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भ्रष्टाचार रोकने के लिए नियुक्त लोकपाल अब 70 लाख की BMW से चलेंगे, टेंडर निकलते ही उठने लगे सवाल

सामाजिक कार्यकर्ता और वकील Prashant Bhushan ने इस खरीद को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा Lokpal भ्रष्टाचार से परेशान नहीं हैं और अपनी विलासिता से खुश हैं. वे अब अपने लिए BMW कारें खरीद रहे हैं.

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Lokpal wants to acquire 7 luxury BMW cars floats public tender questioned by prashant bhushan and activists
लोकपाल के सदस्यों के लिए BMW 3 सीरीज Li कारें ली जाएंगी (PHOTO-India Today)
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मानस राज
21 अक्तूबर 2025 (Updated: 21 अक्तूबर 2025, 02:57 PM IST)
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भारत का एंटी करप्शन वॉचडॉग यानी लोकपाल ऑफ इंडिया (Lokpal) है. इसकी जिम्मेदारी है देश के पैसे के गलत इस्तेमाल पर नजर रखने की. लेकिन लोकपाल को लेकर एक ऐसी खबर आई है जिसपर कई सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सवाल उठा रहे हैं. दरअसल 16 अक्टूबर की तारीख को लोकपाल की वेबसाइट पर एक नोटिफिकेशन जारी हुआ. इसमें लोकपाल के चेयरपर्सन समेत 7 सदस्यों के लिए कारों की खरीद के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं. अब ये सुनने में नॉर्मल लगता है, लेकिन विवाद यहां कार के मॉडल पर है. दरअसल नोटिफिकेशन के मुताबिक लोकपाल को 7 BMW 3 Series Li गाड़ियां चाहिए. हर गाड़ी की कीमत लगभग 70 लाख के आसपास है. इसे लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं.

प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल 

सामाजिक कार्यकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस खरीद को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा

लोकपाल संस्थान मोदी सरकार द्वारा इसे कई वर्षों तक खाली रखकर और फिर सेवा सदस्यों की नियुक्ति करके धूल के लिए जमीन पर खड़ा रहा है. ये भ्रष्टाचार से परेशान नहीं हैं और अपनी विलासिता से खुश हैं. वे अब अपने लिए 70L बीएमडब्ल्यू (BMW) कारें खरीद रहे हैं.

कब आया लोकपाल?

लोकपाल अधिनियम (Lokpal and Lokayuktas Act): 2013 में संसद द्वारा पारित हुआ. इसी के तहत लोकपाल की स्थापना हुई. 1 जनवरी 2014 को इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली. 16 जनवरी 2014 से ये प्रभाव में आया. लेकिन बनने के काफी सालों तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई. पहले लोकपाल की नियुक्ति मार्च 2019 में की गई. जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष भारत के पहले लोकपाल बने.

लोकपाल की जरूरत क्यों पड़ी?

जन लोकपाल को 2011 के अन्ना हजारे आंदोलन की देन बताया जाता है. अन्ना हजारे के आंदोलन की वजह से सरकार पर दबाव बना कि वो भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए एक ऐसी संस्था बनाए जो स्वतंत्र हो. ये वो समय था जब देश में घोटालों की खबरें आ रही थीं. लेकिन तब सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की कोई स्वतंत्र और प्रभावी व्यवस्था नहीं थी. जनता का भरोसा बढ़ाने के लिए और उच्च स्तर के सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों पर भी निष्पक्ष जांच के इरादे से लोकपाल का गठन किया था.

क्या करता है लोकपाल ऑफ इंडिया?

लोकपाल एक स्वतंत्र संस्था, जो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सकती है. इसमें एक चेयरपर्सन और अधिकतम 8 सदस्य हो सकते हैं. ये आठ न्यायिक और गैर-न्यायिक दोनों तरह के हो सकते हैं.  लोकपाल को CBI को जांच का आदेश देने की शक्ति भी मिली हुई है. लोकपाल भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का एक बड़ा कदम था. इसकी स्थापना जनता के दबाव, सिविल सोसाइटी के प्रयास और राजनीतिक इच्छाशक्ति के परिणामस्वरूप हुई. हालांकि इसकी कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता पर अब भी कई सवाल उठते हैं. फिलहाल लोकपाल में चेयरपर्सन को लेकर सात सदस्य हैं. 

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अजय माणिकराव खानविलकर इसके वर्तमान चेयरपर्सन हैं. जिन कारों की खरीद पर सवाल उठ रहे हैं, वो कार चेयरपर्सन समेत बाकी सभी लोगों को दी जानी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक BMW कंपनी को इन वाहनों की डिलीवरी के साथ ड्राइवरों और कर्मचारियों को सात दिन की ट्रेनिंग भी दी जाएगी. ट्रेनिंग में कार से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स और उसके इस्तेमाल की जानकारी भी दी जाएगी. BMW की इस गाड़ी को काफी सेफ माना जाता है. साथ ही ये गाड़ी हर तरह की सुविधा से लैस है.

वीडियो: अन्ना आंदोलन से चर्चा में आए लोकपाल और लोकायुक्त आजकल कहां हैं?

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