The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • punjab haryana high court reprimand lawyer using AI google phone during arguments

हाईकोर्ट की बहस में AI का इस्तेमाल कर रहा था वकील, अदालत ने लगाई फटकार, मोबाइल जब्त

एक मामले में जब हाईकोर्ट ने वकील से एक सवाल पूछा तो उन्होंने अपना मोबाइल फोन निकाल लिया और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) टूल्स और गूगल की मदद से उत्तर तलाशने लगे.

Advertisement
punjab haryana high court reprimand lawyer using AI google phone
इस रवैये को कोर्ट ने ‘बेअदब’ और ‘अनप्रोफेशनल’ बताया (सांकेतिक फोटो: आजतक)
pic
अर्पित कटियार
7 अक्तूबर 2025 (Published: 09:21 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने सुनवाई के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है. एक मामले में जब अदालत ने वकील से एक सवाल पूछा तो उन्होंने अपना मोबाइल फोन निकाल लिया और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) टूल्स और गूगल की मदद से उत्तर तलाशने लगे. इस रवैये को कोर्ट ने ‘बेअदब’ और ‘अनप्रोफेशनल’ बताया और वकील का मोबाइल फोन कुछ समय के लिए जब्त कर लिया गया.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मोबाइल फोन से जवाब देने पर कोर्ट ने कहा कि वकील को सुनवाई से पहले ही बहस के लिए मामला तैयार कर लेना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान, मोबाइल फोन का इस्तेमाल चिंताजनक और परेशान करने वाला है. जस्टिस संजय वशिष्ठ ने चिंता जताई कि कभी-कभी कार्यवाही को उत्तर के इंतजार में रोकना पड़ता है, जो ऐसे मोबाइल फोन से जानकारी प्राप्त करने के बाद ही आता है.

इस रवैये को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने वकील का मोबाइल कुछ समय के लिए जब्त कर लिया और इस बात पर जोर दिया कि ऐसी प्रथाएं ‘नामंजूर’ हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा,

ऐसी प्रथा दो कारणों से पूरी तरह नामंजूर है. पहला, अदालत में बहस के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल अशिष्ट और गैर-पेशेवर रवैया दर्शाता है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. दूसरा, कोर्ट में बहस के दौरान मोबाइल फोन को इस्तेमाल के लिए स्वीकार्य डिवाइस नहीं माना जाता है. इसके उलट, आईपैड या लैपटॉप को एक प्रोफेशनल उपकरण माना जाता है.

जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा कि यह पहला मामला नहीं है, जब कोर्ट का कोई सदस्य कार्यवाही के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी एक मामले में ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी और एक मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया था. उस समय भी बार एसोसिएशन को इस विषय पर सूचित किया गया था. 

ये भी पढ़ें: अंडरगारमेंट्स पहन, शराब-सिगरेट पीते हुए कोर्ट की सुनवाई में घुस आया हिस्ट्रीशीटर, जानते हैं पुलिस ने क्या किया?

कोर्ट ने कहा कि उस आदेश की प्रति फिर से उपलब्ध कराई जाए, जिससे एसोसिएशन के अध्यक्ष/सचिव, सदस्यों को सूचित कर सकें कि वे सुनवाई के दौरान AI, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और गूगल से जानकारी जुटाने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें. वरना कोर्ट को कोई कठोर आदेश पारित करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. 

वीडियो: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, "भारत में व्यभिचार अपराध नहीं है, लेकिन इसके सामाजिक परिणाम हैं", देना पड़ सकता है Compensation

Advertisement

Advertisement

()