CJI गवई पर हमला करने वाले वकील पर कोई केस नहीं, जूता भी मिल गया, लेकिन लाइसेंस सस्पेंड
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने आरोपी वकील के खिलाफ मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में 6 अक्टूबर, 2025 की तारीख एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना की वजह से याद की जाएगी. इस दिन सुबह भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की गई. 71 साल के एक वकील राकेश किशोर पर ये हरकत करने का आरोप है. पुलिस ने पूछताछ के तीन घंटे बाद राकेश को जाने की इजाजत दे दी. सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया था. रजिस्ट्रार जनरल ने दिल्ली पुलिस से अधिवक्ता राकेश किशोर को उनके जूते और दस्तावेज़ भी वापस करने को कहा.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की अनुमति लेने के बाद दिल्ली पुलिस की सुरक्षा इकाई और नई दिल्ली जिला पुलिस के अधिकारियों ने आरोपी वकील से पूछताछ की. पुलिस ने बताया कि किशोर के पास से एक सफेद कागज़ का नोट मिला, जिस पर लिखा था - “मेरा संदेश हर सनातनी के लिए है… सनातन धर्म का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान.”
इसके अलावा, पुलिस को उनके पास सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, शाहदरा बार एसोसिएशन और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के कार्ड भी मिले.
इस बीच एक खबर ये भी आई कि हमले की कोशिश के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अधिवक्ता राकेश किशोर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. किशोर को आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई तक देश भर की किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या कानूनी प्राधिकरण में वकालत करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक किशोर मयूर विहार के निवासी हैं और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पंजीकृत सदस्य रहे हैं. उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने मौके पर ही पकड़ा और सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा इकाई को सौंप दिया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक सुबह करीब 11:35 बजे कोर्ट नंबर 1 में कार्यवाही के दौरान किशोर ने अपने स्पोर्ट्स शूज़ उतारे और CJI गवई की ओर फेंके.
पूछताछ में किशोर से उनके इस कदम के पीछे की वजह पूछी गई. सूत्र के हवाले से आई खबर के मुताबिक,
“अधिवक्ता ने दावा किया कि वह खजुराहो मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़ी याचिका की हालिया सुनवाई के दौरान CJI की टिप्पणियों से नाराज़ थे.”
CJI गवई ने यह टिप्पणी 16 सितंबर को मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जवारी मंदिर में सात फीट ऊंची भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग वाली याचिका को खारिज करते समय की थी. बाद में उन्होंने स्पष्ट किया था कि वह “सभी धर्मों का सम्मान करते हैं” और उनकी टिप्पणी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र के संदर्भ में थी, जो मंदिर के संरक्षण की ज़िम्मेदारी संभालता है.
वीडियो: CJI BR Gavai पर जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई?