एक नहीं दो-दो चक्रवात, दक्षिण भारत में बारिश की बौछार, चार राज्यों में चेतावनी जारी
पहले मौसम विभाग ने Senyar Cyclone की चेतावनी दी थी. कुछ समय बाद ही Bay of Bengal में बना गहरा दबाव 27 नवंबर को Ditwah में तब्दील हो गया. इस संभावित खतरनाक सिस्टम को देखते हुए मौसम विभाग ने Pre-Cyclone अलर्ट जारी कर दिया है.

भारत के दक्षिणी तट पर बन रहे चक्रवाती तूफान सेन्यार (Senyar Cyclone) का असर 28 नवंबर से दिखने लगेगा. मौसम विभाग का अनुमान है कि Senyar और Ditwah, इन दोनों चक्रवाती तूफानों का असर दक्षिण भारत के कई राज्यों पर पड़ेगा. इससे पहले मौसम विभाग ने Senyar की चेतावनी दी थी. कुछ समय बाद ही बंगाल की खाड़ी में बना गहरा दबाव 27 नवंबर को Ditwah में तब्दील हो गया. इस संभावित खतरनाक सिस्टम को देखते हुए मौसम विभाग ने प्री-साइक्लोन अलर्ट जारी कर दिया है. चक्रवात का रुख उत्तर तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश तटों की ओर है, जहां 30 नवंबर तक मौसम बेहद खराब रहने की चेतावनी दी गई है.
30-35 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी हवामौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 27 से 30 नवंबर के बीच तमिलनाडु में भारी बारिश हो सकती है. साथ ही, 28 और 29 नवंबर को राज्य के कुछ जिलों में बहुत अधिक बारिश की स्थिति बन सकती है. दक्षिण आंध्र प्रदेश और रायलसीमा क्षेत्रों में 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक तेज बारिश होने का अनुमान है. इसके अलावा, 30 नवंबर को इन इलाकों में अत्यधिक बारिश होने की संभावना जताई गई है.
इसके अलावा, केरल में भी 27 से 29 नवंबर के बीच भारी बारिश के आसार हैं. वहीं तेलंगाना में भी 30 नवंबर और 1 दिसंबर को बारिश हो सकती है. कर्नाटक के दक्षिणी हिस्से में 29 नवंबर को तेज बारिश की संभावना जताई गई है. मौसम विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि तमिलनाडु, केरल, तटीय आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और अंडमान निकोबार आइलैंड में बिजली गरजने के साथ तूफानी बारिश हो सकती है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक अंडमान इलाके में तो 27 से 29 नवंबर तक 30-50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से हवाएं चलने के संकेत मिले हैं. इस बीच मन में एक सवाल आता है कि चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं?
कैसे दिए जाते हैं चक्रवातों के नाम?चक्रवात भारी तबाही मचाने के अलावा अपने नामों को लेकर भी चर्चा में रहते हैं. सेन्यार के बारे में तो आप पढ़ ही रहे हैं. इससे पहले 'बुलबुल', 'लीजा', 'हुदहुद', 'कटरीना', 'निवान' जैसे नाम अलग-अलग चक्रवातों को दिए गए हैं. ‘मोका’ के बहाने आज आपको ये बताते हैं कि चक्रवातों के नाम रखे कैसे जाते हैं.
इंसान के बच्चे की तरह चक्रवात भी पैदा होने के कुछ दिन तक गुमनाम रहता है. नाम देने की शुरुआत होती है हवा की स्पीड के आधार पर. जब हवा लगभग 63 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गोल-गोल चक्कर काटने लगती है, तब उसे ट्रॉपिकल स्टॉर्म (तूफान) कहते हैं. ये स्पीड बढ़ते-बढ़ते जब 119 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर पहुंचती है, तो उसे ट्रॉपिकल हरिकेन कहते हैं. ज्यों-ज्यों स्पीड बढ़ती है, हरिकेन की कैटेगरी बदलती है और 1 से 5 की स्केल पर बढ़ती जाती है.
चक्रवातों को नाम देना सबसे पहले अटलांटिक सागर के इर्द गिर्द बसे देशों ने शुरू किया. अंकल सैम का अमेरिका ऐसा ही एक देश है. उसने चक्रवातों को नाम देना शुरू किया ताकि उसका रिकॉर्ड रखा जा सके. इससे वैज्ञानिकों, समंदर में चल रहे जहाज़ों के स्टाफ और हरिकेन से बचने की तैयारी कर रहे प्रशासन को सहूलियत होती.
कैरेबियन आइलैंड्स के लोग एक समय कैथलिक संतों के नाम के पर चक्रवातों के नाम रखते थे. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी फौज चक्रवातों को औरतों के नाम देने लगी. ये तरीका खूब पसंद किया गया और स्टैंडर्ड बन गया. लेकिन कुछ वक्त बाद औरतों ने सवाल किए कि जब वो आबादी का आधा ही हिस्सा हैं तो तबाही लाने वाले पूरे चक्रवातों को उन्हीं के नाम क्यों दिए जाएं. फिर 1978 में आधे चक्रवातों को मर्दो के नाम दिए जाने लगे.
यूएस वेदर सर्विस में हर साल चक्रवातों के लिए 21 नामों की लिस्ट तैयार की जाती है. हर अल्फाबेट से एक नाम. Q, U, X, Y, Z से नाम नहीं रखे जाते. अगर साल में 21 से ज़्यादा तूफान आ जाएं तो फिर ग्रीक अल्फाबेट जैसे अल्फा, बीटा, गामा इस्तेमाल किए जाते हैं. दिल्ली के ट्रैफिक की तरह ही यहां भी ऑड-ईवन सिस्टम है. ईवन साल (जैसे 2004, 2014, 2018) में पहले चक्रवात को आदमी का नाम दिया जाता है. ऑड सालों में (2001, 2003, 2007) पहले चक्रवात को औरत का नाम दिया जाता है. एक नाम छह साल के अंदर दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता. ज़्यादा तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम रिटायर कर दिए जाते हैं, उदाहरण के लिए कटरीना.
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