The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Punjab and Haryana High Court On Widow 51 Years Family Pension Fight

नौकरी करते हुए पति की मौत, सिस्टम ने विधवा पत्नी को पेंशन के लिए 51 साल तरसाया

Widow 51 Years Family Pension Fight: लक्ष्मी देवी के पति महा सिंह की मौत नौकरी के दौरान हो गई थी. उन्हें 1970 के दशक में 6,026 रुपये की एक छोटी सी अनुग्रह राशि तो मिली थी. लेकिन दशकों के पत्राचार और 2005 में एक पूर्व अदालती मामले के बावजूद फैमिली पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य बकाया राशि कभी जारी नहीं की गई.

Advertisement
Widow 51 Years Family Pension Fight
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट इस 80 साल की विधवा महिला को राहत दी है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
pic
हरीश
19 नवंबर 2025 (Updated: 19 नवंबर 2025, 08:55 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

हरियाणा राज्य विद्युत बोर्ड में सब-स्टेशन अधिकारी के पद पर काम रहे एक व्यक्ति का जनवरी, 1974 में निधन हो गया. इसके बाद से ही उनकी पत्नी फैमिली पेंशन और रिटायरमेंट के लाभों के लिए दर-दर भटक रही थी. अब जाकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने 80 साल की हो चुकी निरक्षर-विधवा महिला को राहत दी है. कोर्ट ने कड़े शब्दों में मामले के जल्द निपटारे की बात कही है.

लक्ष्मी देवी के पति महा सिंह की मौत नौकरी के दौरान हो गई थी. उन्हें 1970 के दशक में 6,026 रुपये की एक छोटी सी अनुग्रह राशि (ex gratia payment) तो मिली थी. लेकिन दशकों के पत्राचार और 2005 में एक पूर्व अदालती मामले के बावजूद फैमिली पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य बकाया राशि कभी जारी नहीं की गई. बुजुर्ग महिला अब लकवाग्रस्त होकर और अभाव में जीवन जी रही हैं.

इसी मामले में राज्य हाई कोर्ट के जस्टिस हरप्रीत सिंह बरार ने रिट याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने इस केस को ‘प्रशासनिक उदासीनता और वाजिब हक के लिए लगातार ’संघर्ष की गाथा' बताया है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 51 साल के कठिन संघर्ष और प्रशासनिक विफलता पर कॉमेंट करते हुए जज ने कहा,

इस मामले में प्रशासन की उदासीनता की निराशाजनक और परेशान करने वाली तस्वीर सामने आई है. ये याचिकाकर्ता की बढ़ती उम्र, बिगड़ते स्वास्थ्य और कानूनी से मिलने वाली मदद की कमी के चलते और भी जटिल हो गई...

कोर्ट के मुताबिक, विभागीय पत्रों से पता चलता है कि मृतक महा सिंह को सामान्य भविष्य निधि (GPF) अकाउंट आवंटित किया गया था और कटौती की गई थी. लेकिन ये राज्य के ताजा दावे के विपरीत है कि वो सिर्फ कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना के तहत थे और नियमित पेंशन के हकदार नहीं थे. वर्तमान याचिका के साथ अटैच की गई सभी विभागीय पत्र-व्यवहार बताते हैं कि याचिकाकर्ता राहत की हकदार है. इसके अलावा, ये समझ से परे है कि अगर मृतक बोर्ड की GPF यानी पेंशन योजना के अंतर्गत नहीं आता था, तो उसे GPF अकाउंट नंबर कैसे आवंटित किया जा सकता था.

जस्टिस हरप्रीत सिंह बरार ने आगे कहा,

एक 80 साल की विधवा को राहत पहुंचाना और उसके अधिकारों की रक्षा करना, सिर्फ न्यायिक विवेक या उदारता का मामला नहीं है. बल्कि ये संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 14, 19 और 21 में मौजूद एक संवैधानिक अनिवार्यता है.

अदालत ने हरियाणा सरकार के बिजली विभाग के प्रधान सचिव या प्रशासनिक प्रमुख को निर्देश दिया. कहा कि वो दो महीने के भीतर लक्ष्मी देवी के दावों की सत्यता की व्यक्तिगत रूप से जांच करें. साथ ही, सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता को मिलने वाले सभी वैध लाभ उन्हें तुरंत जारी दिए जाएं. कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए ये भी उम्मीद जताई कि महिला को उसकी लम्बे समय से रुकी राशि मिल जाएगी.

वीडियो: खर्चा पानी: सैलरी से पेंशन के नाम पर कटने वाले पैसे से क्या होता है?

Advertisement

Advertisement

()