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आयुष्मान योजना में लोग सरकारी नहीं, प्राइवेट अस्पतालों को दे रहे तरजीह; सरकार का खर्च बढ़ा

इस स्कीम को चलाने वाली नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) ने हाल ही में सालाना रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट से पता चला है कि इस स्कीम के तहत मंजूर किए गए सभी इलाजों में से आधे से ज्यादा प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों के हैं. साथ ही, इलाज के खर्च का लगभग दो-तिहाई हिस्सा प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों का है.

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Ayushman Bharat Majority Of People Using Scheme For Treatment In Private Hospitals
प्रतीकात्मक फोटो.
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रिदम कुमार
17 अक्तूबर 2025 (Published: 09:42 AM IST)
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भारत सरकार ने सरकारी इंश्योरेंस के तौर पर आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी. इसका मकसद था कम आय वाले लोगों को मुफ्त में इलाज हो सके. बड़ी बात यह थी कि इसके तहत लोग अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में भी करवा सकते थे. एक रिपोर्ट से यह पता चला है कि लोग इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए सरकारी के बजाय सबसे ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों का ही रुख कर रहे हैं. इसकी वजह से सरकार का खर्च भी बढ़ा है. 

किसने जारी की है रिपोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्कीम को चलाने वाली नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) ने हाल ही में सालाना रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट से पता चला है कि इस स्कीम के तहत मंजूर किए गए सभी इलाजों में से आधे से ज्यादा प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों के हैं. साथ ही, इलाज के खर्च का लगभग दो-तिहाई हिस्सा प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों का है. 

क्या कहते हैं आंकड़े

रिपोर्ट में आयुष्मान योजना के जुड़े कुछ दिलचस्प आंकड़े दिए गए हैं. जिनके मुताबिक,

- आयुष्मान के तहत देशभर में अस्पतालः 31,005
- प्राइवेट अस्पतालों की संख्याः 45%
- 7 वर्षों में इतने लोगों का इलाज हुआः 9.19 करोड़
- प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने वालों की संख्याः 52% 
- इलाज का कुल खर्चः 1.29 लाख करोड़ रुपये
- प्राइवेट अस्पतालों पर खर्च का हिस्साः 66% यानी दो-तिहाई. 

इन बीमारियों का सबसे ज्यादा इलाज

अब सवाल ये उठता है कि आखिर आयुष्मान योजना के तहत लोग किन बीमारियों का इलाज सबसे ज्यादा करवा रहे हैं.

- हीमोडायलिसिस यानी किडनी फेल होने पर खून को फिल्टर करने की प्रक्रियाः 14%
- बुखारः 4%
- पेट से जुड़ी समस्याएं यानी गैस्ट्रोएंटेराइटिसः 3%
- जानवरों के काटने के केसः 3%

किन राज्यों को मिला सबसे ज्यादा फायदा

आपको बता दें कि स्कीम की खासियत रही है कि मरीजों दूसरे किसी भी राज्य में जाकर भी अपना इलाज करवा सकते हैं. इसे पोर्टेबिलिटी बेनिफिट कहा जाता है. उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्य इलाज के लिए राज्य से बाहर जाने वाले और इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या, दोनों के मामले में टॉप पर थे.

इन राज्यों में इलाज के लिए आए सबसे ज्यादा लोग

डेटा से पता चलता है कि स्कीम शुरू होने से लेकर मार्च 2025 तक चंडीगढ़ में बाहर से आकर इलाज कराने वालों की संख्या 19% रही. वहीं, उत्तर प्रदेश में 13%, गुजरात में 11%, उत्तराखंड में 8% और पंजाब में 8% फीसदी लोगों ने बाहर से आकर इन राज्यों में इलाज कराया.

सबसे ज्यादा इन राज्यों के लोगों ने दूसरे राज्यों में कराया इलाज

वहीं, गृह राज्य से बाहर जाकर इलाज करने वालों में UP का हिस्सा 24% था. ज्यादा आउट-बाउंड मामलों वाले दूसरे राज्य मध्य प्रदेश (17%), बिहार (16%) और पंजाब और हिमाचल प्रदेश (दोनों 7%) और पंजाब (9%) थे. 

गौरतलब है कि सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स को साझा करने के लिए एक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है. इस प्रणाली के तहत 50 करोड़ स्वास्थ्य रिकॉर्ड पहले ही लिंक हो चुके हैं. इसके साथ ही 3.8 लाख स्वास्थ्य सुविधाओं और 5.8 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को भी इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड किया गया है.

आयुष्मान योजना क्या है?

आयुष्मान भारत योजना, जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना भी कहा जाता है, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है, जिसका उद्देश्य कम आय वाले और कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त या किफायती इलाज की सुविधा प्रदान करना है. इस योजना के तहत पात्र परिवारों को प्रति वर्ष लाखों रुपये तक के अस्पताल में इलाज का लाभ मिलता है, चाहे वह सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट अस्पताल. योजना में पोर्टेबिलिटी लाभ भी है, यानी लाभार्थी अपने गृह राज्य या किसी अन्य राज्य में भी इलाज करवा सकते हैं. इसके साथ ही, डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स और बुनियादी ढांचे के माध्यम से मरीजों की जानकारी सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध कराई जाती है, जिससे इलाज की प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी बनती है.

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