'भारत रूस से तेल खरीद कम कर सकता है', रॉयटर्स का फिर दावा
डॉनल्ड ट्रंप क्या सही कह रहे थे कि भारत उनके दबाव में रूस से तेल खरीद रोकने पर विचार कर रहा है? खबर आई है कि भारतीय सरकारी और प्राइवेट कंपनियां रूसी तेल के आयात की अपनी नीति पर फिर से सोच रही हैं.
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डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) नाम के ‘रेडियो’ से इन दिनों दो ही बातें लगातार बज रही हैं. एक तो ये कि भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष उन्होंने रुकवाया. दूसरा, भारत उनकी टैरिफ धमकियों की वजह से रूस से तेल खरीदना बंद करने वाला है. इसमें पहला वाला दावा तो भारत ने पहले ही खारिज कर दिया, लेकिन ट्रंप का दूसरा वाला दावा क्या सही साबित होने वाला है? क्या भारत सच में रूस से तेल आयात में कमी करने के प्लान पर काम कर रहा है?
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से फिर रिपोर्ट दी है कि भारत शायद रूस से कच्चे के तेल के आयात में कटौती कर सकता है. ये खबर रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिका के ताजा प्रतिबंधों के बाद सामने आई है. कहा जा रहा है कि भारत में रिलायंस से लेकर सरकारी कंपनियां तक रूस से तेल खरीदने की अपनी नीति पर ‘फिर से विचार’ कर रही हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस की दो बड़ी ऊर्जा कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर नए प्रतिबंध लगाए हैं. ब्रिटेन ने भी पिछले हफ्ते इन्हीं कंपनियों पर पाबंदी लगाई थी. इसी दौरान यूरोपीय यूनियन ने 19वें दौर के प्रतिबंधों को मंजूर किया, जिसमें रूस से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) के इंपोर्ट पर भी रोक लगा दी गई है.
तेल की कीमतें बढ़ींइधर, भारत के रूसी तेल आयात में कटौती की अटकलों के बीच गुरुवार, 23 अक्टूबर को दुनिया भर में तेल की कीमतें करीब 3 फीसदी बढ़ गईं. ब्रेंट क्रूड (Brent crude futures) की कीमत 1.94 डॉलर बढ़कर 64.53 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जबकि अमेरिकी WTI तेल की कीमत 1.89 डॉलर बढ़कर 60.39 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि तेल की कीमतों में ये उछाल इसलिए आया क्योंकि नए प्रतिबंधों से वैश्विक तेल सप्लाई पर असर पड़ सकता है. फिलिप नोवा की सीनियर मार्केट एनालिस्ट प्रियंका सचदेवा ने इंडिया टुडे से कहा कि ट्रंप के नए प्रतिबंध (Sanctions) रूस के ऑयल रेवेन्यू पर सीधा हमला हैं. इससे मार्केट में रूस का तेल कम आ सकता है और बाकी देशों को तेल के लिए नए सोर्स ढूंढने पड़ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर भारत ने सही में अमेरिकी दबाव में रूस से तेल कम खरीदा तो एशिया की मांग अमेरिकी तेल की तरफ बढ़ेगी और अटलांटिक मार्केट में तेल की कीमतें और ऊपर जाएंगी.
रूसी तेल के इंपोर्ट में कटौती होगी?रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की सरकारी तेल रिफाइनरियां अब अपने सप्लाई अरेंजमेंट की समीक्षा कर रही हैं ताकि कोई भी तेल की खेप सीधे रूस की बड़ी कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) से न आए.
साल 2022 में रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाली भारतीय प्राइवेट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज भी अपने तेल खरीद पैटर्न (buying pattern) को सरकार की नई नीति के मुताबिक बदलने की योजना बना रही है. रॉयटर्स के मुताबिक, रिलायंस अपने रूस से तेल आयात को काफी कम करने की तैयारी में है, क्योंकि रूसी कंपनियों पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगातार बढ़ रहे हैं.
बता दें कि पिछले दो सालों में भारत ने रूस से सस्ता तेल बड़ी मात्रा में खरीदा था. क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप और अमेरिका ने रूस से तेल खरीद घटा दी थी. इससे भारत को बहुत फायदा हुआ. लेकिन अब जब प्रतिबंध और सख्त हो रहे हैं और अमेरिका का दबाव बढ़ रहा है तो भारत के लिए मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे देशों से तेल लेने की तरफ लौटना पड़ सकता है.
पहले भी छपी है ऐसी रिपोर्टइससे पहले 1 अगस्त 2025 को भी रॉयटर्स ने रिपोर्ट छापी थी कि भारत की सरकारी तेल रिफाइनरी कंपनियां इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और मैंगलोर रिफाइनरी पेट्रोकेमिकल लिमिटेड ने रूसी कच्चे तेल की मांग नहीं की है. यह खबर रिफाइनरियों की खरीद योजना से परिचित 4 सूत्रों के हवाले से छापी गई थी. रिपोर्ट्स के सामने आने के एक दिन बाद यानी 2 अगस्त 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने इसका स्वागत किया था और कहा था कि उन्हें लगता है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. उन्होंने रिपोर्ट्स के सही या गलत होने की जानकारी न होने की बात कहते हुए भी इसे एक अच्छा कदम बता दिया.
हालांकि, इसी दिन भारत ने रिपोर्ट के दावों को साफ खारिज कर दिया. इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि भारत की ऊर्जा खरीद बाजार और राष्ट्रीय हितों के आधार पर तय होती है. हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है कि भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से तेल खरीद बंद कर दी है.
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