऐसे सौदों से दूरी बना सकते हैं जिनमें इन प्रतिबंधित रूसी कंपनियों को भुगतान करना शामिल हो.

EU के लिए अलग से इंतजाम

अमेरिकी प्रतिबंधों से पहले यूरोपीय संघ ने 21 जनवरी से रूसी तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था. बताते चलें कि रिलायंस की जामनगर (गुजरात) में दो रिफाइनरी हैं. एक घरेलू बाजार के लिए और दूसरी मुख्य रूप से निर्यात के लिए. EU के नए नियमों के तहत, कंपनी रूसी और गैर-रूसी तेल को अलग-अलग प्रोसेस कर सकती है ताकि यूरोप को सिर्फ गैर-रूसी तेल से बने उत्पाद ही भेजे जा सकें.

अमेरिका ने क्यों उठाया यह कदम?

अमेरिकी सरकार का यह कदम रूस पर दबाव बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. अमेरिका चाहता है कि रूस, यूक्रेन में दो सालों से ज्यादा वक्त तक चल रहा युद्ध खत्म करे. इसी दिशा में उसने भारतीय सामानों पर भी 25% एक्स्ट्रा पेनल्टी लगाई है ताकि भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर दबाव बढ़ाया जा सके.

भारत सरकार का रुख

वहीं, दूसरी तरफ अब तक भारतीय सरकार का रुख भी यही रहा है कि वह वहीं से तेल खरीदेगी, जहां से उसे सस्ता और स्थिर सप्लाई मिलेगी. लेकिन नए अमेरिकी प्रतिबंध सीधे रूसी तेल पर नहीं हैं. वे रूस की बड़ी कंपनियों पर हैं और ये कंपनियां को भारत को तेल बेचती हैं. मुमकिन है कि आने वाले दिनों में भारत की रूसी तेल की खरीद में बड़ी गिरावट देखने को मिले. 

वीडियो: दुनियादारी: ट्रंप ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाई पाबंदी, क्या भारत के साथ व्यापार पर पड़ेगा असर?

Advertisement

Advertisement

()