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चीन-पाकिस्तान और तालिबान के साथ खड़ा दिखा भारत, बगराम एयरबेस पर अमेरिका का विरोध

Bagram Airbase पर भारत का ये रुख तब सामने आया है जब Taliban के Foreign Minister Amir Khan Muttaqi का भारत दौरा होने वाला है.

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India sides with Taliban Pakistan China opposes us bid to take over Bagram base
बगराम एयरबेस पर अमेरिका ने करोड़ों खर्च किए, फिर भी उसे छोड़कर भागना पड़ा (PHOTO-India Today)
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मानस राज
8 अक्तूबर 2025 (Published: 10:28 AM IST)
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क्या भारत-पाकिस्तान किसी मुद्दे पर एक साथ आ सकते हैं? मौजूदा संबंधों को देखकर तो कोई ऐसा नहीं कहेगा. लेकिन ऐसा हुआ है. और भारत-पाकिस्तान-चीन और तालिबान, सब एक साथ खड़े हैं. इस लीग में रूस भी है. ये सारे देश मिल कर अमेरिका के एक प्लान का विरोध कर रहे हैं. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कुछ दिनों पहले ही कहा कि वो अफगानिस्तान में स्थित बगराम एयरबेस (Bagram Airbase) को वापस लेने की सोच रहे हैं. और इसी कदम का विरोध ये सारे देश कर रहे हैं. यहां भारत का स्टैंड काफी दिलचस्प है. बगराम एयरबेस पर भारत का ये रुख तब सामने आया है जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi Visit to India) का भारत दौरा होने वाला है.

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Moscow Format Consultation की बैठक के दौरान मॉस्को में मौजूद सदस्य देश (PHOTO-X/Sidhant Sibal)
रूस की जमीन से अमेरिका को संदेश

रूस में बीते कुछ दिनों से कई देशों की एक बैठक चल रही है. नाम है Moscow Format Consultation. इसी जगह से सारे प्रतिभागी देशों द्वारा 7 अक्टूबर को एक जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया गया. इस तीखे संयुक्त बयान में बगराम एयरबेस का नाम तो नहीं लिया गया, लेकिन समझने वालों के लिए इशारा काफी था. बयान में कहा गया

अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में अपने सैन्य ढांचे को तैनात करने के प्रयास अस्वीकार्य हैं.  क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों की पूर्ति नहीं करता.

अफगानिस्तान पर Moscow Format Consultation की इस सातवीं बैठक रूस के मॉस्को में अफगानिस्तान, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. इसके अलावा बेलारूस का एक प्रतिनिधिमंडल भी गेस्ट के रूप में बैठक में शामिल हुआ. बयान में अफगानिस्तान पर राज कर रहे तालिबान पर भी एक बयान जारी किया गया है. इस बयान में कहा गया

पहली बार, विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के नेतृत्व में अफगान प्रतिनिधिमंडल ने एक सदस्य के रूप में बैठक में भाग लिया है.

ट्रंप ने कहा था - वापस लेंगे बगराम

प्रेसिडेंट ट्रंप ने अफगानिस्तान के सत्तारूढ़ तालिबान से देश का बगराम एयरबेस वाशिंगटन को सौंपने की मांग की थी. 18 सितंबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी सरकार बगराम एयरबेस को वापस पाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा था कि हमने इसे तालिबान को मुफ्त में दे दिया. हम उस बेस को वापस चाहते हैं. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर एक तरह से धमकी दी थी कि अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को इसे बनाने वालों, यानी अमेरिका को वापस नहीं करता है, तो बहुत बुरा होगा.

अब ट्रंप की इस मांग पर जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था, वही हुआ. तालिबान ने ट्रंप की मांग को अस्वीकार कर दिया. मुख्य प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफगान किसी भी हालत में अपनी जमीन किसी को भी नहीं देंगे.

वीडियो: दुनियादारी: अफगानिस्तान की बगराम जेल में अमेरिका की इस करतूत से तालिबान को फायदा हो गया!

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