आपके बच्चे के लिए कौन सा सिरप सेफ है? अब ये ट्रैकर आपको बताएगा
कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद भारत के ड्रग रेग्युलेटर CDSCO ने पैन इंडिया लेवल पर एक डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम (digital tracker) लॉन्च किया है. ये सिस्टम इन दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने खतरनाक केमिकल जैसे DEG की सप्लाई, क्वालिटी और टेस्टिंग पर नजर रखने में मदद करेगा.

इस महीने के पहले और दूसरे हफ्ते में कफ सिरप पीने से राजस्थान और मध्य प्रदेश में 19 बच्चों की मौत हुई थी. जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से कइयों को Coldrif कफ सिरप दिया गया था. आरोप है कि सिरप पीने के बाद बच्चों की किडनी फेल हुई और उनकी मौत हो गई. ज़िला प्रशासन ने सिरप पर बैन लगा दिया और जांच शुरू हुई. जाहिर है इसके बाद हर किसी को इस बात की चिंता जरूर हुई कि कैसे पता चलेगा कि कौन सा सिरप सेफ है और कौन सा नहीं.
शायद इसका एक उपाय भारत के औषधी नियामक यानी ड्रग रेग्युलेटर CDSCO के पास मिल सकता है जिसने पैन इंडिया लेवल पर एक डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम (या डिजिटल ट्रैकर) लॉन्च किया है. यह सिस्टम अधिकारियों को इन दवाओं के प्रोडक्शन से लेकर इनके मूवमेंट पर नजर रखने में मदद करेगा. ये सिस्टम इन दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाली खतरनाक सामग्री की क्वालिटी पर नजर रखने में भी मदद करेगा. बताते कैसे.
CDSCO का डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टमCDSCO यानी Central Drugs Standard Control Organization ने सभी राज्यों और यूनियन टेरिटरीज को ONDLS (Online National Drug Licensing System) के अंदर एक डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम बनाने का निर्देश दिया है. ये सिस्टम डाइएथलीन ग्लाइकॉल यानी DEG जैसे खतरनाक केमिकल की सप्लाई, क्वालिटी और टेस्टिंग पर नजर रखेगा.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डाइएथलीन ग्लाइकॉल यानी DEG वही प्रोडक्ट है जो Coldrif कफ सिरप में मिला था. Coldrif बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट से लिए गए सैंपल में इसकी मात्रा 48.6 पर्सेंट थी जिससे शरीर को बहुत गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. इसके जैसे और भी कई केमिकल, जैसे glycerin, propylene glycol, sorbitol, polyethylene glycol की मॉनिटरिंग भी नया सिस्टम करेगा. ये सारे केमिकल एक तय मात्रा में सिरप बनाने में इस्तेमाल होते हैं. इनकी मात्रा बढ़ना मतलब खतरा.
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?Drugs Controller General of India (DCGI) के मुताबिक ऐसे केमिकल बनाने वालों को इसके उत्पादन से लेकर खपत का पूरा डेटा ONDLS (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) पोर्टल पर अपलोड करना होगा. कहने का मतलब अगर किसी फैक्ट्री में डाइएथलीन ग्लाइकॉल वाली 100 सिरप की बोतलें बनती हैं और वहां इसकी 10ML मात्रा इस्तेमाल होती है तो वहां ये इतना ही सप्लाई होगा. पोर्टल में डेटा अपलोड होने से अधिकारियों को पता रहेगा कि वाकई कितनी मात्रा सप्लाई हुई है.

केमिकल बनाने वालों को बैच के हिसाब से पूरी जानकारी अपलोड करनी होगी. Certificates of analysis (CoA) के साथ किस वेंडर को माल जा रहा है, उसकी डिटेल भी देनी होगी. राज्य सरकारों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोई सा भी केमिकल बिना जांच और स्वीकृति के रिलीज नहीं हो.
CDSCO के मुताबिक ONDLS के सिस्टम को नए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम के हिसाब से अपग्रेड कर दिया गया है. माने केमिकल से जुड़ी हर जानकारी को रियल टाइम में मॉनिटर किया जा सकेगा. उम्मीद है कि इस सिस्टम के आने से कफ सिरप का सिस्टम सुधरेगा.
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