The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • 2020 Delhi Riots Case: Umar Khalid advocate Kapil Sibal argument in Supreme Court

'751 FIR हैं, सिर्फ एक में नाम क्यों?' उमर खालिद की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में तगड़ी बहस

उमर खालिद 5 साल से जेल में बंद हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 55 तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के जज छुट्टी पर थे और 59 तारीखों पर सरकारी वकील के मौजूद नहीं थे.

Advertisement
Umar Khalid
सितंबर 2020 से उमर खालिद दिल्ली में दंगा कराने के आरोप में जेल में बंद हैं. (India Today)
pic
सौरभ
31 अक्तूबर 2025 (Updated: 31 अक्तूबर 2025, 07:23 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

दिल्ली दंगों के केस में दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ‘उमर खालिद दंगों के मास्टरमाइंड’ हैं. 31 अक्टबूर को उमर खालिद ने ऐसे आरोपों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अगर वो ही मास्टरमाइंड हैं तो सिर्फ एक FIR में उनका नाम क्यों है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली दंगों से जुड़ी सुनवाई में के दौरान उमर खालिद की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा,

फरवरी 2020 के दंगों से जुड़ी 751 FIR दर्ज की गई हैं. लेकिन उनके खिलाफ सिर्फ एक FIR में आरोप लगाए गए हैं. उमर पर "साजिश" का आरोप लगाना अजीब है, क्योंकि अगर यह साजिश होती, तो इतने मामलों में सिर्फ एक में ही नाम क्यों?

इसके बाद सिब्बल ने दिल्ली पुलिस के उमर खालिद पर लगाए आरोपों पर सवाल उठाए. सिब्बल ने कहा,  

जब दंगे हुए तो उमर खालिद दिल्ली में मौजूद भी नहीं थे. उनके पास से कोई हथियार या कोई आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ है. उमर खालिद के ख़िलाफ़ किसी भी हिंसा का कोई फ़िज़िकल सबूत नहीं है. खालिद पर हिंसा के लिए कोई फ़ंड जमा करने या हिंसा की अपील करने का कोई आरोप नहीं है. खालिद के ख़िलाफ़ एकमात्र आरोप एक भाषण है जो उन्होंने 17 फरवरी को महाराष्ट्र के अमरावती में दिया था. उस भाषण में असल में अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांतों का ज़िक्र किया गया था और इसे किसी भी तरह से भड़काऊ नहीं माना जा सकता.

उमर खालिद के केस में एक बहस यह भी है कि उन्हें पिछले पांच साल से जेल में रखा गया है और सुनवाई नहीं की जा रही है. 30 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में इसके लिए भी खालिद को जिम्मेदार ठहरा दिया था. इस मामले पर आज खालिद के वकील कपिल सिब्बल ने जवाब दिया. उन्होंने कहा,

55 तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के जज छुट्टी पर थे. 26 तारीखों पर समय की कमी के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी. 59 तारीखों पर सरकारी वकील के मौजूद न होने के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी. 4 तारीखों पर वकीलों की हड़ताल के कारण कोई सुनवाई नहीं हुई.

उमर खालिद को सितंबर 2020 में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली दंगों की साजिश में भूमिका निभाई. इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए थे.

सिब्बल ने UAPA के तहत "टेररिस्ट एक्ट" पर भी कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने तर्क दिया कि टेररिस्ट एक्ट की परिभाषा में बताए गए कोई भी आरोप उमर खालिद पर लागू नहीं होते. सिब्बल ने सह-आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को मेरिट के आधार पर ज़मानत देने के आदेश का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा,

"वे तीनों दंगों के दिन दिल्ली में मौजूद थे. उन्हें ज़मानत मिल गई है. खालिद तो उन तारीखों पर दिल्ली में मौजूद भी नहीं थे. पर उन्हें ज़मानत नहीं दी गई! सबूत और गवाह वही हैं."

दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि साल 2020 में देश की राजधानी में हुई सांप्रदायिक हिंसा एक 'आपराधिक साज़िश' थी. इसे इस मकसद से रचा गया था कि दंगे करवाकर ‘सत्ता परिवर्तन' (regime change) किया जा सके.

पुलिस ने उमर खालिद और शरजील इमाम समेत अन्य आरोपियों को जमानत देने का विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि सबूत बताते हैं कि यह पूरी साज़िश पहले से तैयार की गई थी. इसे उस समय अंजाम देने की योजना थी जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भारत की यात्रा पर थे.

पुलिस का दावा है कि ऐसा इसलिए किया गया, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के रूप में दिखाया जा सके.

वीडियो: गेस्ट इन द न्यूजरूम: राम मंदिर फैसला, जस्टिस वर्मा, PM मोदी और उमर खालिद... पूर्व CJI चंद्रचूड़ से सब पर सवाल पूछे गए

Advertisement

Advertisement

()