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IAF के 50 नए C-295 एयरक्राफ्ट्स: लद्दाख और LoC पर जवानों तक तुरंत पहुंचेगी रसद और हथियार

C-295 एयरक्राफ्ट्स हर उड़ान में 9,250 किग्रा यानी चार हाथियों के बराबर वजन उठा सकते हैं. इसके शामिल होने से भारतीय वायु सेना अब LAC और LoC पर जवानों, हथियारों और रसद को बेहद तेजी से पहुंचा सकेगी.

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indian will acquire 50 more c295 aircraft for its forces
इंडियन एयरफोर्स का C-295 ट्रांसपोर्ट विमान (PHOTO-AajTak)
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मानस राज
22 अगस्त 2025 (Published: 03:04 PM IST)
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28 अक्टूबर 2024 को स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सैंचेज भारत आए और टाटा-एयरबस के नए प्लांट का उद्घाटन किया. यह प्लांट टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस का संयुक्त प्रोजेक्ट है, जहां अब C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाए जाएंगे. यह विमान किसी भी ट्रांसपोर्ट विमान से अलग है - एक उड़ान में 9,250 किलो वजन उठा सकता है, यानी चार बड़े हाथियों के बराबर! इसका मतलब है कि भारतीय वायुसेना अब LAC और LOC पर जवानों, हथियारों और रसद को बेहद तेजी से भेज सकेगी.

इस विमान की खासियत सिर्फ भारी वजन उठाना नहीं है. इसमें पैराट्रूपर्स को दुश्मन इलाके में ड्रॉप करने की भी क्षमता है. वही पैराट्रूपर्स जिन्होंने 2016 में PoK में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. यानी ये विमान सेना की कई जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है.

भारत में यह प्राइवेट सेक्टर का पहला ‘मेक इन इंडिया’ एयरोस्पेस प्रोग्राम है. भारतीय वायुसेना अपने पुराने AVRO-748 बेड़े को अब 56 नए C-295 एयरक्राफ्ट से बदलने जा रही है. एयरबस स्पेन के सेविले प्लांट से पहले 16 विमान “Ready to Fly” हालत में भारत आएंगे, जबकि बाकी 40 विमान वडोदरा के TASL प्लांट में तैयार होंगे.

पहला C-295 विमान भारत को सितंबर 2023 में मिला था. इस मौके पर तत्कालीन एयर चीफ मार्शल वी.आर.चौधरी भी उपस्थित थे.

A look back at the glorious history of IAF's Avro 748, which will now be replaced with Airbus C-295
इंडियन एयरफोर्स के AVRO-748 ट्रांसपोर्ट विमान
ट्रांसपोर्ट विमानों की उपयोगिता

सेना के ऑपरेशंस को देखें तो ट्रांसपोर्ट विमानों का रोल बहुत ही अहम होता है. उदाहरण के लिए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फॉरवर्ड पोजीशंस पर सैनिकों की रैपिड तैनाती में सबसे अहम था उन्हें सबसे नजदीकी एयरबेस तक जल्द से जल्द पहुंचाना. साथ ही किसी रेस्क्यू मिशन में भी इन विमानों को तैनात किया जाता है. इनकी भार उठाने की क्षमता नॉर्मल विमानों से काफी अधिक होती है, इसलिए इन्हें बचाए हुए लोगों को ले जानने, राहत सामग्री पहुंचाने और सैनिकों/राहतकर्मियों की तैनाती में इस्तेमाल किया जाता है.

भारत के बेड़े में फिलहाल AVRO-748, एंटोनोव AN-32, इल्यूशन-76, C-130J, C-17 Globemaster जैसे ट्रांसपोर्ट विमान शामिल हैं. हालांकि इनमें AVRO, इल्यूशन-76 और एंटोनोव काफी पुराने हो चुके हैं. इंडियन एयरफोर्स, आर्मी और नेवी; तीनों को ट्रांसपोर्ट विमानों की जरूरत है. इसके अलावा भारतीय तटरक्षक (Indian Coast Guard) भी ट्रांसपोर्ट विमानों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में ट्रांसपोर्ट विमान एक तरह से फौजों की रीढ़ की तरह हैं.

C-295 Tactical Military Transport Aircraft
C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट 
क्यों खास है C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट?

इंडियन एयरफोर्स पहले से ही कई तरह के ट्रांसपोर्ट विमान इस्तेमाल कर रही है. C-295 मॉडल के 56 विमान भी ऑर्डर पर हैं. और भारत के पास इसके अलावा लॉकहीड मार्टिन के C-130J Super Hercules, Embraer C-390 Millennium का ऑप्शन भी भारत के पास था. ऐसे में भारत फिर से अतिरिक्त C-295 लेने पर विचार क्यों कर रहा है? इसका जवाब है इस विमान की खासियत. सबसे पहली बात है इसका मध्यम आकार का साइज और पावरफुल इंजन जो इसे लद्दाख और कश्मीर जैसे इलाकों में ऑपरेट करने के लिए मुफीद बनाता है. चूंकि इन इलाकों में हवा में ऑक्सीजन की कमी होती है, ऐसे में टेक-ऑफ या लैंडिंग के दौरान कई बार इंजन पूरी क्षमता से काम नहीं करता. लेकिन C-295 में ऐसी समस्या देखने को नहीं मिली. इसके कुछ फीचर्स पर नजर डालें तो

  • क्रू: 2 पायलट  
  • बैठने की क्षमता: 73 पैराट्रूपर्स या 12 स्ट्रेचर इंटेंसिव केयर मेडिवैक (4 मेडिकल अटेंडेंट के साथ) 
  • पेलोड: 9,250 किलोग्राम 
  • लंबाई: 80.3 फीट 
  • विंगस्पैन: 84.8 फीट 
  • ऊंचाई: 28.5 फीट 
  • फ्यूल क्षमता: 7,650 लीटर 
  • टॉप स्पीड: 482 किलोमीटर प्रति घंटा 
  • रेंज: 1277 किलोमीटर (वजन कम करने पर 4587 किलोमीटर तक) 
  • अधिकतम ऊंचाई: 13 हजार 533 फीट
DBO Ladakh: ये है दुनिया का सबसे ऊंचा एयरफील्ड... जानिए क्यों डरते हैं  पड़ोसी देश इससे? - worlds highest airfield daulat beg oldi dbo ladakh -  AajTak
लद्दाख स्थित दौलत बेग ओल्डी एयरस्ट्रिप

इस विमान को लेने की एक और वजह है कि इसे टेक-ऑफ लैंडिंग के लिए काफी छोटा रनवे या एयरस्ट्रिप चाहिए होता है. टेक ऑफ के लिए इसे 670 से 934 मीटर और लैंडिंग के लिए इसे मात्र 320 से 420 मीटर की जगह चाहिए. इसे न सिर्फ एयरपोर्ट बल्कि रफ एयरस्ट्रिप पर भी आसानी से उतारा जा सकता है. आपने तस्वीरों में लद्दाख स्थित दौलत बेग ओल्डी की एयरस्ट्रिप देखी होगी. यहां उतरते ही विमानों के आसपास धूल का गुबार उठने लगता है. लेकिन ऐसी जगह पर भी C-295 आसानी से टेक-ऑफ और लैंड कर जाता है. अब देखना ये है कि 56 विमानों के बाद बाकी के 50 विमानों का ऑर्डर कब दिया जाता है. और तो और इस विमान के एक वेरिएंट का इस्तेमाल इसके ऊपर रडार लगाकर AWACS की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में ये जरूरत पड़ने पर ट्रांसपोर्ट और सर्विलांस दोनों तरह के विमानों का रोल निभा सकता है.

टाटा ने नवंबर 2023 से ही 40 सी295 विमानों के लिए मेटल कटिंग का काम शुरू कर दिया था. हैदराबाद फिलहाल इसकी मेन कॉन्स्टीट्यूंट एसेंबली है. वहां पर कई पार्ट्स बनाए जाएंगे. इसके बाद टाटा की हैदराबाद फैसिलिटी एयरक्राफ्ट के प्रमुख हिस्सों फैब्रिकेट कर वडोदरा स्थित नई असेंबली लाइन में भेजेगी. वडोदरा में सभी C-295 विमानों को अंतिम रूप दिया जाएगा.यहां इनमें इंजन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि फिट किए जाएंगे. इसके बाद इन्हें वायुसेना को सौंप दिया जाएगा. 

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