पूर्व CJI बीआर गवई ने अपनी कार राष्ट्रपति भवन में ही छोड़ी, वजह नए CJI सूर्यकांत हैं
CJI Surya Kant: 23 नवंबर को जस्टिस BR Gavai भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पद से रिटायर हुए. वे आधिकारिक कार से राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने वो कार वहीं छोड़ दी.

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने नई मिसाल कायम की है. वे नए CJI सूर्यकांत के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए CJI की आधिकारिक मर्सिडीज-बेंज कार से राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. लेकिन शपथ के बाद जस्टिस गवई आधिकारिक कार वहीं छोड़कर वापस हो गए. दावा किया जा रहा है कि ऐसा पहली दफा हुआ है जब CJI पद से रिटायर्ड हुए जज ने अपने उत्तराधिकारी के लिए आधिकारिक सरकारी कार छोड़ दी हो.
सोमवार, 24 नवंबर को नए CJI सूर्यकांत ने देश का मुख्य न्यायाधीश बनने की शपथ ली. यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में हुआ. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई समेत कई गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी रही.
जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश पद से रिटायर हुए. 24 नवंबर की सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक समारोह में जस्टिस सूर्यकांत को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई. उन्होंने ‘ईश्वर के नाम’ पर हिंदी में शपथ ली.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया,
"शपथ ग्रहण समारोह के बाद जस्टिस गवई ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) के लिए तय सरकारी गाड़ी छोड़ दी और राष्ट्रपति भवन से एक दूसरी गाड़ी से वापस लौटे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके उत्तराधिकारी (CJI सूर्यकांत) के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए सरकारी कार उपलब्ध रहे."
जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वे लगभग 15 महीने तक इस पद पर बने रहेंगे. वे 9 फरवरी 2027 को 65 साल की उम्र पूरी करने पर रिटायर होंगे.
CJI सूर्यकांत की कहानी
10 फरवरी 1962, हिसार जिले के पेटवाड़ गांव में जन्मे CJI सूर्यकांत की पढ़ाई-लिखाई गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई. बाद में उन्होंने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, हिसार से ग्रेजुएशन और फिर 1984 में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU), रोहतक से LLB की डिग्री हासिल की. उस वक्त ही वो यूनिवर्सिटी टॉपर बने और कई मेडल जीते. वे खुद बताते हैं,
"अंग्रेजी देर से सीखी, लेकिन मेहनत जल्दी शुरू कर दी."
उन्होंने हिसार की जिला अदालत से वकालत शुरू की. शुरुआती दिनों में पूरे केस की फीस 550 रुपये मिलती थी, और बाद में सिर्फ एक ड्राफ्ट लिखने के 1100 रुपये. क्योंकि उनकी ‘ड्राफ्टिंग’ ऐसी होती थी कि केस का रुख ही पलट जाए.
हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल से सुप्रीम कोर्ट तक
CJI सूर्यकांत ने 1985 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और जल्द ही संविधान, सेवा और सिविल मामलों के विशेषज्ञ माने जाने लगे. साल 2000 में महज 38 साल की उम्र में वो हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने.
2001 में सीनियर एडवोकेट, 2004 में हाईकोर्ट जज, 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने. यानी 35 साल का सफर - गांव के स्कूल से सुप्रीम कोर्ट तक.
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