'हमसे पूछा, किसने बुलाया... हमला भी किया', करूर भगदड़ में एंबुलेंस ड्राइवर्स से मारपीट किसने की?
Karur Stampede: एम्बुलेंस सर्विस प्रोवाइडर सूर्या ने बताया कि किस तरह उन्होंने महिलाओं और बच्चों समेत लोगों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली. फिर भी उन पर हमला किया गया था.

तमिलनाडु पुलिस करूर भगदड़ के दौरान फंसे लोगों को बचाने के लिए भीड़ में गए एम्बुलेंस ड्राइवर्स से पूछताछ कर रही है. इस बीच, इन ड्राइवर्स ने अपनी कहानी बताई है कि कैसे इस भगदड़ के बाद, उन्हें परेशान होना पड़ रहा है. भगदड़ के दौरान कई एम्बुलेंस ड्राइवर्स पर हमला भी किया गया था. इनका आरोप है कि वह भी हमले का शिकार हुए लेकिन उनके लिए मुआवजा घोषित नहीं किया गया है.
एक्टर और तमिलगा वेत्री कड़गम (TVK) के संस्थापक विजय की करूर में 27 सितंबर की रैली के दौरान भगदड़ मची थी. इसमें 41 लोगों की मौत हो गई और 60 घायल हो गए थे. इसके बाद विजय की पार्टी और स्टालिन सरकार एक दूसरे पर दोष मढ़ने के लिए आमने-सामने हैं.
इससे पहले एक वीडिया सामने आया था, जिसमें एक एम्बुलेंस ड्राइवर को वाहन से बाहर खींचकर उस पर हमला करते हुए दिखाया गया. भीड़ ने दावा किया था कि लोगों को तितर-बितर करने के लिए खाली एम्बुलेंस को भीड़ में भेजा गया था.
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, ये बात सबसे पहले अन्नाद्रमुक (AIDMK) महासचिव के पलानीसामी ने कही थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चुनाव प्रचार में खाली एम्बुलेंस भेजी गईं. इसके चलते उनके अगले ही चुनाव प्रचार के दौरान एक एम्बुलेंस चालक दल पर हमला हुआ.
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चूंकि विजय की पार्टी TVK के नेता लगातार यही आरोप लगा रहे हैं, इसलिए जिला पुलिस ने SIT जांच से पहले एम्बुलेंस ड्राइवर्स और इस तरह की सुविधा देने वालों अन्य लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया. इन्हीं में से एक स्थानीय एम्बुलेंस सर्विस प्रोवाइडर सूर्या ने बताया कि किस तरह उन्होंने महिलाओं और बच्चों समेत लोगों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली. फिर भी उन पर हमला किया गया. सूर्या ने कहा,
उन्होंने हमारी गाड़ी के कागजात मांगे और पूछा कि हमें किसने बुलाया, हमें जानकारी कैसे मिली, वगैरह-वगैरह. हमने बताया कि पुलिस ने ही हमें बुलाया था और उनके सभी सवालों के जवाब दिए. उस दिन मेरे चार आदमियों पर हमला हुआ था. हमने कई लोगों की जान बचाई.
सूर्या ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि हमले की चपेट में आए एम्बुलेंस ड्राइवर्स के लिए कोई मुआवजा घोषित नहीं किया गया है. इनका काम अब राजनीतिक शोषण का विषय बन गया है. उन्होंने आगे कहा,
मेरी टीम ने उस रात बहुत मेहनत की, बेकाबू भीड़ का सामना करते हुए मरीजों को अस्पताल वापस पहुंचाया. उन्हें काफी देर तक खाने को भी नहीं मिला.
सूर्या के मुताबिक, एक ड्राइवर ने तो CPR देकर एक बच्चे की जान बचाई. लेकिन हमले का शिकार हुए लोगों के लिए कोई मुआवजा घोषित नहीं किया गया है.
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