'सिर्फ बोलना नहीं, चुप्पी भी अपराध!', इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी सोशल मीडिया यूजर्स के लिए चेतावनी है
हाई कोर्ट का ये बयान पिछले महीने 26 सितम्बर को आया था. अपडेट ये है कि बिजनौर पुलिस ने अफाक के खिलाफ दोबारा FIR दर्ज किया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि समाज में नफरत फैलाने के लिए हमेशा ज़रूरी नहीं कि धर्म का नाम लिया जाए. कई बार अनकहे शब्द या सूक्ष्म संकेत ही लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़का सकते हैं. कोर्ट ने साफ कहा कि अगर किसी संदेश में धर्म का सीधा ज़िक्र न भी हो, फिर भी वह लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करने की वजह बन सकता है.
जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने यह टिप्पणी एक बेल याचिका पर सुनवाई के दौरान की. याचिकाकर्ता अफाक अहमद पर धार्मिक नफरत फैलाने के आरोप में FIR दर्ज है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने यह टिप्पणी 26 सितंबर को की थी. अब ताज़ा अपडेट यह है कि बिजनौर पुलिस ने अफाक के खिलाफ एक और FIR दर्ज की है. इस बार आरोप हैं आपराधिक धमकी और शांति भंग करने के.
कहानी की शुरुआत एक वॉट्सऐप मैसेज सेलाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अफाक उत्तर प्रदेश के बिजनौर का रहने वाला है. उसके भाई आरिफ और चाचा सादिक़ पर पहले से ही केस चल रहा है. आरोप है कि आरिफ ने एक महिला का धर्म परिवर्तन करवाया. जब अफाक को पता चला कि उसका भाई गिरफ्तार हो गया है, तो उसने अपने कुछ जान-पहचान वालों को वॉट्सऐप मैसेज भेजे. इन्हीं में से एक मैसेज का स्क्रीनशॉट किसी ने पुलिस को भेज दिया. और FIR दर्ज हो गई.
कोर्ट ने जब यह मैसेज देखा तो कहा.
एक पल को ताक पर रख के ये मान भी लें कि इस मैसेज ने किसी धर्म या धार्मिक समुदाय को ठेस नहीं पहुंचाया है. लेकिन इस वॉट्सऐप मैसेज में कुछ “अनकहे शब्द” हैं जो धार्मिक समुदायों के बीच नफरत फ़ैलाने का काम कर रहे हैं. इस मैसेज को पढ़कर कोई भी ये सोच सकता है कि दूसरे समुदाय के लोग कानून का उल्लंघन करके उन्हें टारगेट कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के संदेश धार्मिक तनाव बढ़ा सकते हैं. इसलिए पुलिस जांच जारी रखेगी.
भाई आरिफ के खिलाफ क्या हैं आरोपमामला 19 जुलाई 2025 से शुरू हुआ. जब RSS कार्यकर्ता संदीप कौशिक ने आरिफ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. आरोप था कि आरिफ राष्ट्र-विरोधी तत्वों से जुड़ा है और लव जिहाद में शामिल है.
बाद में FIR में रेप, धोखाधड़ी और धर्म परिवर्तन के आरोप भी जुड़ गए. यह केस ‘विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021’ के तहत दर्ज हुआ.
आरिफ फिलहाल जेल में है. पुलिस का कहना है कि चार्जशीट लगभग तैयार है.
अफाक ने इंडियन एक्सप्रेस से बात-चीत में बताया
2020 से ही आरिफ एक हिंदू महिला के साथ रिश्ते में था. मुझे इस बारे में जानकारी थी. बाद में मेरे भाई और हिन्दू महिला ने शादी कर ली और उनकी एक बेटी भी हुई. मुझे लगा कि मामला ख़त्म हो गया
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, आरिफ को बाद में कुछ लोगों से पता चला कि उसके भाई ने एक हिन्दू महिला का धर्म परिवर्तन करवाया है और उसे दुबई ले जाने वाला था. जिसके बाद अफाक ने लोगों को वॉट्सऐप मैसेज भेजकर कहा कि उसके भाई को फंसाया जा रहा है. इसी मैसेज के चलते अफाक के खिलाफ FIR दर्ज हुई. अफाक के वकील सईद शाहनवाज़ शाह ने दलील दी कि अफाक ने कहीं भी धर्म का ज़िक्र नहीं किया है. लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि "अनकहे शब्द" भी अपने आप में एक कम्युनल चार्ज है.
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