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Tejas Mk-1A की डिलीवरी में फिर होगी देरी, अबकी बार वजह अमेरिका नहीं, 'दोस्त' इजरायल है

Indian Air Force से Mig-21 के दो Squadrons को रिटायर कर दिया गया है. एयरफोर्स के पास फिलहाल मात्र 29 स्क्वाड्रन बची है. एयरफोर्स को जल्द से जल्द विमानों की दरकार है जो उसके जेट्स की संख्या में इजाफा कर सकें. लेकिन Tejas Mk-1A के इजरायली रडार पर बात अटक गई है.

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delay in delivery of tejas mk1a as israel not giving source code of radar to integrate astra misile
इंडियन एयरफोर्स का तेजस एक 4.5 जेनरेशन की काबिलियत वाला विमान है (PHOTO-Indian Air Force)
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मानस राज
23 अक्तूबर 2025 (Published: 09:59 AM IST)
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इंडियन एयरफोर्स (Indian Airforce) को तेजस मार्क 1ए (Tejas Mk1A) के लिए अभी और लंबा इंतजार करना होगा. 17 अक्टूबर को इस विमान ने नासिक स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL Nashik) फैसिलिटी से उड़ान भरी थी. तब कहा गया कि अब जल्द ही इसे इंडियन एयरफोर्स में शामिल करना शुरू कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं किया गया क्योंकि खबरें हैं कि इस विमान के सॉफ्टवेयर में कुछ दिक्कतें आ रही हैं. और इस बार कारण अमेरिकी इंजन की सप्लाई नहीं बल्कि इजरायल से आने वाला रडार है.

अस्त्र मिसाइल दागने में आ रही दिक्कत 

तेजस Mk1A पूरी तरह से बन कर तैयार है. लेकिन इसमें मिसाइल लगाने में दिक्कत सामने आ रही है. न्यूज 18 की एक रिपोर्ट कहती है कि विमान का सॉफ्टवेयर इसमें लगे रडार के साथ मैच नहीं कर रहा है. वजह है सोर्स कोड.

दरअसल इस विमान में इजरायल का EL/M-2052 रडार लगा है. यह एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार है. भारत में तेजस में लगाने के उद्देश्य से DRDO लाइसेंस के तहत इसका प्रोडक्शन करता है. अब विमानों में हथियार दागने में रडार की भूमिका बहुत अहम होती है. अगर लोकेट नहीं करेंगे, रडार से कनेक्ट नहीं रखेंगे तो हथियार अपने टारगेट पर नहीं लगेगा. और इसके लिए एयरफोर्स को चाहिए इजरायल के रडार का सोर्स कोड. सोर्स कोड न हो तबतक किसी विमान में न कोई हथियार लगाया जा सकता है, न उसे ऑपरेट किया जा सकता है.

जेट्स तैयार, लेकिन सोर्स कोड पर फंसी है गरारी 

26 सितंबर को इंडियन एयरफोर्स से मिग-21 के दो स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया गया. इसके बाद एयरफोर्स के पास फिलहाल मात्र 29 स्क्वाड्रन बची है. एयरफोर्स को जल्द से जल्द विमानों की दरकार है जो उसके जेट्स की संख्या में इजाफा कर सकें. लेकिन पहले इंजन में देरी, और अब सोर्स कोड पर मामला फंसने की वजह से एक बार फिर तेजस प्रोजेक्ट देरी का सामना कर रहा है.

एयरफोर्स की ओर से HAL के पास 180 Tejas Mk1A जेट्स का ऑर्डर है. लेकिन अभी तक एक भी विमान की डिलीवरी नहीं हुई है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि अब अमेरिकन कंपनी GE Aerospace तेजी से इंजनों की आपूर्ति कर रही है. ऐसे में प्रोडक्शन में तेजी आने की उम्मीद है. अब यहां ये समझना जरूरी है कि क्यों आखिर HAL ने तेजस के लिए इजरायली रडार को ही चुना? जबकि उसके पास ये विकल्प था कि वो स्वदेशी उत्तम रडार को तेजस में इंटीग्रेट कर सकती है. तो जानते हैं इन दोनों रडारों के बीच अंतर.

(यह भी पढ़ें: मिग-21 की जगह अब आसमान में गरजेगा तेजस मार्क 1ए, क्या है इसकी खासियत?)

स्वदेशी ‘उत्तम रडार’ की जगह इजरायली सिस्टम

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत के स्वदेशी सिस्टम ने शानदार प्रदर्शन किया. चाहे वो आकाशतीर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम हो या आकाश मिसाइल (Akash Missile) सिस्टम, हर सिस्टम ने पाकिस्तान से आ रहे किसी भी हवाई खतरे को बखूबी रोका. यहां तक कि भारत में बने कुछ स्वदेशी ड्रोन्स का भी इस्तेमाल किया गया. लेकिन फिर भी स्वदेशी विमान Tejas में इस्तेमाल करने के लिए देसी रडार सिस्टम, ‘Uttam Radar’ को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने नकार दिया है. इसकी जगह HAL ने इजरायली कंपनी ELTA Systems को तरजीह दी है.

रडार ही विमान की आंख-कान है

एक समय था जब दो विमानों की डॉगफाइट यानी हवा में सीधी लड़ाई होती थी. आज भी वो जमाना है, लेकिन अब बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल्स (BVR Missiles) के आ जाने से डॉगफाइट कम ही देखने को मिलती है. अपनी ही सीमा में रह कर दुश्मन को न सिर्फ ट्रैक किया जा सकता है, बल्कि मार गिराया जा सकता है. इस लिहाज से देखें तो ट्रैकिंग किसी लड़ाकू विमान के सबसे अहम कंपोनेंट्स में से एक है. अगर रडार न हो तो विमान न खुद को नेविगेट कर पाएगा, न दुश्मन या उसकी फायर की हुई मिसाइल को. और जंग के मैदान में इसकी कोई गुंजाइश नहीं है.

भारत का स्वदेशी विमान तेजस भी रडार से अछूता नहीं है. उसमें भी आगे के हिस्से माने नोज पर एक ऐसा रडार लगाया जाता है, जो उसे टारगेट्स की जानकारी भेजता है. इसे एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (Active Electronically Scanned Array), शॉर्ट में AESA रडार कहते हैं. भारत के तेजस में अब तक DRDO का बनाया हुआ उत्तम AESA रडार इस्तेमाल होता था. कुछ समय पहले तेजस बनाने वाली कंपनी HAL ने DRDO की जगह इजरायल में बने Elta Systems के EL/M-2052 को तरजीह दी है. AESA, एक ऐसा रडार सिस्टम है जिसे आमतौर पर विमान की नोज यानी सबसे अगले हिस्से पर लगाया जाता है. इसे ध्यान से देखने पर ये किसी मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखता है. इसमें कई छोटे-छोटे ट्रांसमिटर्स और रिसीवर्स होते हैं. AESA रडार की मदद से विमान कई कामों को अंजाम देते हैं जैसे

  • फास्ट ट्रैकिंग. 
  • एक साथ कई टारगेट्स को इंगेज कर सकते हैं.  
  • खुद के डिटेक्ट होने के चांस काफी कम होते हैं. 
  • सिग्नल या रेडियो जैमिंग से बचाते हैं.

(यह भी पढ़ें: HAL, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री और कोच्चि शिपयार्ड, इन तीन कंपनियों से परेशान हैं भारत की तीनों सेनाएं!)

DRDO - उत्तम रडार

जैसा कि इसके नाम से जाहिर है इस रडार को डीआरडीओ यानी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने बनाया है. इस रडार को तेजस के वर्जन Mk1A,  स्टेल्थ फाइटर जेट AMCA और सुखोई Su-30MkI के अपग्रेडेड वर्जन में लगाया जाएगा. शुरुआती ट्रायल्स के बाद ये कन्फर्म था कि तेजस Mk1A मे इसे जाहिर तौर पर इंटीग्रेट किया जाएगा. इसके कुछ फीचर्स को देखें तो

  • सॉलिड स्टेट TR (Transmitting/Receiving)मॉड्यूल पर काम करता है. यानी इसमें ट्रांसमिट और रिसीव, दोनों काम करता है. 
  • सॉलिड स्टेट का होने की वजह से इसमें सिग्नल भेजने के लिए वैक्यूम ट्यूब्स की जगह सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल होता है. 
  • एक साथ 50 टारगेट्स से अधिक को इंगेज कर सकता है. 
  •  हवा से हवा (Air to Air) और हवा से जमीन (Air To Ground) ऑपरेशंस में कारगर है. 
  • ओपन डिजाइन की वजह से भविष्य में आसानी अपग्रेड भी किया जा सकता है. 
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (जैमिंग आदि) की वजह से जंग के लिए मुफीद.

HAL अगर तेजस में उत्तम रडार लगाती है तो उसे कई तरह के फायदे हो सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण ये है कि HAL को किसी विदेशी कंपनी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. साथ ही इंडियन होने की वजह से डिलीवरी भी फास्ट-ट्रैक होगी. फाइटर जेट्स हों,  ड्रोन्स हों या UAV हों, सब में इसे आसानी से इंटीग्रेट किया जा सकेगा. इसके अलावा विदेशी सिस्टम्स की तुलना में खर्च भी कम आएगा.

UTTAMRADAR TEJAS
तोजस के अगले हिस्से में लगा उत्तम रडार (PHOTO-X)
ELTA रडार सिस्टम्स - इजरायल

रडार और सेंसर्स के मामले में इजरायली तकनीक निश्चित तौर पर शानदार है. इजरायल के सेंसर्स की बदौलत ही वो अपने दुश्मनों पर नजर रखता है. जिस सिस्टम को तेजस में लगाने की बात हो रही है, उसे इजरायल की कंपनी ELTA सिस्टम्स बनाती है. इसका नाम EL/M-2052 AESA Radar है. इसे इंडियन एयरफोर्स के मल्टीरोल फाइटर जेट्स तेजस के अलावा जगुआर, मिग-29 और के लिए भी मुफीद माना जाता है. इसकी सबसे अच्छी बात ये है कि इसे कई देश पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं. इसकी क्षमताओं का टेस्ट एक तरह से हो चुका है. इसलिए इसे एक उन्नत रडार माना जाता है. इसके कुछ फीचर्स पर नजर डालें तो-

  • 60 से अधिक टारगेट्स को इंगेज कर सकता है.  
  • 150 किलोमीटर से अधिक दूरी पर भी फाइटर जेट्स को ट्रैक कर सकता है.  
  • मल्टी-मोड रडार से लैस है.  टेरेन यानी इलाके के हिसाब से इसमें मोड्स हैं.
  •  एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड के अलावा मरीन यानी नेवल मिशंस में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 
  •  इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर में दुश्मन को चकमा दे सकता है.

भारत अगर तेजस के लिए इजरायली रडार को चुनता है तो उसे इसके बैटल टेस्टेड होने का फायदा मिलेगा. यानी ये सिस्टम्स पहले से टेस्ट किए हुए हैं. साथ ही भारत को बिल्कुल टॉप टेक्नोलॉजी मिलेगी. भारत के पुराने पर शानदार मिग-29 और जगुआर जैसे विमानों में भी इसे इंटीग्रेट किया जा सकता है. और रक्षा क्षेत्र में इजरायल से अच्छे रिश्ते होने का फायदा भारत को मिलेगा. सप्लाई, मेंटेनेंस जैसी कोई लॉजिस्टिकल समस्या आने की उम्मीद कम है.

ELTA SYSTEMS RADAR
इजरायली रडार (PHOTO-ELTA)
आत्मनिर्भर भारत को झटका

बीते कुछ सालों से भारत लगातार रक्षा क्षेत्र में खुद को आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रहा है. भारत में कई नई कंपनियां उभर कर सामने आईं हैं जो एक से बढ़ कर एक हथियार और इक्विपमेंट बना रही हैं. DRDO ने लगातार मेहनत कर के उत्तम रडार को तैयार किया है. कई सारे टेस्ट्स में पास होने के बाद इसे इंडियन एयरफोर्स के विमानों में लगाया भी गया है. बावजूद इसके HAL ने तेजस के बाकी बचे विमानों के लिए इसे नकार दिया है. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट कहती है कि पहले रफाल मरीन की डील के समय भी उसमें उत्तम रडार को लगाने का प्लान था. लेकिन बाद में दसॉ एविएशन इसके लिए राजी नहीं हुआ. अब ये विदेशी कंपनियों का प्रेशर था या दसॉ की मजबूरी ये तो पता नहीं. लेकिन इससे मेक इन इंडिया कर तरह बने उत्तम रडार का पत्ता रफाल मरीन से जरूर कट गया.

(यह भी पढ़ें: तेजस से DRDO का ‘उत्तम’ रडार आउट, HAL ने इजरायली सिस्टम पर लगाई मुहर, ‘आत्मनिर्भर भारत’ को झटका)

लेकिन यहां एक गौर करने वाली बात है कि कोई भी विदेशी कंपनी अगर कोई प्रोडक्ट किसी देश को बेचती है, तो वो यही चाहती है कि उसमें ज्यादा से ज्यादा उसके ही कंपोनेंट्स लगें. ये उस कंपनी की मजबूरी भी है. भारत के हथियार शानदार हैं, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन इजरायल के हथियार या रडार सबसे टॉप क्वालिटी के हैं. वजह ये है कि वो काफी समय से डेवलप हो रहे हैं. भारत के सिस्टम्स उन्नत तो हैं, लेकिन नए हैं. इसलिए अभी देश के बाहर अपनी साख बनाने में उन्हें कुछ वक्त लगेगा. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह इंडियन सिस्टम्स ने अपना दम दिखाया है, उसने पूरी दुनिया की नजरों में भारत के सिस्टम्स को ला दिया है.

वीडियो: रखवाले: LCA तेजस अब ऑपरेशनल एरिया में तैनात, क्या इन समस्याओं का कोई हल निकलेगा?

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