अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दिकी को ED ने गिरफ्तार किया
Al-Falah University पर फर्जी NAAC मान्यता और UGC के दावों को गुमराह करने का आरोप है. इसके बाद FIR दर्ज कर जांच शुरू की गई. ED 10 नवंबर को Delhi Car Blast के सिलसिले में यूनिवर्सिटी के संभावित मनी लॉन्ड्रिंग लिंक को भी जांच रही है.
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार, 18 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है. मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है. अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में संभावित टेरर फंडिंग की भी जांच की जा रही है.
यह कार्रवाई हरियाणा के फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की कड़ी स्क्रूटनी के बीच हुई है. जांचकर्ताओं को शक है कि यह यूनिवर्सिटी 10 नवंबर को दिल्ली कार ब्लास्ट से जुड़े एक 'वाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल का सेंटर है. इस आतंकी हमले से अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है.
इंडिया टुडे से जुड़े मुनीष पांडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले जानकारी थी कि जावेद अहमद सिद्दिकी से पूछताछ की जा रही है और उनके घर की भी तलाशी ली जा रही है. ED के अधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर और अल-फलाह ग्रुप से जुड़े अन्य ठिकानों पर तलाशी ली गई. उनका दावा है कि इस दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों की डिटेल स्क्रूटनी के बाद यह गिरफ्तारी की गई है.
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ दो FIR दर्ज की हैं. इनमें आरोप है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने फर्जी NAAC (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) मान्यता के दावे किए और स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स को गुमराह करने के लिए UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) एक्ट के सेक्शन 12(b) के तहत खुद को गलत तरीके से मान्यता प्राप्त बताया. इन FIR के बाद ED ने अपनी जांच शुरू की.
UGC ने बाद में साफ किया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(f) के तहत एक राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में दर्ज है. UGC ने कहा कि ये यूनिवर्सिटी सेक्शन 12(b) के तहत अनुदान के लिए कभी भी पात्र नहीं रही है.
यूनिवर्सिटी और इससे जुड़े कुछ लोगों के घरों की तलाशी ली गई. इसमें खुलासा हुआ कि करोड़ों रुपये की कथित अपराध की कमाई हुई, जिसे गलत तरीके से इधर-उधर किया गया. अधिकारियों को ट्रस्ट से मिली रकम परिवार के मालिकाना हक वाली फर्मों में ट्रांसफर किए जाने के सबूत मिले. इसके अलावा कंस्ट्रक्शन और केटरिंग के ठेके कथित तौर पर सिद्दीकी की पत्नी और बच्चों से जुड़ी फर्मों को दिए गए.
ED ने 48 लाख रुपये नकद, डिजिटल डिवाइस और बड़े पैमाने पर दस्तावेज जब्त किए हैं. एजेंसी ने ग्रुप से जुड़ी कई फर्जी कंपनियों की भी पहचान की है. वित्तीय जांच के साथ-साथ ED यह भी जांच कर रही है कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग का पैसा 10 नवंबर को लाल किला बम धमाके से जुड़े लोगों को दिया गया था.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कई लोगों को आतंकी मॉड्यूल की जांच में पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है. इनमें डॉ. मुजम्मिल गनाई और डॉ. शाहीन सईद भी शामिल हैं. वहीं, डॉ. उमर नबी, अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था, जो कथित तौर पर लाल किले के पास हुए धमाके में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार चला रहा था.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: दिल्ली ब्लास्ट को लेकर अल फलाह यूनिवर्सिटी और कश्मीर से क्या खुलासे हुए?



